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गीतों के तुम कहलाये सरताज मोहन सोनी



कवियों ने मालवी कवि मोहन सोनी को अर्पित की काव्यांजलि
उज्जैन। कालिदास अकादमी के अभिरंग सभागृह में देश के प्रख्यात कवियों ने हिन्दी के प्रसिद्ध कवि स्व. मोहन सोनी को अपनी काव्य रचनाओं से काव्यांजलि दी। कवियों ने कहा कि मोहन सोनी जी की कविताओं का रस अलग अलग था और उन्होंने मालवी भाषा ही नहीं बल्कि हिन्दी, उर्दू भाषाओं में भी कविताओं का सृजन किया। 
प्रख्यात कवि सत्यनारायण सत्तन ने समां बांधते हुए कहा कि कवि कभी मरता नहीं बल्कि अपनी कविताओं से, सृजन से हमेशा अपने चहेतों के दिलों में ज़िंदा रहता है। सत्तनजी ने मोहन सोनी जी के साथ की गई अपनी मंचीय यात्राओं की स्मृतियाँ साझा कीं। कविवर नरेन्द्रसिंह अकेला ने काव्यांजलि का प्रारंभ करते हुए कहा कि दादा मोहन सोनी ने शहर ही नहीं बल्कि ग्रामीण अंचलों में भी अपनी धाक जमाई। अकेला ने काव्यांजलि प्रस्तुत करते हुए कहा ‘भीड़ में आवाज देकर कहाँ खो गए, तुम याद बहुत आओगे कविराज मोहन सोनी, गीतों के तुम कहलाये सरताज मोहन सोनी।
काव्यांजलि का प्रारंभ मोहन सोनी जी के चित्र पर अतिथि कवियों द्वारा पुष्पांजली से हुआ। काव्यांजलि में प्रख्यात कवि शिव चौरसिया, देवकृष्ण व्यास, शशिकांत यादव, सुनील गाइड, प्रदीप नवीन, कैलाश तरल, कैलाश सोनी सार्थक, सुरेन्द्र हमसफ़र, कैलाश जैन, सतीश सागर आदि कवियों ने अपनी कविताओं से मोहन सोनी जी को काव्यांजलि दी। अतिथि कवियों का स्वागत दिनेश विजयवर्गीय, स्वामी मुस्कुराके, पिलकेंद्र अरोरा, राकेश चौहान, प्रमोद सोनी आदि ने किया। काव्यांजलि में डॉ देवेन्द्र जोशी, संदीप सृजन, डॉ. हरीशकुमार सिंह, अनिल कुरेल, डॉ. रफीक नागोरी आदि उपस्थित रहे।

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