मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यशाला आयोजित
राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा द्वारा कई समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकारों का सम्मान समारव
उज्जैन। मुंशी प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष में आज राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया कार्यक्रम गुजराती समाज के हॉल में हुआ सर्वप्रथम कार्यक्रम में मुंशी प्रेमचंद के समक्ष दीप प्रज्वलन कर माल्यार्पण किया गया तत्पश्चात कई प्रमुख समाजसेवियों और वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा मुंशी प्रेमचंद पर आधारित अपने अपने उद्बोधन दिए इस विशेष कार्यशाला मैं राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा की प्रदेश एवं देश भर से आए लोगों के समक्ष राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा के प्रमुख कपुर चंद यादव अर्जुन चंदेल सचिन कासलीवाल पंडित सुभाष जैन मनोज चतुर्वेदी आदि कई लोगों ने अपने उद्बोधन भी दिए मंच संचालन वरिष्ठ समाजसेवी अरविंद जैन किया।
वरिष्ठ पत्रकार डॉ सचिन कासलीवाल ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद आधुनिक भारत के शीर्षस्थ साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की रचना दृष्टि साहित्य के विभिन्न रूपों में अभिव्यक्त हुई है। उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख संस्मरण आदि अनेक विधाओं में उन्होंने साहित्य सृजन किया। अपने जीवनकाल में ही उन्हें उपन्यास सम्राट की उपाधि मिल गई थी किन्तु पाठकों के बीच आज भी उनका कहानीकार का रूप स्वीकारा, सराहा जाता है। उनका जीवन जितनी गहनता लिए हुए है, साहित्य के फलक पर उतना ही व्यापक भी है। उन्होंने कुल 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियाँ, 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें तथा हजारों की संख्या में लेख आदि की रचना की।
वे स्वयं आजीवन जमीन से जुड़े रहे और अपने पात्रों का चयन भी हमेशा परिवेश के अनुसार ही किया। उनके द्वारा रचित पात्र होरी किसानों का प्रतिनिधि चरित्र बन गया। प्रेमचंद एक सच्चे भारतीय थे। एक सामान्य भारतीय की तरह उनकी आवश्यकताएं भी सीमित थी। उनके कथाकार पुत्र अमृतराय ने एक जगह लिखा है ‘क्या तो उनका हुलिया था,घुटनों से जरा नीचे तक पहुँचने वाली मिल की धोती, उसके ऊपर कुर्ता और पैरों में बन्ददार जूते। आप शायद उन्हें प्रेमचंद मानने से इंकार कर दें लेकिन तब भी वही प्रेमचंद था क्योंकि वही हिन्दुस्तान हैं।‘ प्रेमचंद हिन्दी के पहले साहित्यकार थे जिन्होंने पश्चिमी पूंजीवादी एवं औद्योगिक सभ्यता के संकट को पहचाना और देश की मूल कृषि संस्कृति तथा भारतीय जीवन दृष्टि की रक्षा की। गांधी जी के समान ही देश का पथ प्रदर्शन किया। प्रेमचंद भारतीयता के सच्चे प्रतीक थे। वहीं डॉ सुभाष जैन ने प्रेमचंद की गाथाएं सुनाते हुए कहा कि भारत की संस्कृति को हमें जीवित रखना है एवं आज के युग में हमें प्राकृतिक पर भी विशेष ध्यान देना है। वही वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन चंदेल ने कहा कि राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा का यह कार्यक्रम अविस्मरणीय है इस प्रकार के आयोजन निरंतर होना चाहिए जिससे समाज की दशा और दिशा दोनों पर खासा असर पड़ेगा सभी पत्रकार संगठनों को इस प्रकार के कार्यक्रम नित आयोजन करना चाहिए
अंत में थीम अखबार के संपादक एवं मालिक तथा राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा के प्रमुख कपूर चंद यादव ने प्रेमचंद मुंशी जो कि एक वरिष्ठ पत्रकार हुआ करते थे उनकी पत्रकारों से जुड़ी कई विशेषता बताई एवं पत्रकार सुरक्षा कानून पत्रकारों के हितों में सरकार से किस प्रकार काम कराया जाए या कर आना चाहिए एवं पत्रकारों की लड़ाई हम सबको मिलकर किस प्रकार लड़नी होगी इस पर एक विशेष उद्बोधन भी दिया।
कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ समाजसेवी एवं वरिष्ठ पत्रकार एवं बुद्धिजीवियों को शाल श्रीफल माला मेडल और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया जिसमें विशेष रूप से वरिष्ठ पत्रकार अग्निपथ के अर्जुन चंदेल डॉ सचिन कासलीवाल कमल सिंह राही डॉक्टर सुभाष जैन. मुस्लिम शेख, श्याम माहेश्वरी, विट्ठल नागर , गोपाल बांगरवाल, रजनी तिवारी, अभय मराठेमनोज चतुर्वेदी...........आदि कई लोगों को सम्मानित किया गया तत्पश्चात संपूर्ण लोगों के साथ भोजन का आयोजन भी राष्ट्रीय पत्रकार मोर्चा द्वारा आयोजित किया गया। योगराज जनरल लाइब्रेरी की वेबसाइट लांच की गई कार्यक्रम में एक विशेष बात और यह रही कि संपूर्ण अतिथियों के साथ मिलकर योगराज जनरल लाइब्रेरी की वेबसाइट का उद्घाटन भी किया गया इस वेबसाइट में लाइब्रेरी की संपूर्ण व्यवस्थाएं एवं किताबों और लाइब्रेरी से संबंधित संपूर्ण बातों को विस्तार से बताया गया है जिससे पुस्तक प्रेमियों को और युवाओं को एक विशेष सुविधाएं मिल पाएगी।