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भव्य चतुर्मास कलश स्थापना, मार्दव सागर जी का 35 वा चतुर्मास कलश स्थापना हुआ



महावीर के उपासक न चूकते हैं न चौक ते हैं मुनि मार्दव सागर जी महाराज
उज्जैन। उज्जैन चातुर्मास 2019में35 वा मंगल कलश स्थापना संत शिरोमणी आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य परम पूज्य मुनि १०८ श्री मार्दव सागर जी महाराज परम पूज्य मुनि १०८ श्री भद्र सागर जी महाराज द्वय मुनि भगवान महावीर की तपस्थली उज्जैन के श्री शांतिनाथ दि. जैन मंदिर जैन बोर्डिंग में विराजमान है का 21/7/2019 रविवार दोपहर 1ः30 बजे से कार्यक्रम प्रारभ होगा। जो शाम 6ः00 बजे तक कार्यक्रम पश्यत संपूर्ण समाज का वात्सल्य भोज भी हुआ।
उल्लेखनीय है कि संपूर्ण दिगंबर एवं श्वेतांबर जैन समाज में चतुर्मास के 4 मार्च में मुनि एवं आचार्यों के चतुर्मास एक जगह रह कर ही संपन्न किए जाते हैं उसी के अंतर्गत आज महाराज श्री का आज चतुर्मास कलश स्थापना संपन्न हुआ समाज सचिव सचिन कासलीवाल ने बताया कि सर्वप्रथम आचार्य श्री के चित्र का अनावरण दीप प्रज्वलन के पश्चात मंगलाचरण तत्पश्चात संपूर्ण समाज एवं महिला मंडलों द्वारा मुनि श्री की अष्ट द्रव्य से पूजा अर्चना एवं महाराज श्री को संपूर्ण समाज की ओर से श्रीफल प्रस्तुत किया गया। महाराज मार्दव सागर जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि जो महावीर के उपासक होते हैं वह कभी किसी से डरते नहीं हैं और ना ही कभी चूकते हैं और ना ही चूकते हैं वे पहले अपने आप की रक्षा करते हैं अपना स्वयं का धर्म करते हैं तत्पश्चात समाज जनों को धर्म सिखाते हैं और लोगों की रक्षा करते हैं क्योंकि यदि आप स्वयं सुरक्षित होगे स्वयं धर्म करोगे तो अन्य लोगों को भी करा सकोगे निर्भय होते हैं एवं कार्यों से मुक्त होते हैं धर्म के मार्ग पर चलते हुए संसार को नई दिशा देते हैं आचार्य कुंदकुंद स्वामी ने कहा है कि एक साधे सब सधे सब साधे कोई ना सके अर्थात अपनी आत्मा को साधनों तो सब अपने आप ही सब जाएगा अन्यथा आप भव भव में भटकते रहेंगे 52 जनपदों में एक जनपद अवंतिका नगरी का उल्लेख ग्रंथों में हैं जो आज उज्जैन नगरी के नाम से जानी जाती है भगवान आदिनाथ के समय से ही इस नगरी की गाथाएं एवं पौराणिक इतिहास का महत्व है चतुर्मास में अपनी आत्मा में रमते हुए अपना और जगत का कल्याण करना चाहिए धर्म ध्यान करना चाहिए ऐसा उल्लेख सभी ग्रंथों में है।
प्रवचन पश्चात मुनि श्री ने संपूर्ण समाज के साथ मिलकर कलश की स्थापना कराई स्थापना में विशेष संयोग ट्रस्ट के अध्यक्ष इंदरचंद जैन महेंद्र लुहाडिया तेज कुमार विनायका हीरालाल बिलाला आदि संपूर्ण ट्रस्ट का रहा मंच संचालन ज्योति आतंक जैन का रहा संगीतमय कार्यक्रम शैलेंद्र जैन एवं अन्य का रहा एवं संपूर्ण कलश इस प्रकार रहे प्रथम कलश सुषमा जैन पंच परमेश्ठी कलश महेंद्र जैन नरेंद्र बिलाला अशोक जैन राणा वेधा गुलजारीलाल शास्त्री कुमारी आरूषी  नीलेश जैन 11 प्रतिमा कलश सुशीला मैडम, हीरालाल बिलाला, आशीष जैन ,अरिहंत जैन ,कैलाश चंद जैन ,सुशीला संजय सचिन कासलीवाल ,प्रकाश चंद जैन, फूल चंद छाबड़ा, अंतिम विनायका ,महावीर किरण बड़जात्या ,प्रभादेवी जैन अट्ठारह अन्य कलश महिला मंडल एवं सुनील जैन ,राजेश अजमेरा ,महेंद्र लुहाडिया, विनय कुमार गर्ग ,राजेंद्र जैन ,वीरसेन जैन, बसंत कुमार जैन ,अवतन ज्योति जैन, कुसुम देवी, लक्ष्मी चंद जैन, विमला देवी जैन ,अंगूरी बाई, अभय जैन ,ओम प्रकाश जैन ,तीर्थ कॉमेडी ,बावड़ी खेड़ा जैन समाज, दुर्लभ कुमार जैन, आदि संपूर्ण कलश समाज जनों के साथ चतुर्मास के लिए स्थापित किए गए बाहर से आए संपूर्ण अतिथियों का सम्मान एवं स्वागत किया गया।

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