चरक अस्पताल की अत्याधुनिक सुविधाओं व उपकरणों से लेस
एसएनसीयु युनिट में स्वस्थ्य हो रहे नवजात बच्चे
उज्जैन | चरक अस्पताल की अत्याधुनिक सुविधाओं व उपकरणों से लेस एसएनसीयु (नवजात शिशु चिकित्सा गहन चिकित्सा इकाई) में 1 वेंटीलेटर, 4 सीपेब मशीन, 25 वार्मर एवं 6 फोटो थैरेपी मशीन की सुविधाएं उपलब्ध हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.रजनी डाबर ने आमजन से अपील की है कि वे शासन द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही एसएनसीयु सुविधा का आवश्यकता होने पर लाभ उठायें एवं अपने नवजात बच्चों को नवजीवन प्रदान करवा सकते हैं। जहां प्रायवेट स्वास्थ्य संस्थाओं में एसएनसीयु में भर्ती मे रखने का खर्चा पांच हजार रुपये प्रतिदिन आता है वहीं चरक अस्पताल में यह सुविधा निःशुल्क है। जब तक शिशु पूर्ण स्वस्थ्य न हो उसे भर्ती कर निःशुल्क उपचार किया जाता है।
तराना निवासी श्रीमती परवीन के कम वजन के तीन नवजात बच्चों का
नि:शुल्क उपचार के दौरान वजन बढ़ा और स्वस्थ
तराना निवासी श्री सलमान प्रसव से पीड़ा से पीड़ित अपनी पत्नि श्रीमती परवीन को प्रसव हेतु निजी अस्पताल मे लेकर गये, जहां उनकी पत्नि ने प्रथम प्रसव मे ही तीन जुड़वा बच्चें को जन्म दिया। प्रायवेट अस्पतालों के चिकित्सकों द्वारा उन्हे बताया गया कि बच्चों का वजन बेहद कम है एवं उन्हे नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई मे भर्ती करना पड़ेगा, जिसका प्रतिदन का खर्च 5 हजार रूपये है एवं यह भी नही बताया जा सकता है कि बच्चों को कितने दिन भर्ती रखना पड़ेगा उसके बाद भी यह नही बताया जा सकता कि उन्हे बचाया जा सकता है या नही।
श्री सलमान मध्यम वर्गीय परिवार से आते है पत्नि की प्रथम प्रसव की खुशी चिकित्सक की इस प्रकार की बाते सुनकर वे चिन्तित हो गये। उन्होने अपने परिजनों से चर्चा की उनकी मां ने बताया कि उनके पास मे सिस्टर के नम्बर है जिन्होने ने श्रीमती परवीन की प्रसव पूर्व जांच एवं आवश्यक सेवाएं दी थी। सिस्टर से चर्चा करने पर सिस्टर ने स्वयं उपस्थित होकर उन्हे जिला अस्पताल उज्जैन के चरक अस्पताल (मातृ एवं शिशु चिकित्सालय) मे लेकर आई जहां बच्चों को एस.एन.सी.यु. प्रभारी चिकित्सक द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हे तुरन्त भर्ती कर लिया गया। नवजात शिशुओं का वजन करने पर दो शिशु का वजन 1 किलो 300 ग्राम व एक शिशु का वजन 1 किलो पाया गया। 12 दिन तक सतत् निःशुल्क उपचार प्रदान किया गया एवं उचित 24 घंटे सतत् देखभाल के पश्चात शिशु स्वस्थ्य हो गये और उनका पुनः वजन करने पर प्रथम शिशु का 2 किलो 500 ग्राम, द्वितीय का 2 किलो व तृतीय का 2 किलो 800 ग्राम पाया गया।
अब श्रीमती परवीन एवं श्री सलमान अपने बच्चों को देखकर बेहद खुश होते है। छुट्टी के पश्चात बच्चों को फाओअप के लिये वे पुनः एस.एन.सी.यु. लेकर आयें है, तीनो बच्चें स्वास्थ्य परीक्षण मे स्वस्थ्य है एवं उनका उचित विकास हो रहा है। चिकित्सकों द्वारा उन्हे सलाह दी गई कि वे एक वर्ष तक निरन्तर फालोअप के लिये लेकर आते रहे इस दौरान बच्चों को जो भी आवश्यक चिकित्सकीय सेवाओं की आवश्यकता होगी वे निःशुल्क प्रदान की जायेंगी।
गत वर्ष 2265 नवजात शिशुओं का नि:शुल्क उपचार किया गया
इस वर्ष अप्रैल से अभी तक 712 शिशुओं का उपचार
चरक अस्पताल (मातृ एवं शिशु चिकित्सालय) उज्जैन के एस.एन.सी.यु. (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) मे वर्ष 2018-19 मे 2265 नवजात शिशुओं को भर्ती कर निःशुल्क उपचार किया गया। अप्रेल 2019 से अभी तक 712 नवजात शिशुओं को भर्ती कर निःशुल्क उपचार किया गया। सभी बच्चें उपचार के पश्चात स्वस्थ्य है एवं निरन्तर उनका फालोअप किया जा रहा है। एस.एन.सी.यु. मे वर्तमान मे 2 शिशुरोग विशेषज्ञ एवं 21 नर्सिंग स्टाफ पदस्थ है, जो दिल्ली व चण्डीगढ़ से विशेष प्रशिक्षित है यह स्टाफ सतत् 24 घंटे सेवाएं प्रदान कर रहे है। वर्तमान मे एस.एन.सी.यु. मे 20 बेड की क्षमता है, जिसमे से 10 बेड पर इनबोर्न (चरक अस्पताल मे जन्मे शिशु) को रखा जाता है व शेष 10 बेड आउटबोर्न (जिले मे अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं से आने वाले शिशु, प्रायवेट अस्पतालों से आने वाले शिशु) को रखा जाता है। हाल ही में चरक अस्पताल में ही 10 बेड की एक नई न्यूनेटल हाई डिपेंडेंसी युनिट प्रारंभ हो चुकी है, जिसमे 1 किलो 800 ग्राम से कम वजन के शिशुओं को मां के साथ रखा जायेंगा। इसका लाभ यह होगा कि एस.एन.सी.यु. से डिस्चार्ज होने के बाद मां को इस बात की जानकारी रहेगी कि बच्चें को संक्रमण से बचाने के लिये किन-किन सावधानियों की आवश्यकता है चूकि बच्चा कमजोर है। अतः उसकी जीवन प्रत्याशा को बनाये रखने के लिये यह युनिट एक मील का स्तम्भ साबित होगी इस प्रक्रिया से हम शिशु मृत्यु दर को कम कर सकते हैं। प्रारंभ होने वाली न्यूनेटल हाई डिपेंडेंसी युनिट मे समय से पूर्व जन्मे शिशुओं (प्री मैच्युअर बेबी), जटिल प्रसव से जन्मे शिशु, जन्म के तुरन्त बाद श्वास न ले पाने शिशु, जन्म के तुरन्त बाद झटके लेने वाले शिशु (कमजोरी के कारण), अतिगंभीर जन्मजात पीलिया वाले शिशुओं को भर्ती करके उन्हे नवजीवन प्रदान किया जायेंगा।