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संविधान का साक्षी मान जोड़ें ने रचाई शादी



आमतौर पर शादी-विवाह में दूल्हा-दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लेते हैं. इन सबके बीच एक अनूठी शादी चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल, एक नवविवाहित जोड़े ने एकदूसरे का साथ निभाने के सातों वचन एक अलग ही अंदाज में लिये. 

इस अनूठी शादी में एक प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर ने अग्नि को साक्षी मानकर नही बल्कि संविधान की सौगंध खाकर अपने हमसफर के साथ जीवन बिताने का प्रण लिया.

सात फेरे लेकर एक दूजे को होना तो आम बात हो गई, लेकिन मध्य प्रदेश के बैतूल में प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने गणतंत्र दिवस पर संविधान को साक्षी मानकर की. 
  
सात फेरे लेकर एक दूजे को होना तो आम बात हो गई, लेकिन मध्य प्रदेश के बैतूल में प्रशिक्षु डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने गणतंत्र दिवस पर संविधान को साक्षी मानकर की.

निशा का विवाह दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में पदस्थ सुरेश अग्रवाल के साथ हुआ. 26 जनवरी को दोनों ने थाईलैंड स्थित बौद्ध विहार में संविधान की प्रति को थामकर एक दूसरे के साथ विवाह किया. 

देश वापस आकर उन्होंने हरियाणा के गुरुग्राम में भी संविधान को साक्षी मानकर विवाह किया. इसके बाद रजिस्टर्ड शादी की. डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने बताया कि बचपन से भारत के संविधान के प्रति काफी आस्था और अटूट विश्वास रहा है.
  
उनका मानना है कि यह दुनिया का बेहतरीन संविधान है, जो अनेकता में एकता का संदेश देने के साथ ही सभी वर्गों के मौलिक अधिकारों को अक्षुण्ण बनाए रखता है. देश को एक सूत्र में बांधने का काम भी संविधान करता है.

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