हनुमानजी से बडा कोई मैनेजमेंट गुरू नहीं
युवाओं में हनुमान जी की तरह हो लक्ष्य के प्रति लगन, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो विश्राम नही होगा- स्वामी प्रणवपुरी
उज्जैन। मनुष्य किसी भी कार्य को करने का संकल्प करे तो प्रथम आलस्य बाधा डालने आ जाता है। हनुमान जी भी जब सौ जोजन समुद्र लांघने के लिए निकले तो प्रथम मैनाक पर्वत ने उन्हें कहा कि प्रभु बहुत दूर जाना है इसलिए थोडा विश्राम कर लीजिये। किंतु हनुमान जी ने उन्हें सादर मना कर दिया। युवाओं को हनुमान जी महाराज की तरह अपने लक्ष्य के प्रति इतनी ही लगन से बढ़ना चाहिए कि जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए तब तक कोई विश्राम नही होगा। उक्त बात महाकाल मंदिर के समीप महामृत्युंजय मठ में स्वामी प्रणव पुरी ने
कथा के विराम दिवस पर राम कथा के सर्वोत्तम श्रोता हनुमानजी महाराज को समर्पित कर उनके चरित्र पर चर्चा की। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद महाराज, स्वामी उमेशनाथ महाराज, स्वामी अवधेशपुरी महाराज ने भी आशीर्वचन दिये। स्वामी प्रणवपुरी ने कहा कि हनुमान जी के त्वरित निर्णय की क्षमता भी अद्भुत है, क्योंकि जब गये थे तब लंका जलाने का कोई आदेश नही था, किंतु लंका के प्रांगण में ही त्रिखा द्वारा तुरंत संकेत मिला लंका भी जलानी है, तब उन्होंने वही फैसला लेकर कार्य को सिद्ध किया। वहीं राम जी का आदेश माता को लाने का आदेश नहीं दिया था तो माता सीता को धैर्य तो बंधाया किंतु वापस लेकर नही आये, वहीं प्रतीक्षा करने का निवेदन किया। स्वामी के आदेश का कितना महत्व है यह हनुमानजी ने बताया। वास्तव में हनुमानजी से बडा मैनेजमेंट गुरू कोई नही है। इसके बाद भगवान का श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ एवं भंडारा हुआ।