महाकालेश्वर मंदिर में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध : आखिरकार कलेक्टर को नया आदेश जारी करना पड़ा
संदीप कुलश्रेष्ठ
श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक एवं संयुक्त कलेक्टर श्री अभिषेक दुबे द्वारा गत 13 नवंबर को महाकालेश्वर मंदिर में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया गया था। इस आदेश के उल्लंघन करने पर मीडियाकर्मी के विरूद्ध धारा 188 के तहत कार्यवाही करने की बात भी कही गई थी। इस आदेश का मीडिया द्वारा घोर विरोध किया गया था। चारां तरफ से मीडिया के असंतोष को देखते हुए आखिरकार कलेक्टर एवं मदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष़ श्री मनीषसिंह द्वारा गत 17 नवम्बर को नया आदेश जारी कर स्पष्टीकरण देना पड़ा। उन्होंने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि उनके संज्ञान में यह बात आई है कि मीडिया के प्रवेश करने पर मंदिर के कर्मचारियां और पुलिस द्वारा मीडिया को रोका गया है, यह सर्वथा अनुचित है। अतः प्रशासक द्वारा जारी किये गये उक्त आदेश को और अधिक स्पष्टीकरण किया गया है कि मंदिर में मीडिया के फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर को पूर्व के समान प्रवेश दिया जायेगा। मंदिर में मीडिया के प्रवेश पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई है। इसी आदेश में कलेक्टर द्वारा यह भी स्पष्ट किया गया है कि गर्भगृह निरीक्षक और नंदीहॉल में उपस्थित प्रभारी यह भी सुनिश्चित करेंगे कि नंदीहाल के आगे, गर्भगृह के अंदर कोई वीडियोग्राफी/वीडियोग्राफी नहीं कि जाये एवं सख्ती से रोका जाए।
म्ांदिर प्रशासक ने जारी किया था आदेश-
उल्लेखनीय है कि गत 14 नवम्बर को महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश की बात पर सेना के एक जवान को मंदिर के सुरक्षाकर्मी द्वारा मारपीट की गई थी। इस घटना का कवरेज मीडिया में आ गया था और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया था। इस कारण मंदिर प्रशासक ने एक दिन पीछे 13 नवम्बर को आदेश जारी कर मंदिर में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस आदेश पर मीडिया में गहरा असंतोष था। मीडिया के असंतोष को देखते हुए कलेक्टर ने पत्रकारों की सुविधा को देखते हुए नया आदेश जारी किया।
गर्भगृह में वीडियोग्राफी /फोटोग्राफी प्रतिबंधित रहेगी -
कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में गर्भगृह में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करने पर सख्ती से रोक लगाई गई है। गर्भगृह के साथ ही नंदीगृह के आगे से भी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगाया गया। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वीआईपी और वीवीआईपी के मंदिर में आगमन के समय गर्भगृह में उनके कवरेज की क्या व्यवस्था रहेगी ? इस मामले में कलेक्टर के आदेश में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। जबकि पूर्व में वीआईपी और वीवीआईपी के समय ऐसी व्यवस्थाएँं की जाती थी कि जनसम्पर्क विभाग के एक-एक कैमरामैन और फोटोग्राफर को गर्भगृह में प्रवेश दिया जाता था । और कवरेज के तुरंत बाद कैमरामैन और फोटोग्राफर द्वारा संबधित को कवरेज उपलब्ध करा दिया जाता था। अब गर्भगृह के वीडियो और फोटो उज्जैन सहित देश और दुनिया कि मीडिया को किस तरह मिल सके, इस संबंध में कलेक्टर के उक्त आदेश में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है।
मीडिया के साथ ही ऐसा क्यां होता है ? -
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर आजकल का नहीं है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए राज्यसरकार द्वारा पूर्व में एक ट्रस्ट बनाया गया। इस ट्रस्ट के अर्न्तगत महाकालेश्वर प्रबंध समिति का गठन किया गया । इस समिति में उज्जैन कलेक्टर को पदेन अध्यक्ष बनाया गया। समिति में विभिन्न विभागां के अधिकारी और मंदिर से संबंधित व्यक्तियां को रखा गया। हर 12 वर्ष में लगने वाले सिहंस्थ महापर्व के कारण महाकालेश्वर भगवान के दर्शन करने वाले श्रद्धालुआें की संख्या दिनोदिन बढ़ती जा रही है। पूर्व की अपेक्षा अब और अधिक अति महत्वपूर्ण व्यक्तियां का आगमन भी होता है। मीडिया का भी काफी विस्तार हुआ है। पहले सिर्फ प्रिन्ट मीडिया था। अब इलेक्टॉानिक मीडिया ने भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करायी है। इसलिए कलेक्टर को चाहिए कि मंदिर में कवरेज की सुनिश्चित और स्पष्ट व्यवस्था की जाये ,ताकि मीडियाकर्मी बिना कोई परेशानी के अपने दायित्व का निर्वहन कर सके। इसके लिए उज्जैन की मीडिया और कलेक्टर को मिलकर एक सुनिश्चित व्यवस्था बनाने की जरूरत है, अन्यथा आये दिन इस प्रकार के दुर्भाग्यपूर्ण प्रसंग सामने आते रहेंगे।
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