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अगर महिला स्वयं की आय अर्जित कर रही है, तो भी वह पति से भरण पोषण प्राप्त कर सकती है’



उज्जैन। उज्जैन निवासी रेखा का विवाह 26 जनवरी 2016 को इंदौर निवासी लोकेश  के साथ हुआ था। प्रकरण के अनुसार विवाह के कुछ समय बाद ही रेखा अपने पति एवम सास-ससुर की प्रताड़ना से तंग होकर अपने पति के निवास स्थान से अपने पिता के यहां उज्जैन आ गई। रेखा एवम उसके माता-पिता द्वारा पुनर्स्थापना के प्रयास किये गए, किन्तु कोई अनावेदक के रवैये के कारण कोई हल ना निकलने पर अपने जीवन-यापन हेतु एक निजी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्य करने लगी जिससे उसे तनख्वाह के रूप में उसे आय होने लगी। आवेदिका और उसके माता-पिता की ओर से कई बार अनावेदक के साथ पुनर्स्थापना के  कई प्रयास किये गए जो निष्फल हो गए और अनावेदक लोकेश द्वारा रेखा को अपने साथ रखने से स्पष्ट मना कर दिया तो मजबूर होकर आवेदिका रेखा ने अपने अधिवक्ता यशवंत अग्निहोत्री के माध्यम से परिवार न्यायालय उज्जैन के समक्ष भरण पोषण हेतु एक आवेदन पत्र प्रस्तुत किया। जिसमें उज्जैन परिवार न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश श्री अंजनीनंदन जोशी के न्यायालय द्वारा संपूर्ण साक्ष्य उपरांत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया गया, की   चाहे आवेदिका आय अर्जित कर रही हो, फिर आवेदिका  को अनावेदक के जीवन स्तर के अनुरूप जीवन यापन का अधिकार है। प्रकरण में आवेदिका रेखा के अधिवक्ता यशवंत अग्निहोत्री द्वारा साक्ष्य के दौरान अनावेदक लोकेश के उच्च जीवन स्तर एवं उच्च शिक्षण को सिद्ध किया एवं अपनी ओर से विभिन्न माननीय हाइकोर्ट एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट के 6 न्यायदृष्टांत भी प्रस्तुत किए।
अतिरिक्त प्रधान कुटुंब न्यायालय उज्जैन द्वारा दिनांक 4ध्7ध्2019 निर्णय पारित करते हुए अनावेदक लोकेश को आदेशित किया कि वह आवेदिका रेखा को ₹6000 प्रतिमाह भरण-पोषण राशि प्रदान करें।

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