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रोजगार केंद्रित उच्च शिक्षा व्यवस्था : सराहनीय पहल



संदीप कुलश्रेष्ठ
                  यूजीसी उच्च शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने जा रहा है। इससे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद युवाओं को नौकरी मिलने में आसानी होगी। इस नई व्यवस्था में यह भी प्रावधान रखा जा रहा है कि कम से कम 50 प्रतिशत छात्रों के रोजगार की जिम्मेंदारी संबंधित संस्थाओं की ही होगी। इस नई व्यवस्था में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा।
                     यूजीसी देश के उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा का स्तर बेहतर बनाने में और इसे रोजगार केंद्रित करने के लिए नई योजना पर काम कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे छात्रों को रोजगार के लिए तैयार करें तथा उन्हें बेहतर स्किल ट्रेनिंग मुहैया कराए। इसके साथ ही साथ संस्थानों को टेस्ट के तरीके के ज्यादा से ज्यादा कॉन्सेप्ट आधारित बनाना होगा। यूजीसी ने इस योजना के लिए 2022 तक का लक्ष्य निर्धारित किया है। 
50 प्रतिशत छात्रों के रोजगार की जिम्मेदारी संस्थानों की होगी - 
                      यूजीसी इस योजना के अंतर्गत पाँच सूत्रीय योजना पर काम कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत सभी उच्च शिक्षण संस्थाओं को यह निर्देश दिए जायेंगे कि वे सुनिश्चित करें कि संस्थान से ग्रेजुएट होने वाले कम से कम 50 प्रतिशत छात्र कोई न कोई नौकरी, उच्च शिक्षा अथवा स्वरोजगार से जुड़ें। इसके लिए पांच वर्षीय योजना बनाई गई है। 
75 प्रतिशत छात्राओं को स्किल ट्रेनिंग -
                          देश में वर्तमान समय में किसी भी जॉब के लिए टेक्निकल स्किल के अलावा सॉफ्ट स्किल की मांग भी बढ़ी है। ऐसे माहौल में इस कार्यक्रम के अंर्तगत यह संस्थान की जिम्मेदारी होगी कि कम से कम 75 छात्राओं को स्किल ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाए। इसमें छात्रां को टीम वर्क, कम्युनिकेशन, रीडरशिप और टाईम मैंनेजमेंट जैसी प्रोफेशनल स्किल की ट्रेनिंग इस योजना के अंतर्गत दी जाएगी। इसके अतिरिक्त इनोवेशन, अत्रप्रेन्योरशिप और क्रिटिकल थिंकिंग को लेकर कार्यक्रम संचालित किए जायेंगे। इसके साथ ही इस प्रोग्राम के बाद छात्रां की प्रगति को देखने के लिए सस्ंथान समय समय पर टेस्ट भी संचालित करेंगे। इसमें पासआउट होने वाले छात्रों को एग्जिट टेस्ट देना होगा।
75 प्रतिशत छात्र सामाजिक गतिविधियों से जुडेंगे -
                        इस योजना में रोजगार से छात्रों को जोड़ने के अलावा उन्हें समाज और उद्योग से संबधित गतिविधियों से जोड़ने के लिए संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोर्स के दौरान कम से कम 75 प्रतिशत छात्र सामाजिक गतिविधियों से जुडं़े। इसके अंतर्गत प्रत्येक संस्थान को नॉलेज एक्सचैंज प्रोग्राम के अंतर्गत कम से कम पाँच गांवों को गोद लेना होगा। इसका उद्देश्य छात्रों में सामाजिक जागरूकता के साथ-साथ क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों से भी छात्रों को अवगत कराना है। 
शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर होगा जोर -
                       यूजीसी द्वारा लागू की जा रही इस योजना में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए सभी संस्थानों को नेशनल अंसेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन कांउसिल (नैक) से ग्रेड हासिल करना जरूरी होगा। संस्थानों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उन्हें कम से कम 2.5 स्कोर मिले। इसमें ग्रेडिंग बेहतर करने के अलावा संस्थानों को शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने पर जोर दिया जाएगा। इसमें संस्थान को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी स्थिति में शिक्षकां के स्वीकृत पदां में से 10 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त नहीं हो। वर्तमान में उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के रिक्त पदों की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। इसे दूर करना एक चुनौती होगी। 
योजना के अमल होने से चौतरफा होगा फायदा -
                   केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधारने की दिशा में पहले भी अनेक प्रयोग किये हैं। किंतु वे सफल नहीं हो सकें। अब देखना यह होगा कि हाल ही में यूजीसी द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए शुरू की जा रही इस नवीन योजना का क्या परिणाम निकलेगा। यदि यूजीसी पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से इस योजना के क्रियान्वयन के प्रयास करती है तो निश्चित रूप से इसका लाभ चौतरफा होगा। हम आशा करते हैं कि यूजीसी की इस नई योजना के सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। 
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