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दस्तक अभियान में 2 लाख 38 हजार से अधिक बच्चों का घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया


उज्जैन ।  मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.रजनी डाबर ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में दस्तक अभियान का प्रथम चरण 10 जून से प्रारंभ होकर 20 जुलाई तक चलाया गया। सम्पूर्ण जिले में दस्तक दल द्वारा लक्षित बच्चों में से दो लाख 38 हजार 333 बच्चों का घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जो लक्ष्य का 127.04 प्रतिशत है। इनमें 377 बच्चे कुपोषित पाये गये, जिनको उपचार हेतु पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर पूर्ण उपचार किया गया। व 971 बच्चे जन्मजात विकृति के पाये गये, जिन्हें जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र जिला चिकित्सालय उज्जैन में रैफर किया गया। दस्तक अभियान के दौरान 1224 ग्रामसभाओं का आयोजन किया गया, जिसमें ग्राम सभा के सदस्यों को अभियान की सम्पूर्ण जानकारी देकर बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण हेतु सहयोग प्राप्त किया।
दस्तक अभियान के दौरान एक लाख 87 हजार 601 ओआरएस के पैकेट वितरण का लक्ष्य जिले में रखा गया था। इसके विरूद्ध दो लाख 40 हजार 361 ओआरएस के पैकेट का वितरण किया गया, जो लक्ष्य का 128.12 प्रतिशत है। अभियान के दौरान 16 हजार 103 बच्चों को डायरिया (दस्त रोग) पाया गया, जिनका उपचार किया गया। अभियान में 2757 बच्चे एनीमिया (रक्त की कमी) के पाये गये, जिनमें से 170 बच्चों का ब्लड ट्रांसफ्यूजन (रक्ताधान) किया गया। 
दस्तक अभियान का मुख्य उद्देश्य जीरो से पांच वर्ष उम्र के बच्चों में प्रमुख रूप से होने वाली बीमारियों को सामुदायिक स्तर पर पहचान कर तुरन्त उसका प्रबंधन करना, ताकि बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। अभियान के अन्तर्गत स्वास्थ्य विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त दल द्वारा जीरो से पांच वर्ष तक के बच्चों वाले परिवारों के घर पर स्वास्थ्य एवं पोषण की दस्तक दी जाकर बच्चों में प्राय: पाई जाने वाली बीमारियों की सक्रिय पहचान एवं उचित प्रबंधन करवाया गया।

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