फ्लैट खरीदने वालों को सरकार ने दिया तोहफा, देना होगा मात्र एक फीसदी GST
नई दिल्ली। फ्लैट खरीदारों को जीएसटी काउंसिल ने बेहतरीन तोहफा दिया है। दिल्ली-एनसीआर सहित महानगरों में 60 वर्गमीटर और छोटे शहरों (नॉन-मेट्रो सिटी) में 90 वर्गमीटर कारपेट एरिया और 45 लाख रुपये तक मूल्य वाले अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट पर अब मात्र एक फीसद जीएसटी लगेगा।
वहीं इससे अधिक क्षेत्रफल या कीमत वाले निर्माणाधीन फ्लैट पर सिर्फ पांच फीसद जीएसटी देना होगा। आवासीय परियोजनाओं पर जीएसटी की ये दरें पहली अप्रैल से प्रभावी होंगी।
खास बात यह है कि जो परियोजनाएं अभी निर्माणाधीन हैं, उन पर भी ग्राहकों को इसका लाभ मिलेगा। हालांकि काउंसिल ने सिर्फ जीएसटी की गणना के मामले में अफोर्डेबल हाउसिंग का दायरा 45 लाख रुपये तक बढ़ाया है।
नई व्यवस्था में बिल्डरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 33वीं बैठक में रविवार को इस आशय का फैसला किया गया।
काउंसिल हालांकि लॉटरी पर जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाने के संबंध में कोई निर्णय नहीं कर पाई। लॉटरी पर जीएसटी की दरों के बारे में अब अगली बैठक में फैसला होगा।
जेटली ने कहा कि काउंसिल ने अफोर्डेबल हाउसिंग पर जीएसटी की दर आठ फीसद (अबेटमेंट के साथ) से घटाकर एक फीसद और सामान्य हाउसिंग पर जीएसटी 12 फीसद (अबेटमेंट के साथ) से घटाकर पांच फीसद करने का निर्णय किया है।
हालांकि जीएसटी दरों में कटौती के साथ बिल्डरों को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार रियल एस्टेट को बढ़ावा देना चाहती है, इसलिए यह निर्णय किया गया है। इससे मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग और कमजोर आय वर्ग को मकान खरीदने में सुविधा होगी।
ये हैं मापदंड
जेटली ने कहा कि अफोर्डेबल की परिभाषा में दिल्ली-एनसीआर, चेन्नई, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में 60 वर्गमीटर और नॉन-मेट्रो शहरों में 90 वर्गमीटर कारपेट एरिया तथा 45 लाख रुपये तक मूल्य वाले अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट शामिल होंगे।
10 मार्च तक तैयार होगा नियमों का प्रारूप
काउंसिल ने फिटमेंट कमिटी और लॉ कमिटी को रियल एस्टेट के संबंध में ट्रांजीशन नियम बनाने को भी कहा है। समिति 10 मार्च तक इन नियमों का प्रारूप तैयार कर लेगी जिसके बाद काउंसिल की अगली बैठक में इन पर विचार किया जाएगा। अगली बैठक वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से होगी।
ट्रांजीशन नियमों का लाभ उन ग्राहकों को भी मिल सकेगा जिन्होंने अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट बुक किया हुआ है लेकिन उस प्रोजेक्ट को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है।
कहीं नकदी का प्रचलन न बढ़ जाए?
जेटली ने कहा कि रियल एस्टेट में फिर से नकदी का प्रचलन न बढ़ जाए, इसके लिए भी काउंसिल उपाय करेगी। इसके लिए यह जरूरी होगा कि बिल्डर्स को कच्चे माल की अधिकाधिक खरीदारी पंजीकृत डीलर से ही करनी होगी।
पहले दो दरें थीं...
अफोर्डेबल परियोजना के लिए : जीएसटी की दर 12 फीसद रखी गई थी, लेकिन इन परियोजनाओं में जमीन की कीमत को देखते हुए 30 फीसद के अबेटमेंट के साथ प्रभावी जीएसटी दर आठ फीसद थी।
सामान्य परियोजना के लिए : जीएसटी की दर 18 फीसद थी लेकिन 30 फीसद अबेटमेंट के साथ इसकी प्रभावी दर 12 फीसद रह गई थी।