पहली-दूसरी के बच्चों को होमवर्क से छुट्टी, देर से किन्तु सही निर्णय
संदीप कुलश्रेष्ठ
पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चां के लिए खुशखबरी है। अब पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को होमवर्क नहीं करना पड़ेगा। उनके बस्तां का बोझ अब कम कर दिया गया है। साथ ही यह भी किया जा रहा है कि निजी स्कूलों द्वारा अपनी मनमर्जी से अतिरिक्त किताबें अब बच्चों पर लादी नहीं जा सकेगी।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी राज्यां और केन्द्र शासित प्रदेशां को इस संबंध में गाइड लाइन तैयार कर लागू करने के निर्देश दिये हैं। इसके साथ ही कक्षा पहली से 12 वीं तक के बच्चां के बस्तों का अधिकतम बोझ भी तय कर दिया गया है।
अभी बच्चां को दे रहे हैं होमवर्क -
मध्यप्रदेश सहित देश के लगभग सभी राज्यां में प्राथमिक कक्षा के बच्चों को विशेषकर पहली और दूसरी कक्षा के छोटे बच्चों को भी होमवर्क दिया जा रहा है। इससे बच्चां में पढ़ने के प्रति अरूचि जाग्रत होती है तथा उसके स्वाभाविक विकास पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।देश के अनेक शिक्षव्दिें द्वारा विशेषकर कक्षा पहली और दूसरी में होमवर्क देने पर प्रतिबंध लगाने की अनेक दशको से मांग की जा रही थी , जिसे अब जाकर स्वीकार किया गया है। केन्द्र शासन की यह पहल बच्चों के हित में हैं।
बस्तों का बोझ तय -
अभी स्कूल की सभी कक्षाओं में बस्तों के बोझ से बच्चे दबे जा रहे थे। शिक्षाव्दि इसका भी विरोध कर रहे थे। केन्द्र सरकार द्वारा जारी निर्देश में अब कक्षा पहली से बाहरवी तक के बच्चां के बस्तों का अधिकतम बोझ तय कर दिया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा दिये गये निर्देश के अनुसार अब कक्षा पहली से पांचवी कक्षा के बच्चों के लिए डेढ़ किलो वजन तय किया गया है। कक्षा तीसरी से पांचवी तक के लिये 2से 3 किलों का वजन निर्धारित किया गया है। कक्षा छठवीं से आठवीं तक के लिये बस्तों का बोझ 4 किलो तय किया गया है। कक्षा आठवीं और नौंवी के लिए साढ़े चार किलो और कक्षा 10 वीं से 12 वीं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिये बस्तों का बोझ 5 किलो निर्धारित किया गया है।
मद्रास हाईकोर्ट ने दिया था आदेश -
पिछले दिनां मद्रास हाइकोर्ट द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। केन्द्र सरकार ने उस आदेश को आधार मानकर यह नये निर्देश जारी किये हैं। मद्रास हाइकोर्ट ने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की किताबों और पढ़ाई का बोझ घटाने के लिए कहा था। केन्द्र सरकार ने भले ही मद्रास होइकोर्ट के आदेश को ध्यान में रखकर उक्त आदेश दिया है, किन्तु देर से दिये गये इस आदेश को सही आदेश माना जा रहा है।
नियम का उल्लंघन करने वालां के लिए भी प्रावधान हों-
केन्द्र सरकार का उक्त आदेश एवं निर्देश सराहनीय कहा जा रहा है, किन्तु उक्त आदेश में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं किया गया है कि जो स्कूल नियमों का उल्लंघन करेगा ,उनके लिए क्या सजा का प्रावधान किया गया है ! कुछ निजी स्कूल निर्धारित पुस्तकां के अलावा भी निजी स्वार्थवश दूसरी अन्य पुस्तकें भी अनिवार्य कर देते हैं। इससे जहाँ बच्चां को पढ़ने के लिए बोझ बढ़ता है, वहीं उसके बस्ते का वजन भी बढ़ता जाता है। इसलिए जरूरी है कि जो स्कूल केन्द्र सरकार के उक्त निर्देशों का उल्लंघन करें उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही भी की जानी चाहिए।
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