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65 साल बाद जब उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया दोस्ती कर सकते हैं तो भारत पाकिस्तान क्यों नहीं ?


संदीप कुलश्रेष्ठ

                    हाल ही में विश्व में दो धुर दुश्मन देशों के बीच महामुलाकात हुई। दोस्ती हुई। दोनों देशों में फिर कभी भविष्य में दुश्मनी नहीं करने का वादा हुआ। यही नहीं दोनों देश शांति समझौते के लिये राजी हुए। ये दो देश हैं उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया । इन दोनों देशों में 65 साल की दुरियाँ खत्म हो गई। जब इन दो घोर विरोधी देशों के बीच शांति समझोता हो सकता है तो सहज ही प्रश्न उठता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच दोस्ती क्यों नहीं हो सकती ?

65 साल की दुरियाँ हुई खत्म-

                          65 साल से एक दूसरे के घोर विरोधी दो देशों के बीच हाल ही में महामुलाकात हुई। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जई-इन पिछले दिनों सियोल में मिले। दोनों ने 65 सालों के बाद पहली बार हाथां में हाथ लेकर बातचीत की। दोनों ने हाथ मिलाकर विश्व के देशों को चौंकाया। दोनों देशों के बीच शांति समझोता भी हुआ। यह घटना विश्व में अनौखी रही। किसी को यह अंदाजा नहीं था कि एक दूसरे को कभी देखने भी नहीं वाले दोनों देश आज साथ- साथ खड़े हैं। 65 साल बाद उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति ने दक्षिण कोरिया की सीमा में अपने कदम रखे। पिछले 65 सालों से दोनों देशों के बीच बातचीत भी बंद थी। दोनों देशों के बीच हुए अनेक युद्धों में नौ लाख से ज्यादा सैनिक और पच्चीस लाख से ज्यादा नागरिक मारे गये थे।

                               दोनों देशों के प्रमुखों ने यह ऐलान किया कि अब दोनों देशों के बीच कभी युद्ध नहीं होगा। दोनों देशों के बीच शांति का घोषणा पत्र भी जारी किया गया। इस घोषणा पत्र की प्रमुख  बातें निम्नानुसार थी। कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु हथियारों से मुक्त किया जाएगा। सरहद पर प्रोपगेंडा को बंद कर सैन्य झोन को शांति झोन में बदलेंगे। दोनों देश की सीमाओं की वजह से बंट गये परिवारों को मिलाया जाएगा। सभी दुश्मनी भरी कार्रवाई बंद होगी। दोनों देशों के बीच सड़क और रेलवे नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।

भारत और पाकिस्तान में भी हो इस तरह का समझौता -

                         जब विश्व के दो प्रमुख दुश्मन देश उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया अपनी दुश्मनी भुला कर एक हो सकते हैं तो फिर भारत और पाकिस्तान अपनी दुश्मनी भुलाकर शांति के मार्ग पर क्यों नहीं चल सकते ? भारत और पाकिस्तान के बीच भी उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के समान ही शांति समझौता होना चाहिए। भारत और पाकिस्तान में घोषित और अघोषित युद्ध में दोनों देशों के हजारों सैनिक और नागरिक मारे जा चुके हैं। अब इन दोनों देशों में भी अपने जन्म के समय से आ रही दुश्मनी को खत्म करने का सुनहरा मौका है। दोनों देशों के बीच 1947 से चली आ रही दुश्मनी को अब खत्म करने की जरूरत है। दोनों देशों में अभी भी बहुत गरीबी, अशिक्षा और बैरोजगारी है। अब इन दोनों देशों को इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। इन दोनों देशों के बीच युद्ध में होने वाले खर्च को कम कर इससे बची राशि को दोनों देशों के विकास कार्यो पर खर्च करने की जरूरत है।

                             वर्तमान में भारत में भारतीय जनता पार्टी के श्री नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री के पद पर आसीन है। प्रधान मंत्री जिस पार्टी से जुडे़ हैं, वह पार्टी शुरू से अखंड भारत की पक्षधर रही है। यह पार्टी आरंभ से भारत पाकिस्तान के विभाजन की घोर विरोधी भी रही है। इस कारण प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के समक्ष यह चुनौती भी है कि वह सन 1947 से चली आ रही दुश्मनी को खत्म करने के लिये अपनी और से ठोस और सार्थक पहल करें। यदि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत पाकिस्तान के बीच चली आ रही दुश्मनी को खत्म कर स्थाई दोस्ती करते हैं तो यह उनकी अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। इस दिशा में भारतीय जनता पार्टी की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और उसके प्रमुख डॉ. मोहन भागवत को भी पहल करने की महती आवश्यकता है।

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