दिल्ली की हवा बेहद खराब : तुरन्त प्रभावी उपाय करने की जरूरत
संदीप कुलश्रेष्ठ
देश की राजधानी दिल्ली की हवा बेहद खराब हो गई है। यहाँ की हवा की गुणवत्ता का स्तर लगातार गिर रहा है। हालत इतनी बिगड़ गई है कि यहाँ सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। दीपावली पर हालत इससे भी ज्यादा बिगड़ने वाली है। यदि शीघ्र ही प्रभावी कदम नहीं उठाये गये तो दिल्ली में रहने वालो के लिए जीना दूभर हो जायेगा।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सीपीसीबी ) ने इस संबंध में चेतावनी जारी कर दी है कि आगामी 1 नवंबर से 10 नवंबर के बीच लोग सुबह घुमने के लिए नहीं निकलें क्यांकि उस समय दिल्ली की हवा बहुत बीमार बनाने वाली होगी ।
खतरनाक आंकड़ें -
दिल्ली में रविवार को मोटी धुंध की चादर छाई रही और इस मौसम की अब तक की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में कुल वायु गुणवत्ता सूचकांक 381 दर्ज किया गया जो बेहद खराब की श्रेणी में आता है। इस मौसम में खराब वायु गुणवत्ता का यह सबसे अधिक सूचकांक है जो प्रदूषण के गंभीर स्तर से कुछ ही नीचे है।
उल्लेखनीय है कि 0 से 50 के बीच एक्यूआई ‘अच्छा’ माना जाता है। 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’ श्रेणी का, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है।
सीपीसीबी के डेटा के मुताबिक दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में स्थापित 12 प्रदूषण निगरानी केंद्रों में वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर, जबकि 20 केंद्रों में बेहद खराब दर्ज किया गया। अधिकारियों ने हवा की गुणवत्ता में आई इस गिरावट के पीछे निर्माण कार्य से उड़ने वाली धूल, वाहनों से होने वाला प्रदूषण जैसे स्थानीय कारकों के अलावा पंजाब एवं हरियाणा से पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया है।
राष्ट्रीय राजधानी में धुएँ के कारण धुँध की एक मोटी चादर छाई हुई है और मौसम की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई है। पीएम 2.5 (हवा में 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कणों की उपस्थिति) की मात्रा 225 दर्ज की गई जो इस मौसम की सर्वाधिक है। पीएम 2.5 को सबसे ’सूक्ष्म कण’ कहा जाता है जो स्वास्थ्य के लिए पीएम 10 से अधिक घातक है।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर हो सख्ती से रोक-
अब यह बात सर्वज्ञात है कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता के स्तर में आ रही गिरावट के कारण क्या है । दिल्ली में हो रहे निर्माण कार्यो से उड़ने वाली धूल और वाहनों से होने वाला प्रदूषण जैसे कारणों के अलावा एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि दिल्ली के आस-पास तथा पंजाब और हरियाणा में पिछले अनेक सालों से पराली जलाने पर कोई रोक नहीं लग पाई है। यह बात सामान्यतः सब जानते है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषित होती है। इसके बावजूद पराली जलाने पर प्रभावी रोकथाम नहीं होने के दुष्परिणाम हर साल दिल्ली को भोगनी पडती है। अब स्थिति विस्फोटक होने जा रही है। इसलिए केन्द्र सरकार को चाहिए कि वह दिल्ली ,पंजाब और हरियाणा तीनां राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक लेकर पराली जलाने पर प्रभावी रोकथाम के उपाय करें। इसके साथ ही वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर भी प्रभावी रोक लगाने की आवश्यकता है।
बोर्ड के सुझावों पर हा कारगार क्रियान्वयन-
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हालही में दिल्ली में हो रहे प्रदूषण पर प्रभावी रूपसे रोकथाम के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये है। उन सुझावों पर सख्ती से अमल करने की आवश्यकता है। बोर्ड द्वारा दिये गये सुझाव निम्नलिखित है -
1. दिल्ली एनसीआर में निर्माण व खोदाई संबंधी कार्यों पर एक से दस नवंबर तक रोक लगाई जाए।
2. चार से दस नवंबर तक दिल्ली एनसीआर की कोयला एवं बॉयोमास से चलने वाली तमाम औद्योगिक इकाइयों को बंद रखा जाए।
3. एक से 10 नवंबर तक दिल्ली व उसके सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ पुलिस सघन अभियान चलाए, साथ ही जाम न लगे, इसके लिए भी ट्रैफिक नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाए।
4. सीपीसीबी ने दिल्ली व एनसीआर के निवासियों को सलाह दी है कि वे एक से दस नवंबर के बीच कम से कम यात्रा करें। अगर इस दौरान यात्रा जरूरी हो तो निजी वाहनों से विशेषकर डीजल वाहन के प्रयोग से बचें। जितना संभव हो, सार्वजनिक वाहन का ही प्रयोग करें।
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