मी टू : सोशल मीडिया ने फिर दिखाई अपनी ताकत
डॉ. चन्दर सोनाने
दुनिया और देश में सोशल मीडिया ने फिर एक बार अपनी ताकत दिखा दी है। मी टू कैंपेन में दुनिया के 201 ताकतवर प्रमुख व्यक्ति फंस चुके है। और इस कारण 124 को इस्तीफा भी देना पड़ा है। हमारे देश भारत में इसकी संख्या 20 तक जा पहुँची है। हमारे देश में मी टू अभियान के कारण अनेक मशहूर सख्शियत इसमें फंस चुकी है। इसमें केन्द्रीय मंत्री एम. जे अकबर को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा है।
मी टू शब्द दुनिया को देने वाली महिला अमेरिका की तराना बुर्क है। सन 2006 में सबसे पहले इस सामाजिक कार्यकर्ता ने एक पीड़ित लडकी से बात करते हुए कहा था कि तुम अकेली नहीं हो । यह मेरे साथ भी हुआ है। इसके लिए उन्होंने मी टू शब्द इस्तेमाल किया। 15 अक्टूबर 2017 को हॉलीवुड अभिनेत्री ऐलिसा मिलानो ने इस शब्द को एक अभियान का रूप दिया। इसके बाद हॉलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे विन्सटीन पर तमाम अभिनेत्रियो नें यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये । और इसी के साथ दुनियाभर में मी टू कैंपेन जोर शोर से शुरू हो गया। एक के बाद एक दुनिया में 920 महिलाओ ने अपने साथ हुए उत्पीड़न के विरूद्ध आवाज उठाई। मी टू कैंपेन को टाइम पर्सन ऑफ द ईयर भी चुना गया। पूरे संसार में इस कैंपेन के चलते महिलाओ के विरूद्ध उत्पीड़न करने वाले व्यक्तियो के मन में खैफ बैठ गया है। अब महिलाएँ खुलकर अपनी बात कहने लगी है। मी टू कैंपेन महिलाओ के संरक्षण के रूप में दुनिया भर में सबके सामने आया है।
भारत में पहली बार अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने मी टू कैंपेन के अर्न्तगत आवाज उठाई । उसने अभिनेता नाना पाटेकर पर अपने साथ हुये उत्पीड़न के विरूद्ध न केवल आवाज उठाई बल्कि नाना पाटेकर पर एफआईआर भी दर्ज की । आज तनुश्री भारत में मीटू अभियान का चेहरा बन गई है। भारत में इस अभियान को शुरू करने का श्रेय इसे ही जाता है। हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट की माँ सोनी राजदान ने अपने साथ हुई एक घटना के बारे में खुलासा करते हुए चौकाने वाला बयान दिया है। इसके पूर्व बॉलीवुड के ही अनु मलिक ,कैलाश खेर, आलोकनाथ जैसे कई मशहूर चेहरे भी इसकी चपेट में आ गये हैं।
भारत में बॉलिवुड में मी टू अभियान के अर्न्तगत आलोकनाथ का मामला नाना पाटेकर के बाद सबसे अधिक चर्चित रहा है। इसके बाद साजिद खान, रजत कपूर, सुभाष घई, विकास बहल, विवेक अग्निहोत्री पर विभिन्न महिलाओं ने अपने साथ हुए उत्पीड़न के आरोप लगाये। इसके साथ ही सुहेल सेठ , अन ुमलिक, कैलाश खैर, अभिजीत भट्टाचार्य, रघु दीक्षित भी आरोपो के घेरे में आये है। इसके अलावा अभिनेता पीयुष मिश्रा , श्रीराम दोषी , राम कौशल आदि पर भी ऐसे आरोप लगे है। मीडिया में भी वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ , गौतम अधिकारी, फहद शाह , के. आर श्रीनिवास आदि पर भी मी टू के अर्न्तगत अलग- अलग महिलाआें ने आरोप लगाये। राजनीति में एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान को मी टू के कारण अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसी प्रकार केरल में एक विधायक एम. मुकेश पर भी मी टू के अर्न्तगत आरोप लगे। खेल जगत में बीसीसीआई के सीईओ राहुल चोधरी पर मी टू अभियान के अर्न्तगत आरोप लगाये गये। बैडमिन्टन खिलाडी ज्वाला गुट्टा ने भी अपने साथ हुए शोषण की बात कही। इसी प्रकार कला और साहित्य क्षेत्र के चर्चित लेखक चेतन भगत पर भी यौन प्रताड़ना का आरोप एक महिला ने लगाया। इस प्रकार स्टार्ट अप्स, इन्वेस्टमेंट कंपनी आदि ने भी विभिन्न लोगों पर अलग- अलग महिलाओ ने मी टू अभियान के अर्न्तगत आरोप लगाये।
करीब 12 साल पहले न्यूयार्क में जन्मा मी टू अभियान अब भारत में भी एक अभियान बन गया है। हमारे देश में भी अब महिलाएँ अपने साथ हुए उत्पीड़न के विरूद्ध सामने आ रही है। इसे क्रान्तिकारी परिवर्तन कहा जा सकता है। पहले महिलाएँ लोक लाज के कारण अपने साथ हुए उत्पीड़न के विरूद्ध किसी को यहाँ तक की अपने परिवारजनो को भी नही बताती थी । वे अब खुलकर सामने आने लगी है। इससे महिला उत्पीड़न की सोच वाले पुरूषां में खैफ व्याप्त हो गया है। सामाजिक दृष्टिकोण से इसे अच्छे संकेत कहा जा सकता है। और यही सोशल मीडिया की ताकत है ,जिसने एक बार फिर अपनी उपयोगिता की सार्थकता सिद्ध की है।
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