राम मंदिर बनाने से भाजपा को किसने रोका है ?
डॉ. चन्दर सोनाने
पूर्व जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंदगिरी ने हाल ही में हरिद्वार में घोषणा की है कि अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के लिए वे आगामी 6 दिसंबर से उपवास पर बैठेंगे। उन्हांने यह भी कहा है कि वे हरिद्वार में हरि की पुरी में तब तक उपवास पर बैठेंगे जब तक की राम मंदिर के निर्माण के लिए कोई मार्ग नहीं निकल जाता। उन्होंने देश भर के साधुसंतां से अपील की कि वे इस मिशन में ज्यादा से ज्यादा संख्या में शामिल हां। आपने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से यह अनुरोध भी किया है कि वे सरकार कि चिंता किये बिना राम मंदिर के निर्माण के लिए शीघ्र कोई मार्ग निकालें।
इसके पूर्व हाल ही में उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशवप्रसाद मौर्य ने दो टूक कहा कि अयोध्या में राममंदिर का निर्माण कोई ताकत नही रोक सकती। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी राममंदिर निर्माण के पक्ष मे थी और हमेषा रहेगी। उधर केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उपक्रम राज्यमंत्री श्री गिरीराज सिंह ने भी श्री मौर्य की तर्ज पर कहा कि दुनिया की कोई ताकत अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को नहीं रोक सकती। केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमाभारती ने भी हाल ही में कहा कि हिन्दू विष्व में सबसे सहिष्णु लोग हैं लेकिन अयोध्या में राममंदिर के पास एक मस्जिद बनाने की बात उन्हें असहिष्णु बना सकती है।
उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री हो या केन्द्र के मंत्री या राज्यमंत्री। इन सबके हाल ही में दिये गये बयान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्री मोहन भागवत के गत दशहरे पर नागपुर में दिये बयान के बाद आ रहे हैं। उन्हांने चुनाव से ठीक पहले विजयादशमी पर नागपुर में आयोजित संघ के सालाना उत्सव में कहा कि अदालत में इस मामले को लंबा खींचने के प्रयास किये जा रहे हैं। लेकिन समाज के धैर्य की यह परीक्षा किसी के हित मे नहीं है। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से केन्द्र सरकार को निर्देष देते हुए यह भी कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार को कानून लाना चाहिए। हांलाकि गत वर्ष 12 सिंतबर 2017 को उन्होंने दिल्ली में विदेशी राजनयिकां के कार्यक्रम में स्पष्ट कहा था कि संघ अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला मानेगा। किन्तु अब हालही में उन्हांने कहा है कि इसके पर्याप्त सबूत हैं कि अयोध्या में राममंदिर था । आत्म गौरव की दृष्टि से मंदिर का निर्माण आवश्यक है। लेकिन देश हित के इस मुद््दे पर कुछ कट्टरपंथी और साम्प्रदायिक राजनीति करने वाली ताकतें बाधायें खडी कर रही है।
संघ हर साल विजयादशमी उत्सव मनाता है। संघ प्रमुख उसमें भाषण देते हैं। संघ की वेबसाइट पर संघ प्रमुख श्री भागवत के सन 2014 से 2017 तक के भाषण मौजूद हैं। उनमें उन्होंने एक बार भी अयोध्या में राममंदिर बनाने का जिक्र नहीं किया। किन्तु, अब करीब डेढ़ महीने में ही तीसरी बार उन्होंने अयोध्या में मंदिर बनाने की बात कही है। संघ प्रमुख श्री भागवत ने गत 19 सिंतबर को दिल्ली में कहा था मैं ये नही जानता कि मंदिर के लिए अध्यादेष जारी किया जा सकता है या नही। लेकिन अयोध्या में मंदिर का निर्माण शीघ्र शुरू होना चाहीए। इसी प्रकार उन्हांने एक अक्टूबर को हरिद्वार में कहा था विपक्षी दल मंदिर निर्माण का खुलेआम विरोध नहीं कर सकते। संघ और भाजपा मंदिर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके बाद उन्होंने विजयादशमी पर्व पर नागपुर में मंदिर बनाने के लिए फिर कानून लाने की बात कही।
हालही में अयोध्या में राममंदिर के निर्माण की मांग पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने दो टूक कहा है कि मंदिर के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार अनंतकाल तक नहीं किया जा सकता। मंदिर बनवाने के लिए फिर से 1992 जैसा जनआंदोलन छेड़ा जायेगा। यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि संघ का यह बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत और अमितशाह की बैठक के ठीक बाद आया है। संघ की मुम्बई में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक खत्म होने के बाद सह सरकार्यवाह भैया जी जोशी ने कहा है कि सभी विकल्प खत्म होने पर अध्यादेश की जरूरत पडेगी।
संघ प्रमुख श्री मोहन भागवत के बयान के बाद एकाएक केन्द्र के मंत्रियों और उत्तरप्रदेश के मंत्रियां के बयान बहुत कुछ कह देते है। यह सर्वविदित है कि अगले साल 2019 में लोकसभा के चुनाव के पूर्व देश के पांच राज्यो में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे है। संघ और भाजपा राममंदिर के नाम पर फिर एक बार हिन्दुओें कि भावनाओं का इस्तेमाल करना चाहती है। यह पहली बार है कि केन्द्र में भाजपा की सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी, जहाँ अयोध्या है, वहीं भाजपा की सरकार है। केन्द्र में श्री नरेन्द्र मोदी सरकार को चार साल हो गये हैं। उन्हांने अभीतक राममंदिर बनाने की दिशा में कुछ नहीं किया, जबकि यह भी पहली बार है कि केन्द्र में भाजपा अपने बलबूते पर बहुमत में हैं। उसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए अपने गठबंधन वाले किसी दल की मदद की भी जरूरत नहीं है। फिर उसे अयोध्या में रामममंदिर बनाने के लिए किसने रोका है ? क्या कांग्रेस के विरोध मात्र के कारण भाजपा अयोध्या में मंदिर बनाने का विधेयक नही ला रही है ? क्या वह कांग्रेस से डरी हुई है ?या वह मुस्लिम वोट के छिटकने से डर रही है ? हाल ही में उज्जैन में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री जफर इस्लाम ने कहा है कि पार्टी का रूख मंदिर निर्माण पर साफ है। यह हमारी घोषणा भी है। अध्यादेश का रास्ता तो है ही , लेकिन राज्यसभा में पूर्ण बहुमत नहीं है। जरूरत पडी तो लोकसभा में प्राइवेट बिल लेकर आयेंगे। तब क्या कांग्रेस इस पर हमारा समर्थन करेगी ?
इन सब बातों से एक बात साफ हो रही है कि एक बार फिर पाँच राज्यों मे होने जा रहे विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए भाजपा राममंदिर का मुद्दा सामने ला रही है। यदि भाजपा सही मायने में अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है तो उसे अध्यादेश लाकर यह काम कर दिखाना चाहिए। जैसा कि उन्होंने पूर्व में अनेक मामलों में किया है। अब उसे और इंतजार नहीं करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करती है तो जनमानस में यह संकेत जायेगा कि भाजपा पूर्व की तरह पुनः सत्ता प्राप्ति के लिए राममंदिर को सीढी की तरह उपयोग कर रही है।
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