उच्च शिक्षा में दर्शनशास्त्र की अहम भूमिका- डाॅ.काव्या दुबे
उज्जैन। शिक्षा का अर्थ अच्छे गुणों का विकास होता हैं। शिक्षक विद्यार्थी की अंतरनिहित क्षमताओं को विकसित करने में मददगार होता हैं। शिक्षा मानव को सभ्य मनुष्य बनाती हैं। दर्शन जीवन जीने की कला हैं। शिक्षक को उदारमनः होना आवश्यक हैं। यह उद्गार बुन्देलखंड विश्वविद्यालय झांसी की शिक्षा विभाग की अध्यक्ष डाॅ.काव्या दुबे ने माधव काॅलेज के दर्शन शास्त्र विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। उच्च शिक्षा में दर्शन की भूमिका विषय पर आयोजित कार्यक्रम में महाराजा काॅलेज की प्राचार्य डाॅ.सुरेखा जैन ने कहा कि शिक्षा में दर्शन की भूमिका बहुत अधिक होती हैं। शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे हम विद्यार्थियों को आदर्श मार्गदर्शन दे सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यकारी प्राचार्य डाॅ.विक्रम वर्मा ने की। दर्शन शास्त्र की विभागाध्यक्ष डाॅ.शोभा मिश्रा ने कहा कि किताबों से बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। आपने बहुत खुबसूरत किताबों की दुनिया गीत सुना कर विद्यार्थियों को किताबों की ओर उन्मुख करने का पैगाम भी दिया। डाॅ.अरूणा सेठी ने दर्शन का उच्च शिक्षा में महत्व प्रतिपादित किया।
इस अवसर पर ‘‘उच्च शिक्षा में दर्शन की भूमिका’’ पुस्तक का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर डाॅ. रवि मिश्र, एवं संजीव शर्मा, डाॅ. अल्पना उपाध्याय, डाॅ.आर.ए.नागौरी, डाॅ.संदीप लाण्डे, डाॅ.जे.एल.बरमैया, डाॅ.मोहन निसोले, डाॅ.संजय बघेल, डाॅ.धीरज सारोठिया, डाॅ.नीता तोमर, डाॅ.अल्पना दुभाषे, शोधार्थी डाॅ.लक्ष्मी मेहर, मंजू तिवारी, वर्षा चैऋषिया, डाॅ. मौसमी सौलंकी, सरिता पाण्डे, आरती सौलंकी, ममता विश्वास सहित दर्शनशास्त्र के सभी विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ.शोभा मिश्रा ने किया एवं डाॅ.जफर महमूद ने स्वागत वक्तव्य दिया। डाॅ.अर्चना पाण्डेय ने संचालन किया तथा आभार डाॅ.टी.बी. श्रीवास्तव ने व्यक्त किया।