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महाकाल मंदिर : ड्रायफ्रूट्स प्रसाद है नहीं और तीन सौ करोड़ का बना रहे प्लान


संदीप कुलश्रेष्ठ । देश भर के श्रद्धालुओं के श्रद्धा का केन्द्र उज्जैन का महाकाल मंदिर है। यहाँ वर्ष भर में लाखों लोग महाकाल के दर्शन के लिए देशभर से आते है। किंतु यहाँ श्रद्धालु की सुविधा के लिए और मंदिर के विकास के लिए कोई ठोस प्रस्ताव है नहीं। वर्तमान में यहाँ से बेचे जाने वाला ड्रायफ्रूट प्रसाद भी नहीं मिल रहा है। इसके कारण श्रद्धालु मंदिर के बाहर से गुणवत्ताहीन ड्रायफ्रूट प्रसाद लाने के लिए मजबूर है। वहीं हाल ही में महाकाल मंदिर समिति द्वारा मंदिर की व्यवस्था सुधारने और विकास के लिए तीन सौ करोड़ का प्लान केंद्र को बनाकर भेजा गया है। मंदिर को इसमें से कितना पैसा मिलेगा , यह तय नहीं है। जितना मिलेगा उतना कार्य किया जाएगा। यानी मंदिर का दीर्घकालीन विकास कार्य है ही नहीं।
केन्द्र को भेजा प्लान -  
                     केन्द्र सरकार द्वारा आइकानिक स्थल योजना में मंदिर की व्यवस्था के लिए  मंदिर समिति से विस्तृत प्लान मांगा गया था । महाकाल मंदिर समिति की और से तीन सौ करोड़ रूपये का प्लान हाल ही में केन्द्र शासन को भेजा है। यह प्लान स्मार्ट सिटी कंपनी ने बनाया है। इसमें वे काम भी शामिल किए गए है, जो पूर्व में समिति की और से केन्द्र शासन को प्रस्तुत किए गए थे। इस प्लान में विस्तृत रूप से क्या है , यह अभी खुलासा नहीं किया गया है।
पूर्व में मिले थे आठ करोड़ रूपये-
                       उल्लेखनीय है कि आईकानिक स्थल योजना में पूर्व में मंदिर समिति को आठ करोड़ रूपये मिले थे। इसके लिए भी विभागों नगर निगम , यूडीए, पीडब्ल्यूडी और अन्य से विस्तृत योजना मांगी गई है। योजना प्राप्त होने पर उसके अनुसार कार्य करवाए जाएंगे। याने जैसे प्रस्ताव प्राप्त होंगे वैसी योजना बनाकर यह राशि खर्च कर दी जाएगी। पूर्व से मंदिर के पास कोई योजना नहीं है।
मंदिर के विकास के लिए हो दीर्घकालीन योजना -
                          होना यह चाहिए कि मंदिर के चौमुखी विकास के लिए एक विस्तृत मास्टर प्लान बनाया जाए। इस मास्टर प्लान पर जनप्रतिनिधियो, श्रद्धालुओं और पंडे पुजारियों से विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। चर्चा के बाद उसे मंजूर कर रखा जाना चाहिए। इन स्वीकृत कार्यो को ही योजनाबद्ध तरीके से जैसे जैसे राशि प्राप्त होती जाए वैसे वैसे कार्य करवाने चाहिए। तभी मंदिर का सुनियोजित रूप से विकास हो सकेगा।
स्थायी प्रशासक की नियुक्ति हो -
                          वर्तमान में पिछले तीन साल में महाकाल मंदिर में पाँच प्रशासक नियुक्त किए जा चुके हैं। किसी को भी पता नहीं रहता है कि उसे कितना समय रहना है, इसलिए वह अनिच्छा से कार्य करता है। वर्तमान में श्री अवधेश शर्मा को प्रशासक बनाया गया है किंतु उनके पास यह अतिरिक्त प्रभार है । उनके पास पूर्व से ही स्मार्ट सिटी का प्रभार है। इसलिए वो भी अतिरिक्त समय में ही मंदिर का कार्य देख रहे हैं। मंदिर के सुनियोजित विकास के लिए और श्रद्धालुओं को उचित सुविधाएँ मिल सके इसके लिए मंदिर के लिए स्थायी प्रशासक नियुक्त होना आवश्यक है। उसके पास मंदिर प्रशासक के अलावा और कोई प्रभार नहीं होना चाहीए। तभी वह पूरा समय मंदिर को दे सकेगा।
मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता-
                   वर्तमान में मंदिर में जो कोई भी प्रशासक नियुक्त होता है वह तुरंत बिना सोचे समझे मंदिर में प्रवेश का मार्ग बदल देता है । नया करने के प्रयास में व्यवस्थाएँ और बिगड़ जाती है। श्रद्धालुओं को पर्याप्त मूलभूत सुविधाएँ मिल सके तथा मंदिर में प्रवेश और निर्गम की आसान व्यवस्था हो। श्रद्धालुओं को ज्ञात होना चाहिए कि उसे कहाँ से प्रवेश करना है और कहाँ से निकलना है। बाहर निकलने पर उन्हें अपने जूते चप्पल कहाँ से मिलेंगे इसकी भी आसान व्यवस्था होनी चाहिए। पिछले दो सालों में दसियों बार प्रवेश व निर्गम की व्यवस्था बदली जा चुकी है। इससे श्रद्धालु परेशान होता है। इसके लिए आवश्यक है कि नियमित दर्शनार्थी, जनप्रतिनिधि और पंडे पुजारी की बैठक कर एक आसान व्यवस्था बनाई जाए। उसमें बार-बार फेरबदल नहीं किया जाए। व्यवस्था ऐसी हो जिसमें श्रद्धालुओं को सुविधा हो न कि असुविधा। वर्तमान में मंदिर से कभी लड्डू प्रसाद मिलना बंद हो जाते हैं तो कभी ड्रायफ्रूट का प्रसाद नहीं मिल पाता है। इस समुचित व्यवस्था में सुधार करने की आवश्यकता है। महाकाल मंदिर में हर वर्ष महाशिवरात्रि पर्व और नागपंचमी पर्व मनाया जाता है । इसके साथ ही सावन भादौ की सवारी भी प्रतिवर्ष निकाली जाती है। किंतु हर बार व्यवस्था में बदलाव कर दिया जाता है। मंदिर तो वही है। बार बार प्रयोग करने की बजाय स्थायी व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जिससे श्रद्धालु आसानी से अपने भूतभावन भगवान महाकाल के दर्शन कर सकें।
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