पुख्ता तैयारी के बाद दिया गया था सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम
चंडीगढ़ : 'सर्जिकल स्ट्राइक का मतलब यह नहीं कि इसके बाद आतंकवाद खत्म ही हो जाएगा। इसका मकसद पाकिस्तान को करारा जवाब देना था। सर्जिकल स्ट्राइक से यह समझना कि अब आतंक खत्म हो गया या पाकिस्तान बाज आ जाएगा, गलत है।' सर्जिकल स्ट्राइक में अहम भूमिका अदा करने वाले ले. जनरल डीएस हुड्डा ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक की पुख्ता तैयारी की गई थी ताकि किसी जवान को नुकसान न हो। वह चंडीगढ़ लेक क्लब में शुक्रवार से शुरू हुए आर्मी मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में रोल ऑफ क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन एंड सर्जिकल स्ट्राइक विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारा था। इसका मतलब यह नहीं कि उसके बाद आतंक खत्म हो गया।
सर्जिकल स्ट्राइक एक ऑपरेशन था। ऐसे ऑपरेशन समय की मांग के हिसाब से होते रहते हैं। पाकिस्तान ने पठानकोट और उरी में आतंकी हमले किए थे। इसका जवाब देने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी थी। यह विश्व के सबसे महत्वपूर्ण सफल ऑपरेशन में से एक था। इसमें भारतीय सेना के जवान न केवल सीमा पार कर पाकिस्तान के अंदर कई किलोमीटर तक दाखिल हुए। बल्कि लांच पैड ध्वस्त कर 60 से 70 आतंकियों को मारकर वापस भी लौटे और कोई जवान चोटिल नहीं हुआ।
आर्मी और देश के नजरिए से यह बहुत बड़ी सफलता थी। जिससे सेना का मनोबल बढ़ा। जब उनसे सवाल किया गया कि सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण कहां तक ठीक है। इस पर हुड्डा ने कहा कि यह सेना की बड़ी जीत थी। लोगों तक संदेश पहुंचना ठीक है, लेकिन इस पर ज्यादा चर्चा ठीक नहीं है।
कर्नल अजय शुक्ला ने कहा कि अमेरिका जैसे देशों में ऐसी स्थिति में ग्रेनेड अटैक, मिसाइल से हमले किए जाते हैं। सैनिकों को सीमा पार ऑपरेशन के लिए भेजना अंतिम विकल्प होता है। ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक जैसे फैसलों से पहले सोचना जरूरी है। सर्जिकल स्ट्राइक दो बड़े आतंकी हमलों के बाद हुई थी। जिस कारण यह मिलिट्री व सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण थी।