चंद्र ग्रहण के दौरान प्रेगनेंट महिलाएं बरतें ये सावधानियां!
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, राहु और केतु दोष नुकसान पहुंचाने वाले ग्रह हैं. सूर्य और चंद्र ग्रहण के पीछे एक कहानी प्रचलित है. कहा जाता है कि एक बार राहु (असुर) और देवताओं (भगवान) के बीच लड़ाई हो रही थी. देवता और राक्षस दोनों ही अमरता का वरदान प्राप्त करना चाहते थे और अमृत को प्राप्त करना चाहते थे. तभी विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण करके राहु को मोहित कर लिया और उससे अमृत हासिल कर लिया.
राहु ने भी अमृत पाने के लिए देवताओं की चाल चलने की सोची. उसने देवता का भेष धारण किया और अमृत बंटने की पंक्ति में अपनी बारी का इंतजार करने लगा. लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया. विष्णु भगवान ने राहु का सिर काट दिया और वह दो ग्रहों में विभक्त हो गया- राहु और केतु. सूर्य और चंद्रमा से बदला लेने के लिए राहु ने दोनों पर अपना साया छोड़ दी जिसे हम सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के नाम से जानते हैं. इसीलिए ग्रहण काल को अशुभ और नकारात्मक शक्तियों के प्रभावी होने का समय माना जाता है.
संभव हो तो ग्रहण के पूर्व और ग्रहण के बाद स्नान कर लें.
कई धार्मिक ग्रन्थों के मुताबिक, प्रेगनेंट महिलाओं को दूर्वा घास लेकर बैठना चाहिए और सनातन गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए.
धातु की चीजों जैसे साड़ी पिन, बालपिन और ज्वैलरी आदि ना पहनें.
चाकू और धारदार हथियारों का इस्तेमाल नहीं करें. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान सब्जियां और फल काटना बच्चे के लिए अशुभ साबित होता है.
प्रेगनेंट महिलाओं को नग्न आंखों से ग्रहण को नहीं देखना चाहिए. संभव हो तो उसे घर पर रुकना चाहिए और ग्रहण के दौरान घर के खुले हिस्से में नहीं घूमना चाहिए.
हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण को लेकर कई तरह की पौराणिक मान्यताएं है. सामान्यजनों के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान खास सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.