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गठन के उद्देश्यों को साकार करता मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड



 
आज से एक बरस पहले मध्यप्रदेश में गठित टूरिज्म बोर्ड अपने उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में लगातार अग्रसर है। टूरिज्म बोर्ड के गठन का फैसला भी मशहूर पर्यटन स्थल पचमढ़ी में पर्यटन केबिनेट में लिया गया। इसके गठन के पीछे मुख्य उद्देश्य भी यही है कि प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र को और अधिक विस्तार मिले और पर्यटन में निवेश के लिये निवेशकों को सहूलियतें मुहैया कर निवेश को बढ़ावा दिया जाये। पर्यटन के जरिये रोजगार सृजन का ध्येय भी इससे पूरा हो सकेगा।

टूरिज्म बोर्ड के बन जाने से जहाँ एक ओर राज्य पर्यटन निगम अपने मूल काम होटल और हॉस्पिटेलिटी तथा अधो-संरचना विकास पर अब पहले से कहीं ज्यादा ध्यान केन्द्रित कर पा रहा है। वहीं अब मध्यप्रदेश पर्यटन की ब्रांडिंग और व्यापक प्रचार-प्रसार का अहम काम टूरिज्म बोर्ड के जिम्मे है।

बोर्ड के संचालक मंडल के अध्यक्ष मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और उपाध्यक्ष पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सुरेन्द्र पटवा एवं मुख्य सचिव हैं। वित्त, वन, नगरीय विकास एवं पर्यावरण तथा संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव संचालक हैं। संचालक मण्डल के पदेन सदस्य सचिव एवं प्रबंध संचालक, प्रमुख सचिव पर्यटन हैं। टूरिज्म प्रमोशन यूनिट, योजना, प्रशिक्षण, ईको टूरिज्म एवं एडवेंचर, रचनात्मक एवं प्रचार-प्रसार गतिविधियाँ, मार्केटिंग, मेला एवं उत्सव, सूचना प्रौद्योगिकी आदि गतिविधियाँ मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड में सम्पादित की जा रही है। राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा पूर्ववत होटलों, रेस्टॉरेंट, बोट क्लब, परिवहन बेड़े आदि का संचालन किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के मुख्य कार्यों में ‘पर्यटन नीति, 2016‘ के अंतर्गत सभी दायित्वों का निर्वहन करना, पर्यटन क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करना, इन्वेस्टर्स फेसिलिटेशन, निवेशकों को नीति अनुसार अनुदान एवं सुविधाएँ उपलब्ध कराना तथा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नई नीतियों का आकल्पन, क्रियान्वयन एवं मॉनिटरिंग करना है। साथ ही निजी निवेश से पर्यटन परियोजना की स्थापना को बढ़ावा देने के लिये उपयुक्त स्थल चयन कर लैण्ड बैंक को निरंतर बढ़ाना, प्रदेश में पर्यटन संबंधी समस्त स्थान जैसे, पुरातत्विक स्थलों, वन्य-प्राणी स्थलों, प्राकृतिक सौन्दर्य युक्त गुफाओं, पार्कों, जल-क्षेत्रों एवं अन्य मनोरंजक स्थानों के विकास की कार्य-योजनाएँ बनाना और उनके अनुरक्षण के उपाय करना है। इसी प्रकार राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के प्रोत्साहन से संबंधित विभिन्न आयोजनों में भाग लेकर निजी निवेशकों को प्रोत्साहित करना, मेले, स्थानीय व्यंजन, संस्कृति, वेश-भूषा, हस्तशिल्प एवं हस्तकला के माध्यम से ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहित करना और ईको पर्यटन के लिये आवश्यक व्यवस्थाएँ स्थापित करना आदि बोर्ड के कार्यों में शामिल हैं।

बोर्ड के गठन के अच्छे नतीजे सामने आने लगे हैं। एक साल के भीतर बोर्ड ने मध्यप्रदेश पर्यटन की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लंदन में संपन्न ‘वर्ल्ड ट्रेवल मार्ट’ में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज की। हाल ही में यूएस के फ्लोरिडा में यूएसटीओए, स्पेन के मेड्रिड में हुए फितर, ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में हुए ‘ए.आई.एम.ई.-2018’ में तथा बर्लिन में संपन्न आई.टी.बी.-2018 में भागीदारी कर निवेशकों के सामने मध्यप्रदेश पर्यटन पर केन्द्रित प्रेजेंटेशन दिया और उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी साझा की। ‘ए.आई.एम.ई.-2018’ में मध्प्रदेश टूरिज्म को बेस्ट एक्जीबिटर का प्रतिष्ठित अवार्ड हासिल हुआ। इसी प्रकार देश के महत्वपूर्ण शहरों में रोड-शो और इंवेस्टर्स मीट में मध्यप्रदेश पर्यटन का प्रतिनिधित्व कर इन उद्देश्यों को पूरा करने की दिशा में प्रभावी भूमिका निभायी गयी।

निवेश संवर्धन
बोर्ड के अंतर्गत कार्यरत निवेश संवर्धन इकाई (IPU) द्वारा एक सुनियोजित रणनीति अपनाकर निवेश संवर्धन के लिए परिणामदायी काम किये गये। इसी के सुफल के रूप में पर्यटन क्षेत्र में तकरीबन 700 करोड़ रुपयों का इन्वेस्टमेंट संभावित है। इसमें मुख्य रूप से 49 जिलों के 144 स्थानों पर 849 हेक्टेयर से ज्यादा शासकीय भूमि हस्तानांतरित कराई जाकर लैण्ड-बैंक बनाया गया है। इसके साथ ही 71 स्थान पर 431 हैक्टेयर से ज्यादा भूमि चिन्हित भी की जा चुकी है, जिसका हस्तानांतरण भी प्रक्रिया में है। लैण्ड बैंक में से पर्यटन क्षेत्र के सात निजी समूह को भूमि आवंटित भी की जा चुकी है, जिससे 23 करोड़ 25 लाख की राशि का प्रीमियम मिला है। हेरीटेज होटल्स का निर्माण निजी निवेश से करने के लिये हेरीटेज प्रॉपर्टी लैण्ड बैंक बनाया गया है। वर्तमान में 8 परिसंपत्तियाँ विभाग के आधिपत्य में हैं। इनमें से 3 परिसंपत्तियाँ निवेशकों को निविदा के माध्यम से दी गयी हैं। इससे 11 करोड़ 64 लाख रुपए का प्रीमियम भी प्राप्त हुआ है। दस अन्य परिसंपत्तियाँ भी पुरातत्व द्वारा इस बैंक के लिये हाल ही में डी-नोटिफाइड की गई है।

जल-झील महोत्सव
इस समयावधि में जहाँ इस साल वॉटर स्पोर्टस कॉम्प्लेक्स हनुवंतिया में जल-महोत्सव (तृतीय) का 80 दिवसीय सफल आयोजन हुआ। बरगी (जबलपुर) और गाँधीसागर बाँध (मंदसौर) में व्यापक स्तर पर ‘झील महोत्सव’ हुआ। इसी श्रंखला में जिला पर्यटन संवर्धन समितियों की सक्रिय पहल से भोपाल में ‘भोज एडवेंचर फेस्ट-2018’, रीवा में विन्ध्य महोत्सव, पचमढ़ी उत्सव, निमाड़ उत्सव, माँडू महोत्सव, बालाघाट में बैगा ओलंपिक सफलता से संपन्न हुए।

गौरतलब है कि जल-पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये प्रदेश में 18 जल क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। इनमें जल-पर्यटन गतिविधियों को लायसेंस देने के लिये बोर्ड को अधिकृत किया गया है।

ऋषभ जैन

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