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3 आतंकी के साथ 7 पत्थरबाज भी मारे गए, अब श्री केपीएस गिल जैसा व्यक्ति चाहिए


                                              डॉ. चन्दर सोनाने

               जम्मूकश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों ने हाल ही में 3 आतंकवादियों को मार गिराया। इस दौरान स्थानीय पत्थरबाजों ने सुरक्षाबलों को घेर लिया और उन पर पत्थर बरसाने लगे। उन्हें खदेड़ने के लिए की गई कार्यवाही में 7 पत्थरबाज भी मारे गए। इनके साथ ऐसा ही सलूक होना चाहिए, तब स्थिति में सुधार आयेगा।

            उल्लेखनीय है कि सेना के भगोड़े जहुर अहमद ठोकर सहित 3 आतंकियों के खिलाफ सुरक्षा बलों द्वारा ऑपरेशन चलाया गया था। ठोकर इसी गांव पुलवामा का निवासी था। उसके मुदभेड में फंसने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में स्थानीय लोग वहाँ पहुंच गये और आतंकियों को बचाने के लिए सेना पर पत्थर बरसाने लगे। सुरक्षा बलों ने केवल 25 मिनिट में ठोकर सहित तीनों आतंकवादियों को मार गिराया। किन्तु पत्थरबाजों द्वारा घेर लेने और पत्थरबाजी करने पर सुरक्षा बलों का मुदभेड वाले इलाके से निकलना मुश्किल हो गया। पत्थरबाज नारेबाजी व पत्थर बरसाते हुए सेना के वाहनों पर भी चढ़ गये। चेतावनी के लिए किये गये हवाई फॉयर पर भी वे लोग नहीं हटे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा बलों को गोली और पेलेट्स चलाने पडे़। इससे 7 पत्थरबाज मारे गये। इसमें करीब 35 प्रदर्शनकारी घायल भी हुए ।

           सुरक्षा बलों द्वारा इस वर्ष ऑपरेशन ऑलआउट 2018 चलाया गया था। सुरक्षा बल द्वारा की गई सख्त कार्यवाही के कारण इस साल 251 आतंकियों को सुरक्षाबल ने ढेर कर दिया। इसमें 132 स्थानीय पत्थरबाज और 119 पाकिस्तान से आये आतंकी थे। उल्लेखनीय है कि पिछले नवम्बर माह में ही 39 आतंकवादी मारे गये थे। जम्मूकश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मेहबूबा मुफ्ती के मुख्यमंत्री पद से हटते ही तथा जम्मूकश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद आतंकवादियों के विरूद्ध की गई कार्यवाही में तेजी आ गई। इस कारण इस वर्ष सुरक्षा बलों ने सख्ती दिखाई और आतंकवादियों पर अच्छा नियंत्रण रखने का प्रयास किया।

           लगभग तीन दशक पहले पंजाब आतंकवादियों से ग्रसित था। पृथक खालिस्तान राज्य की मांग को लेकर पंजाब में उग्र आंदोलन हो रहे थे। आमजन का जीना दूभर हो गया था।  तब वहाँ श्री केपीएस गिल जैसे सख्त आईपीएस अधिकारी की तैनाती की गई और उन्हें आतंकवादियां पर नियंत्रण रखने की खुली छूट दी गई। श्री गिल ने राजनैतिक दृढ़ इच्छा शक्ति का संरक्षक प्राप्त कर आतंकवादियों पर और उन्हें सहयोग देने वाले हर एक व्यक्ति पर जबरजस्त शिकंजा कसा। उनकी सख्त कार्यवाही से एक के बाद एक आतंकवादी मारे जाते रहे और करीब एक साल में ही पंजाब में आतंकवादियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया। तब से पंजाब शान्त है। अब जम्मूकश्मीर में भी बहुत हो चुका। वहाँ पर भी अब श्री केपीएस गिल जैसा व्यक्ति चाहिए, जो आतंकवादियों को ठिकाने लगा दें और जम्मूकश्मीर में फिर से शान्ति कायम कर सके। श्री गिल पंजाब में इसलिए अपना काम अच्छी तरह कर सके क्योंकि उन्हें आतंकवादियों पर नियंत्रण के लिए पूरी छूट दे रखी थी। अब वैसी ही छूट और अधिकार देकर श्री गिल जैसा ही सख्त रूख अपनाने वाले अधिकरी की जम्मूकश्मीर में भी आवश्यकता है। यह तब ही संभव होगा जब केन्द्र शासन इस दिशा मे दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय दे सकेगा। क्या यह संभव होगा ? क्या प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ऐसा कर पायेंगे ?

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