नगरीय प्रशासन मंत्री ने दिखाई रुचि, प्राचीन नीलगंगा सरोवर का होगा कायाकल्प
मंत्री के निर्देश पर तैयार हुई डीपीआर, नेता प्रतिपक्ष ने अखाड़ा परिषद महामंत्री को बताई प्लानिंग, आंशिक संशोधन के बाद भोपाल जाएगी फाइल
उज्जैन। प्राचीन नीलगंगा तीर्थ सरोवर का जल्द ही कायाकल्प होने वाला है। नगरीय प्रशासन व विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने सरोवर के निरीक्षण दौरान इसके जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण में रुचि दिखाई थी। उन्हीं के निर्देश पर नगर निगम द्वारा तालाब विकास की डीपीआर तैयार की गई है। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र वशिष्ठ ने तालाब को लेकर बनी विकास की प्लानिंग कंसलटेंट के साथ अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमंत हरिगिरी को बताई। अल्प प्रवास पर आए महाराज को दत्त अखाड़ा भवन में प्लानिंग से अवगत कराया गया। जिसमें उन्होंने कुछ बदलाव करने के सुझाव दिए। जिस पर अब संशोधन कर फाइल मंत्रालय भेजी जाएगी।
निगम नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र वशिष्ठ के अनुसार पिछले दिनों नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री जयवर्धन सिंह नीलगंगा सरोवर पर बने जूना अखाड़ा भवन में आए थे। यहां श्रीमहंत हरि गिरि व उनके बीच नीलगंगा तलाब विकास को लेकर बातचीत हुई थी। मंत्री के निर्देश पर निगम ने नीलगंगा तीर्थ विकास की प्लानिंग बनवाई। जिसके लिए 3.92 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई है। अब यह फाइल मंजूरी के लिए भोपाल भेजी जाएगी इसके बाद टेंडर प्रक्रिया कर तालाब विकास कार्य शुरू कराया जायेगा। राजेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि यहां पुरातन शैली के लाल पत्थर वाले गजीबों, आधुनिक फव्वारे, चारों और पाथ वे व पीचिंग कार्य सहित सौंदर्यीकरण के अन्य काम किये जाना है। सरोवर में जूना अखाड़ा भवन से बने पैदल पुल को बढ़ाकर हनुमान मंदिर तक निर्मित किया जाएगा। करीब एक लाख वर्ग फीट में फैले सरोवर को आकर्षक बनाने के लिए यह प्लानिंग की गई है ताकि यहां स्वच्छ पानी हो और लोग अपने परिवार के साथ यहां सैर पर आ सकें।
राजेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि ड्रेनेज वाटर को नीलगंगा सरोवर में मिलने से रोकने के लिए व्यापक प्लानिंग बनाई गई है। चारों तरफ 4 मीटर चौड़ा पाथ वे बनेगा। चारों ओर स्टोन पीचिंग की जाएगी जिससे जल संरचना मजबूत बनें। चारों ओर डेकोरेटिव बिजली, पोल व हरियाली के लिए कार्य किए जाएंगे। हनुमान मंदिर व नीलगंगा मुख्य घाट पर दो सुविधाजनक नए घाट निर्मित होंगे ताकि लोग सुगम आचमन कर सकें। विवेकानंद कॉलोनी व आसपास बस्तियों को ड्रेनेज मिलने से रोकने के लिए पाईप डालकर नाला निर्माण किया जाएगा। पुरातन शैली की आरामदायक कुर्सियां लगाई जाएंगी। सरोवर के बीच में बावड़ी की सफाई कर इसे उपयोगी बनाया जाएगा।