पीएम मोदी ने दिखाई 'वंदे भारत एक्सप्रेस' को हरी झण्डी, पहली यात्रा के लिए बिक गई सारी टिकट
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकवादी हमलों की पृष्ठभूमि में गमगीन माहौल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पहली सेमी हाई स्पीड ट्रेन ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाई. दिल्ली और वाराणसी के बीच सप्ताह में पांच दिन चलने वाली इस ट्रेन की पहली यात्रा के लिए टिकटें पूरी तरह बिक गई हैं. रेलवे के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है. रेलवे अधिकारी ने बताया कि इस ट्रेन की पहली व्यवसायिक यात्रा 17 फरवरी से शुरू होगी. लेकिन उससे पहले आने-जाने वाली दोनों यात्राओं के लिए टिकटें बुक हो गई है. यह बुकिंग गुरुवार सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर ही हो गई.
किस कैटेगरी में टिकट की कितनी कीमत
दिल्ली से वाराणसी का एसी चेयर टिकट 1760 रुपये है जबकि एक्सक्यूटिव कैटेगरी का टिकट 3310 रुपये है. लौटने में टिकट क्रमश: 1700 और 3260 रुपये होंगे. दोनों किरायों में कैटरिंग शुल्क शामिल है. चेयर कार का किराया शताब्दी ट्रेनों के किराए से 1.4 गुना ज्यादा है. इस ट्रेन में 16 एसी कोच हैं जिनमें दो एक्जीक्यूटिव कैटेगरी के हैं. वहीं सभी कोच में स्वचालित दरवाजे, जीपीएस आधारित दृश्य-श्रव्य यात्री सूचना प्रणाली, मनोरंजन के उद्देश्य से ट्रेन के अंदर हॉटस्पॉट वाईफाई और बेहद आरामदायक सीटें हैं. इसके अलावा कुल 1,128 यात्रियों के बैठने की क्षमता है. हर कोच में पैंट्री (रसोई) की व्यवस्था है. यात्रियों के अतिरिक्त आराम के लिये डिब्बों में गर्मी और ध्वनि से बचाव की विशेष व्यवस्था है.
ट्रेन के उद्घाटन यात्रा के दौरान रेल मंत्री पीयूष गोयल ट्रेन में ही थे. उन्होंने इस दौरान पत्रकारों से बात भी की. बातचीत में उन्होंने कहा कि और 30 ऐसी ही ट्रेनों के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. गोयल ने बताया कि ट्रेन 18 से नयी दिल्ली-वाराणसी के बीच यात्रा अवधि में कमी होगी. सफर घटकर 8 घंटे रह जाएगा जबकि अन्य ट्रेनों में 13 से 14 घंटे लगते हैं. बता दें कि दिल्ली-वाराणसी मार्ग (776 किलोमीटर) पर सबसे तेज ट्रेन को 11.5 घंटे लगते हैं जबकि रेलवे अधिकारी के मुताबिक इसे आठ घंटे लगेंगे.
इससे पहले पीएम मोदी ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाते हुए कहा कि दिल्ली से वाराणसी की अपनी पहली यात्रा पर रवाना हुई वंदे भारत एक्सप्रेस के डिजाइनरों और इंजीनियरों का मैं आभारी हूं. पिछले साढ़े चार साल में अपनी ईमानदारी और कड़ी मेहनत से हमने रेलवे को सुधारने का प्रयास किया है.