जल संरक्षण के लिये प्रशासन के साथ-साथ जन-भागीदारी की बेहद आवश्यकता
जल संरक्षण के लिये विधिवत योजना बनाकर कार्य किया जाये - श्री कमल दत्ता, जल शक्ति अभियान की कार्यशाला-सह-बैठक सम्पन्न
उज्जैन | गुरूवार को सिंहस्थ मेला कार्यालय के सभाकक्ष में जल शक्ति अभियान के अन्तर्गत कार्यशाला-सह-बैठक आयोजित की गई। बैठक में उज्जैन जिले में भूजल स्तर बनाये रखने और वर्षा ऋतु के जल संरक्षण पर विचार-विमर्श किया गया। बैठक की अध्यक्षता संयुक्त सचिव खाद्य एवं आपूर्ति विभाग भारत सरकार श्री कमल दत्ता ने की। उन्होंने कहा कि उज्जैन जिले में जल संरक्षण के लिये अच्छा कार्य हो रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा देशभर में 255 जिलों के अन्दर ऐसे ब्लॉक चिन्हित किये गये थे, जिनमें भूजल स्तर काफी तेजी से नीचे जा रहा है, जोकि चिन्ता का विषय है। भूजल स्तर को बनाये रखने के लिये जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय जन-भागीदारी की भी बेहद जरूरत है। जिन ब्लॉक में भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है, वहां वर्षा ऋतु के दौरान जल संरक्षण के प्रयास किये जाने हैं। इसी उद्देश्य से उज्जैन में आज जल शक्ति अभियान की बैठक और कार्यशाला आयोजित की गई है।
उज्जैन जिले में उज्जैन, घट्टिया और बड़नगर विकास खण्ड में भूजल का स्तर काफी नीचे चला गया है। चूंकि उज्जैन की भौगोलिक स्थिति सपाट स्थल पर है, इसीलिये यहां सतह सिंचाई किस प्रकार की जाये, इसके लिये उपाय किये जाना जरूरी है। उज्जैन में खेतों की सिंचाई अधिकतर कुओं और ट्यूबवेल के माध्यम से होती है, जोकि भूजल स्तर के गिरने की प्रमुख वजह है। यहां सतह सिंचाई को अधिक से अधिक उपायोग में लाना चाहिये। जिला स्तर पर जल संरक्षण के लिये विधिवत प्रस्ताव तैयार किया जाये। परम्परागत फसलों के स्थान पर क्रॉप रोटेशन किया जाये। ऐसी फसलें लगाई जायें, जिनमें पानी कम लगता हो। जल संरक्षण में जिन गांवों में अच्छा काम हुआ है, उन्हें आदर्श ग्राम बनाया जाये, ताकि अन्य आसपास के गांव भी उनसे प्रेरणा ले सके। श्री दत्ता ने जानकारी दी कि जल शक्ति अभियान के अन्तर्गत जल शक्ति एप भी बनाया गया है। इसे प्लेस्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। जल संरक्षण के क्षेत्र में जो भी कार्य किये जायें, उनके फोटोज इस एप पर अपलोड किये जायें। ब्लेक वाटर और ग्रे वाटर ट्रीटमेंट के लिये और कारगर तरीके अपनाये जायें।
बैठक में अतिरिक्त वित्तीय सलाहकार कृषि एवं सहकारिता विभाग भारत सरकार श्री बीएल मीना और एनआईएच बेलगांव के वैज्ञानिक डॉ.बीके पुरेंदेद्र भी मौजूद थे। डॉ.पुरेंदेद्र ने कहा कि उज्जैन जिले में वाटर हार्वेस्टिंग पर अधिक से अधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिये। इसके लिये आमजन को जागरूक करना बहुत जरूरी है। अगर हम भूजल का संरक्षण नहीं करेंगे तो भविष्य में भीषण सूखे का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिये गांवों में विद्यालय के बच्चों को भी जागरूकता अभियान के अन्तर्गत शामिल किया जाना चाहिये। समय-समय पर प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिये।
श्री बीएल मीना ने कहा कि जल शक्ति अभियान के अन्तर्गत जुलाई, अगस्त और सितम्बर में वर्षा ऋतु के दौरान वाटर रिचार्ज किया जाना बेहद जरूरी है। इसके व्यापक नतीजे हमें 15 सितम्बर तक देखने को मिलेंगे। इसके लिये अभी से युद्धस्तर पर प्रयास किये जाने जरूरी हैं। वाटर रिचार्ज के लिये जो भी तरीके हम अपनायें, वे किफायती हों और उन्हें आसानी से मेंटेन किया जा सके।
कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने पॉवर पाइन्ट प्रजेंटेशन के माध्यम से जानकारी दी कि उज्जैन जिले का कुल क्षेत्रफल 6091 क्वेयर किलो मीटर है। वर्षा ऋतु के दौरान यहां औसत वर्षा 906.9 मिमी होती है। उज्जैन जिले की प्रमुख नदी शिप्रा नदी है और अन्य सहायक नदियां चंबल, गंभीर, चामला आदि है। जिले में गंभीर डेम निर्मित है, जिससे वर्षभर पेयजल और सिंचाई के लिये जल उपलब्ध कराया जाता है। जल संसाधन विभाग के अन्तर्गत बड़े बांध और तालाब निर्माण, नहर निर्माण और सिंचाई संरचनाओं पर काम किया जा रहा है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अन्तर्गत मनरेगा में चेकडेम, तालाब निर्माण, कंटूर ट्रेंच, वृक्षारोपण, वेस्टवियर निर्माण, परलोकेशन टैंक आदि का निर्माण किया जाता है। ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री ग्राम सरोवर योजना के अन्तर्गत छोटे तालाबों का निर्माण किया गया है। कृषि विभाग के अन्तर्गत बलराम तालाब और वन विभाग के अन्तर्गत वृक्षारोपण समय-समय पर किया जाता रहा है।
इसके अलावा तालाबों के गहरीकरण और जीर्णोद्धार के लिये भी समय-समय पर कार्य किये गये हैं। बड़नगर में सिजावता और अमलावदाबिका तथा घट्टिया में झितरखेड़ी और खलाना में चेकडेम बनवाये गये हैं। साथ ही नजरपुर, पलवा, ऊंटवास और दुदरसी में वृक्षारोपण भी किया गया है। जिले में 235 ग्राम पंचायतों में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का कार्य किया गया। एकीकृत जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के तहत कुल 293 कार्य स्वीकृत हुए हैं। इनकी जल भण्डारण क्षमता (घन मीटर में) 1277440 है। मुख्यमंत्री ग्राम सरोवर योजना के तहत तराना के बरनावद, खाचरौद के बरखेड़ामांडन और नन्दवासला में तालाब निर्माण किये गये हैं।
बलराम तालाब योजना के अन्तर्गत जिले में वर्ष 2018-19 तक कृषकों द्वारा निजी भूमि पर 481 बलराम तालाबों का निर्माण किया गया है। वन विभाग के सहयोग से शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर 20 किलो मीटर पर ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिये लगभग एक लाख पौधे रोपित किये गये हैं, जिसमें नगर निगम, वन विभाग, जिला प्रशासन, स्वयंसेवी संस्थाओं और आम नागरिकों ने सहभागिता की।
कलेक्टर ने बैठक में कहा कि उज्जैन जिले की पहचान शिप्रा नदी से है। शिप्रा यहां का प्रमुख जल सरोवर है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिये जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर कार्य किये जा रहे हैं। जल संरक्षण के लिये स्टापडेम और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर बनाये जाने के लिये भविष्य में परियोजनाएं बनाये जाने की जरूरत है। जल संरक्षण के लिये जन-भागीदारी को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
बैठक में अपर कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता और अन्य सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद थे। संयुक्त सचिव श्री दत्ता द्वारा जल संरक्षण की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा किये गये कार्यों की प्रशंसा की गई।