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इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया में अब तक आए 12,000 मामले


नई दिल्ली । इन्सॉल्वेंसी कानून लागू होने और नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) का गठन होने के बाद से अब तक इससे संबंधित 12,000 मामले दाखिल हो चुके हैं। कॉरपोरेट मामलों के सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) आखिरी विकल्प होना चाहिए और एनसीएलटी इन्सॉल्वेंसी मामलों को अत्यधिक तेजी से निपटा रहा है।

उन्होंने कहा कि कुछ एनसीएलटी में दाखिल किए गए मामलों की संख्या और निस्तारित हो चुके मामलों की संख्या करीब समान है। इसका मतलब यह हुआ कि मामला लंबित नहीं है। आइबीसी के तहत टिब्यूनल की अनुमति के बाद ही मामले पर कार्रवाई शुरू की जा सकती है। देशभर में अलग-अलग जगहों पर एनसीएलटी की पीठ स्थापित की गई है। व्यक्तिगत इन्सॉल्वेंसी के मामले में श्रीनिवास ने कहा कि इसके साथ अत्यधिक सावधानी पूर्वक और योजनाबद्ध तरीके से निपटा जाना चाहिए।

व्यक्तिगत इन्सॉल्वेंसी का मुद्दा एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसपर हमने सबसे पहले ध्यान दिया है। अभी करीब 77 लाख करोड़ रुपये का नॉन-फूड कर्ज बकाया है। इसमें उद्योग की हिस्सेदारी करीब 26 लाख करोड़ रुपये की है। सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 21 लाख करोड़ रुपये की है। इन दोनों सेगमेंट की कुल मिलाकर 48 लाख करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। यह बकाए नॉन-फूड कर्ज का 70 फीसद है। तीस फीसद बच गया है, जिसका अब निदान निकालना है।व्यक्तिगत इन्सॉल्वेंसी के दो तरीके हैं। एक तरीका है पहले इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया चले और उसके बाद बैंक्रप्सी प्रक्रिया चले। दूसरा तरीका है नए सिरे से शुरुआत हो। 

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