मासूमों से दुष्कर्म पर मौत की सजा : सराहनीय पहल
डॉ. चन्दर सोनाने
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने देश में मासूमों से दुष्कर्म के दोषियों को मौत की सजा देने वाले प्रावधान वाले अध्यादेश को रविवार को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही देश में अब यह कानून लागू हो गया है कि 12 साल तक के बच्चां से दुष्कर्म करने वाले दोषियां को मौत की सजा मिल सकेगी। केंद्र सरकार का यह निर्णय सराहनीय है। आशा की जा सकती है कि इससे मासूमों पर हो रहे दुष्कर्म पर प्रभावी रोक लग सकेगी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को केंद्रीय कैबिनेट ने आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश 2018 को मंजूरी दे दी थी । इस अध्यादेश के जरिए चार कानूनों आइपीसी,सीआरपीस,साक्ष्य अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम में संसोधन किया गया है। किंतू यह अध्यादेश 22 अप्रेल 2018 से होने वाले अपराधों पर लागू होगा । यानी कठुआ, उन्नाव और सूरत के प्रकरणों पर पुराने कानून के अनुसार ही सजा होगी। यह कानून पूर्व तिथियां से लागू होना था, ताकि हाल ही में हुए मासूमों पर बलात्कार के उक्त प्रकरणों पर भी यह कानून लागु हो सके।
जम्मू कश्मीर के कठुआ, गुजरात के सूरत और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में पिछले दिनों हुए दुष्कर्म की घटना के बाद ऐसे आरोपियों को कडी सजा देने की मांग को लेकर देश भर में आंदोलन कियो जा रहे थे । उल्लेखनीय है कि देश में सबसे पहले मप्र में यह कानून बनाया गया था कि 12 वर्ष तक के बच्चों से दुष्कर्म करने वालों को मौत की सजा दे सकेगी। मप्र में विधानसभा में उक्त नियम पारित कर स्वीकृति के लिए पूर्व में ही केंद्र शासन को भेज दिया गया था। अब केंद्र शासन द्वारा अध्यादेश जारी करने पर यह नियम मप्र सहित सारे देश में लागू हो गया है।
इस नये अध्यादेश में कई कडे़ नियम पहली बार लागू किये गये हैं। इनमें प्रमुख है 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म के दोषी को कम से कम 20 साल और उम्रकैद और मौत की सजा दी जा सकेगी। 12 साल तक की बच्चियों से सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को कम से कम उम्रकैद या मौत की सजा मिल सकेगी। 16 साल तक की लड़की से सामूहिक दुष्कर्म पर उम्रकैद की सजा मिल सकेगी। यही नहीं इस नियम में 16 साल तक की लडकी से दुष्कर्म पर कम से कम 20 साल की सजा दी जा सकेगी। 16 साल की लडकी से दुष्कर्म पर अग्रिम जमानत अब नहीं हो सकेगी। अध्यादेश में यह भी प्रावधान किया गया है कि आरोपी की जमानत अर्जी पर सुनवाई से 15 दिन पहले अभियोजक और पीडिता तथा उसके परिवार को सूचना देना कोर्ट की जवाबदेही तय की गई है। अब नाबालिकों से दुष्कर्म के प्रकरणों में फास्ट टै्रक कोर्ट मनाये जाएंगे। पूरे प्रकरण के निपटारे के लिए समय सीमा भी तय की गई है। अब ऐसे प्रकरणों की जांच दो माह में पूरी करना अनिवार्य होगा। छः महीने में अपील का निपटारा करना होगा। इस नये नियम में यह भी प्रावधान किया गया है कि पूरा मामला कुल 10 महीनो में निपटारा करना अनिवार्य होगा।
केंद्र सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के साथ ही मासूमों से दुष्कर्म पर मौत की सजा वाला कड़ा कानून अब बन गया है। इस कानून के बनने से यह आशा की जा सकती है कि अब पीड़ितो को शीघ्र न्याय मिल सकेगा। और उन्हें वर्षों प्रकरणों के निपटारे नहीं होने की मानसिक वेदना भी नहीं भुगतनी होगी। केंद्र सरकार को इस कडे़ कानून बनाने के लिये साधुवाद।
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