यहॉं रात में जाने वाले हो जाते है पागल !
देश में आज भी धार्मिक महत्व के कई ऐसे स्थान हैं, जिनकी तह तक विज्ञान नहीं पहुंच पाया है। ऐसा ही एक स्थान है निधिवन। निधिवन उत्तरप्रदेश के वृंदावन में यमुना नदी के चीरघाट के नजदीक है। इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। यह वही स्थान है जहां द्वापरयुग में श्रीकृष्ण ने रासलीला रचाई थी। यह स्थान श्री राधारानी की अष्टसखियों में प्रधान ललिता सखी के अवतार के रूप में भी जाना जाता है।
कहते हैं यहां वर्तमान में श्रीकृष्ण गोपियों संग रासलीला करते हैं। जो भी इस पूरे नृत्य की महज एक झलक देख लेता है, पागल हो जाता है। यही कारण है कि शाम होते ही निधिवन में जाना पूरी तरह से निषेध है।
आलम यह है कि पशु-पक्षी भी रात के समय निधिवन के आस-पास नहीं रहते। निधिवन के पेड़ भी अद्भुत हैं। यहां पेड़ों की शखाएं नीचे की ओर बढ़ती हैं। इस वन में तुलसी के पौधे बहुत ज्यादा हैं।
निधिवन में ही राधाजी का एक मंदिर है। इस दिव्य वन में एक कुंड भी मौजूद है जिसे विशाखा कुंड के नाम से जाना जाता है।
एक मान्यता यह भी
- एक मान्यता यह भी है कि इस वन में लगी तुलसी की कोई भी एक डंडी नहीं ले जा सकता। लोग बताते हैं कि जो भी इसे ले गया, वो किसी न किसी आपदा का शिकार हो गया।
- वन के आसपास बने मकानों में खिड़कियां नहीं हैं। निवासी बताते हैं कि शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता। जिन लोगों ने देखने का प्रयास किया या तो अंधे हो गए या फिर उनके ऊपर दैवी आपदा आ गई।
- जिन मकानों में खिड़कियां हैं भी, उनके घर के लोग शाम सात बजे मंदिर की आरती का घंटा बजते ही बंद कर लेते हैं। कुछ लोगों ने तो अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद भी करवा दिया है।
- तुलसी के पेड़ जोड़े में हैं। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा संग कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं।
रंग महल भी रहस्य से कम नहीं
निधिवन के अंदर ही है 'रंग महल' जिसके बारे में मान्यता है की रोज रात यहां पर राधा और कन्हैया आकर रास रचाते हैं। रंग महल में राधा और कन्हैया के लिए रखे गए चंदन की पलंग को शाम सात बजे के पहले सजा दिया जाता है। पलंग के बगल में एक लोटा पानी, राधाजी के श्रृंगार का सामान और दातुन संग पान रख दिया जाता है।सुबह पांच बजे जब 'रंग महल' का पट खुलता है तो बिस्तर अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली, दातुन कुची हुई और पान खाया हुआ मिलता है।