बीमा कंपनियों के पास 15 हजार करोड़ रूपये की लावारिस रकम : सही हकदार को मिलें उनका पैसा
संदीप कुलश्रेष्ठ
पिछले दिनों एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। देश की 23 बीमा कंपनियों के पास 15,184 करोड़ रूपये ऐसे लावारिस पड़े हैं,जिन पर किसी ने अभी तक कोई दावा नही किया है। बीमा कंपनियों के पास जब इतनी बड़ी राशि पड़ी है तो निश्चित रूप से वह राशि किसी न किसी की होगी ही । इसके लिए केन्द्र सरकार को बीमा कंपनियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करना चाहिए, ताकि सही हकदार को उनका पैसा वापस मिल सके ।
23 बीमा कंपनियों के पास बेकार पडी है राशि -
ससंद में पिछले दिनों इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें देश की 23 बीमा कंपनियों में लावारिस पड़ी राशि की जानकारी दी गई। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि इसमें से दो तिहाई राशि सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम के पास पड़ी है। सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी के खजाने में 10,509 करोड ़रूपये की रकम इसी तरह लावारिस पड़ी हुई है। निजी क्षेत्र की 22 बीमा कंपनियों के पास 4,675 करोड़ रूपये बेकार पड़े हुए हैं। अन्य प्रमुख बीमा कंपनियों के पास पड़ी लावारिस राशि इस प्रकार है - आईसीआईसीआई लाइफ के पास 807, रिलाइन्स लाइफ के पास 696, एसबीआई लाइफ के पास 678, एचडीएफसी स्टैण्डर्ड लाइफ के पास 659, बिरला सनलाइफ के पास 252, पीएनबी मैटलाइफ के पास 203, अवीवा लाइफ के पास 190, टाटा लाइफ के पास 134 और भारतीय लाइफ के पास 74 करोड़ की राशि लावारिस पड़ी हुई है।
केन्द्र सरकार करें विशेष प्रयास-
हांलाकि केन्द्र सरकार द्वारा विभिन्न बीमा कंपनियों में पड़ी करोड़ां की लावारिस राशि को संबंधित व्यक्ति को देने के लिए बीमा कंपनियों को निर्देष जारी किए है कि वे ऐसा इंतजाम करें कि लोग बीमा पॉलिसी नं, आधार नं, पैन नं, मोबाईल नं, जन्मतिथि आदि देकर सर्च कर सके। केन्द्र सरकार ने एक समिति बनाने के भी निर्देश दिये हैं, जो इस रकम को इनके वारिसो तक पंहुचाने में मदद करें। केन्द्र सरकार ने बीमा कंपनियों को ये भी कहा है कि वे अपनी वेबसाइटों पर अलग से सेक्शन बनाकर अनक्लेम्ड राशि की जानकारी दें ताकि संबंधित व्यक्ति को उसकी जानकारी मिल सके।
किन्तु इतना पर्याप्त नही है। केन्द्र सरकार को वित्त मंत्रालय के अधीन एक हाई पॉवर समिति बनाना चाहिए जो प्रत्येक बीमा कंपनियों में उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों और उनके द्वारा दी गई राशियों की प्रतिमाह समीक्षा करें। ऐसा नहीं करने वाली बीमा कंपनियों पर तथा उल्लेखनीय प्रगति नहीं दिखाने वाली बीमा कंपनी पर तुरन्त सख्त कार्यवाही भी करें, ताकि अन्य बीमा कंपनियों को इससे सबक मिल सकें। इसके साथ ही प्रत्येक बीमा कंपनियों को राज्यवार अनक्लेम्ड राशि और जिसने बीमा करवाया है तथा उसके वारिसो के नाम , पते और सम्पर्क सूत्रों को न केवल अपनी वेबसाइटो में डालें, बल्कि उसे समाचार पत्रों में विज्ञापित भी करें । साथ ही प्रत्येक बीमा कंपनी को उनके यहाँ जमा राशि पर एसबीआई बैंक के नियमानुसार ब्याज का भुगतान करना सुनिश्चित करायें, क्योंकि अनेक वर्षो से पड़ी राशि का उपयोग बीमा कंपनियों द्वारा ही किया जाता रहा है । इसलिए संबंधित व्यक्ति को उसकी अपनी राशि पर उस समय से जिस समय से राशि देना बकाया है, नियमानुसार ब्याज का भुगतान मिल सके।
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