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जन्मजात रोगों से घिरे बच्चों को मध्यप्रदेश में मिल रही नि:शुल्क चिकित्सा


 राज्य शासन द्वारा ह्रदय रोग, मूक-बधिर, कटे-फटे होंठ आदि बीमारियों के साथ जन्मे बच्चों को रोगमुक्त बनाने के लिये नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है।गंभीर ह्रदय रोग से पीड़ित था कृष्णा सीहोर जिले के ग्राम निवारिया का 5 वर्षीय बालक आज स्वस्थ है और परिवार प्रसन्न। कृष्णा का डेढ़ वर्ष की उम्र तक भी चलने-बोलने में कठिनाई, खाने में अरुचि, निरंतर रोना, रोते समय होंठ नीले पड़ जाना आदि जारी रहा, तो उसके माता-पिता बालीबाई और जसमत सिंह ने डॉक्टर को दिखाया। चिकित्सीय जाँच में वह गंभीर ह्रदय रोग से ग्रसित पाया गया। माता-पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई, क्योंकि वे इतना बड़ा खर्च उठाने में बिलकुल समर्थ नहीं थे।

एक दिन जसमत को किसी ने बताया कि सीहोर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से मिलो तो बच्चे का नि:शुल्क इलाज संभव है। सीएमएचओ ने बताया कि ह्रदय रोग की गंभीरता को देखते हुए कृष्णा के तीन ऑपरेशन होंगे। जाँच के बाद कृष्णा को तुरंत शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी) भिजवाया गया। केन्द्र में उसके स्वास्थ्य परीक्षण के बाद एक निजी अस्पताल में पहला सफल ऑपरेशन किया गया, परंतु कृष्णा की कमजोर हालत को देखते हुए यह ऑपरेशन देश के किसी बड़े अस्पताल में ही संभव था।

कृष्णा का दूसरा सफल ऑपरेशन 22 जनवरी, 2018 को बैंगलुरु के नारायणा ह्रदयालय में एसआरसी चिल्ड्रन हॉस्पिटल, मुम्बई के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किया गया। इस ऑपरेशन पर खर्च हुए 3 लाख 20 हजार रुपये की प्रतिपूर्ति मुख्यमंत्री बाल ह्रदय उपचार योजना से की गई। कृष्णा आज स्वस्थ है। फॉलोअप विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा शासकीय नियमानुसार उसका निरंतर नि:शुल्क जारी है।
सुनीता दुबे

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