विधायकों और सांसदों के खिलाफ दर्ज हैं चार हजार से अधिक आपराधिक मामले
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट को मंगलवार को बताया गया कि 4,122 आपराधिक मामले मौजूदा और पूर्व विधायकों व सासंदों के खिलाफ लंबित हैं। इनमें से कुछ मामले तो तीन दशक से भी पुराने हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बेंच मंगलवार को एक जनहित याचिका पर मौजूदा और पूर्व विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों का मुद्दा उठाएगी।
शीर्ष अदालत ने विभिन्न हाईकोर्ट से मौजूदा और पूर्व विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों पर एक विस्तृत डाटा मांगा है। इसका मकसद पर्याप्त संख्या में स्पेशल कोर्ट को स्थापित करना है, ताकि इन मामलों को जल्द से जल्द निपटाया जा सके। वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया इस मामले में बतौर एमिकस क्यूरिस मदद कर रहे हैं। उन्होंने एडवोकेट स्नेहा कालिता के साथ मिलकर राज्यों और हाई कोर्ट से मिले डेटा को हासिल किया और उसे सुप्रीम कोर्ट में जमा किया।
इस डेटा से जानकारी मिली है कि 264 मामलों में हाई कोर्ट ने ट्रायल पर स्टे लगा दिया है। इसके अलावा 1991 से कई मामले लंबित पड़े हैं, जिसमें आरोप तक तय नहीं किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हर हाई कोर्ट से कहा है कि वह संबंधित राज्यों में कई सेशन और मजिस्ट्रेट कोर्ट को पदस्थ करे, ताकि वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों के खिलाफ लंबित मामलों का निपटारा हो सके।
सुप्रीम कोर्ट ने सेशन्स कोर्ट से कहा है कि वे विधायकों और सांसदों के खिलाफ 430 क्रिमिनल केस को प्राथमिकता के आधार पर लें। कोर्ट भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय के द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करेगा कि क्रिमिनल केस में दोषी ठहराए गए नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया जाए। इसके साथ ही चुने गए प्रतिनिधियों के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज होने पर उनकी तेज सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट गठित किए जाएं।