वंशानुक्रम कुप्रथा का प्रभाव बच्चों पर न पड़े
किशोर न्याय अधिनियम के जागरूकता शिविर सम्पन्न
उज्जैन | किशोर न्याय (बालकों का संरक्षण) अधिनियम-2015 अन्तर्गत किशोरों की किस प्रकार से देखरेख की जाये कि बालक किसी भी अपराधिक गतिविधि में सम्मिलित न हो व बालक हर प्रकार के व्यसन से अपने आप को दूर रखे, इस हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 30 जुलाई को उज्जैन जिले के महिदपुर विकासखंड अंतर्गत घोंसला ग्राम पंचायत परिसर में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ग्रामीणों को अवगत कराया कि प्रत्येक व्यक्ति वंशानुक्रम कुप्रथा का प्रभाव अपने बच्चों पर न पड़ने दे। अभिभावक बच्चों की विकास अवस्था में इस बात का विशेष ध्यान रखें। बच्चा न सामाजिक और न ही असामाजिक होता है। हमारा परिवेश वंशानुक्रम वातावरण उसमें सामाजिकता का विकास करता है, जो सुरक्षित समाज की मूलभूत आवश्यकता है।
इस आशय के विचार जागरूकता शिविर में किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य श्री ओमप्रकाश गुप्ता ने उपस्थित अभिभावकों से व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि बच्चा स्कूल से आने बाद क्या कर रहा है, कहां जा रहा है, किन बच्चों के साथ खेल रहा है, वह अपनी आयु से बड़े बच्चों के बीच तो अधिक समय व्यतीत नहीं कर रहा है, अभिभावक इस बात पर विशेष दें। अभिभावक इस बात का भी ध्यान रखे की बच्चे भविष्य में व्यसनमुक्त बनें। वह बच्चों को व्यसन के दुष्प्रभावों के बारे में बतायें। बच्चों को व्यसन व कोई भी नशीला पदार्थ क्रय करने के लिए न भेजें अन्यथा विरासत में बच्चों को ये रोग हो सकता है, इससे बचें। बालकों से मित्रवत व्यव्हार करें, जिससे वह सहजतापूर्वक हर बात उनसे साझा करे। अभिभावक यदि बालकों के व्यवहार में किसी भी प्रकार का परिवर्तन देखें तो उसके पीछे की वजह पता करें, ताकि बालक अपने पथ से न भटके। साथ ही अभिभावकों को पता होना चाहिए कि उनके बालक की दोस्ती किस प्रकार के बालकों से है व उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके मित्र हमउम्र है या नहीं। शिविर में परामर्शदाता श्रीमती मृणाल भिलाला द्वारा कहा गया कि शिक्षा ही बालक के व उसके परिवार का अच्छा भविष्य निर्धारित करती है। बालक यदि शिक्षित है तो वह भला-बुरा समझने में सक्षम होता है व कोई उसे बरगला कर उससे गलत काम नहीं करवा सकता है। श्री संतोष पवार सामाजिक कार्यकर्त्ता ने अन्त में आभार व्यक्त किया।