राजधर्म पर ताऊ कमलनाथ को खुली पाती -आचार्य सत्यम्
उज्जैन। टायगर मामा के स्थान पर जब से आप प्रदेश के मुखिया बने हैं, व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं आया है। मामा के वचन और कर्म के अंतर के कारण ही उन्हें मुखिया के आसन से हटाया गया था। आपके नेतृत्व में सरकार चुनने का प्रदेश की जनता का इरादा होता तो आप सम्मानजनक बहुमत प्राप्त करते। 15 वर्ष के तीन वनवासों के बावजूद आपकी आजादी के आंदोलन और बापू की कथित जमात को 10 वर्षों तक केंद्र में लगातार सत्तारूढ़ रहने पर भी मध्यप्रदेश की जनता के प्रति अपने विपक्षी धर्म के पालन में असफल रहने का दण्ड ही आपकी अल्पमत सरकार के रूप में सामने है।
राजधर्म पर ताऊ कमलनाथ को खुली पाती लिखते हुए आचार्य सत्यम् ने लिखा कि अल्पमत सरकार के मुखिया को अपना राजधर्म निभाने के मामले में अत्यन्त सतर्क होना चाहिए, लेकिन आप पार्टी विथ डिफरेंस की नकल कर, न केवल प्रदेश को दुष्कर्म शिरोमणि बनाए हुए हैं, बल्कि धरतीपुत्रों की आत्महत्याएँ और मासूमों के अपहरण तथा अपराधों के मामले में आपकी सरकार मामा सरकार से कतई भिन्न नहीं है। रामभक्त सरकार की भ्रष्टाचार की बायस पचासों योजनाओं और निर्माणों को रोकने में आपकी सरकार विफल रही है। प्रदेश के जागरूक मतदाताओं का यह मत है कि आपकी पार्टी और पार्टी विथ डिफरेंस में कोई अंतर नहीं है। तभी तो आपके दल के दलबदलु अपने स्वार्थों के वशीभूत सत्तारूढ़ जमात में शामिल होते हैं और आपकी सरकार बनने पर घर वापसी करते हैं, आप मीडिया के सामने राणा सांगा के रूप में प्रकट होते हैं। क्या यही राजधर्म है? सत्ता पाने के कई दिनों बाद आपको बाबा महाकाल की याद आती है। जब आप यहां आते हैं तो आपकी सरकार के अधीनस्थ नगर पालिक निगम की कपिला गौशाला में जबरदस्ती आपके तुगलकी फरमान के कारण कैद की गई गायों की सैंकड़ों की संख्या में अकाल मौतों का सिलसिला जारी रहता है। नंदी वंश के संरक्षक महाकालेश्वर और श्रीकृष्ण गोपाल की गुरूकुल नगरी में यह जघन्य कृत्य होता रहा और आप हमारे आमरण अनशन को अनदेखा कर हमारे सामने महाकालेश्वर का आशीर्वाद लेकर गुजर गए। पिछली आधी सदी में हमारे द्वारा शापित आपके और रामभक्त दल के कई सुबेदार हमें दुर्वासा का वारिस कहते हैं। हमने आपको और आपकी सरकार के चाणक्य सहित कई जन प्रतिनिधियों को हमारे संकल्पों से टकराने के कारण सार्वजनिक रूप से शापित किया, लोकसभा निर्वाचन के परिणामों की भी पूर्व घोषणा की। लोकसभा चुनाव परिणामों से भी आपकी सरकार के कार्य और व्यवहार में कोई अंतर दिखाई नहीं देता। विधानसभा चुनाव पूर्व की गई 1000 गौशालाओं के निर्माण की आपकी घोषणा लोकसभा चुनाव के बाद गौशालाएं कंपनियों के माध्यम से संचालित करने के समाचार में दब गई। नदियों का ठेका तो आपने कम्प्युटरजी को दे दिया, लेकिन उनकी हेलिकाॅप्टर और डंोन कैमरे की मांग को अनसुना कर दिया। न गायें बच रहीं हैं और न ही नदियाँ। हमने उज्जयिनी से ही हमारे अनुष्ठान का शुभारम्भ किया था। सिंहस्थ 2016 के पूर्व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और संत समिति ने हमें आचार्य घोषित कर बाबा हठयोगीजी ने दोनों सगठनों के समर्थन से हमारा सिंहस्थ संकल्प मीडिया के समक्ष जारी करवाया था। आगामी सिंहस्थ पूर्व मोक्षदायिनी शिप्रा को देश की आदर्श नदी बनाने तथा मालवा के पर्यावरण की रक्षा हेतु संपूर्ण मालवांचल को जैविक खेती पर लाने के लिए गोवंश का संरक्षण और संवर्धन आवश्यक है। गोपालन तथा नदियों और पर्यावरण की रक्षा विशेषकर प्राणवायु और पेयजल संकट से प्रदेश की मुक्ति हेतु लाखों कामगारों को काम दिया जा सकता है। हम महाकालेश्वर मंदिर प्रबंधन की ओर से उपरोक्त लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु राष्ट्रीय आव्हान बाबा महाकालेश्वर की ओर से करवाना चाहते हैं। क्योंकि आपकी खाली खजाने वाली सरकार कन्यादान की घोषित राशि भी प्रदेश की बेटियों को नहीं दे पा रही है। आप कुलदीप के बहाने योगीजी को ललकार रहे हैं लेकिन सिद्धदोष दुष्कर्मियों की नाक काटकर उनके सामाजिक बहिष्कार का वैधानिक प्रावधान करके इतिहास में अपना नाम अमर करने के हमारे परामर्श को ठुकरा रहे हैं। यदि आप अपना राजधर्म नहीं निभायेंगे तो निश्चय ही हमें सत्याग्रहों तथा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और सर्वोच्च न्याय पालिका तक वैधानिक संघर्ष के लिए बाध्य होना पड़ेगा। आशा है हमारे 11 अगस्त के उज्जयिनी के एक दिवसीय उपवास के पूर्व आवश्यक निर्णय लेंगे।