इंजीनियरिंग और प्रबंधन कॉलेजों में अब होगा एक समान पाठ्यक्रम
संदीप कुलश्रेष्ठ
आगामी वर्ष 2018-19 सत्र से देशभर में इंजीनियरिंग और प्रबंधन के कॉलेजों के अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेस के एक समान पाठ्यक्रम होंगे। वर्तमान में आईआईएम को इससे मुक्त रखा गया है। हाल ही में ऑल इंडिया काउंसिल फॅार टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने देश भर में पहली बार एक समान पाठ्यक्रम जारी किया है। इसमें विशेष बात यह है कि उद्योगों की मांग के अनुसार पहली बार थ्योरी की बजाय प्रेक्टिकल पर जोर दिया गया है।
सैद्धांतिक की बजाय व्यवहारिक ज्ञान पर जोर -
एआईसीटीई द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार इंजीनियरिंग के अंडर ग्रेजुएट कोर्स में 220 की जगह अब 160 क्रेडिट अंक होंगे। इसी प्रकार पोस्ट ग्रेजुएट में 60 से 144 की जगह 68 क्रेडिट होंगे। एमबीए और पीजीडीए कोर्स के लिए 120 क्रेडिट तय किए गए है। अभी 16 से 18 क्रेडिट होते हैं। एक क्रेडिट के लिए 40 से 45 घंटे की इंटर्नशिप होगी। अभी इंटर्नशिप के लिए कोई घंटा तय नहीं था। इसके साथ ही इंजीनियरिंग के छात्रों को चार से छह सप्ताह की समर इंटर्नशिप भी करवाई जाएगी। यह इंटर्नशिप पहले साल में इंस्टीट्यूट में ही होगी। जबकि दूसरे साल में यह इंटर्नशिप औद्योगिक क्षेत्र, कंपनी , एनजीओ या सामाजिक क्षेत्र में करवाई जाएगी।
ट्रेनिंग और प्लेसमेंट पर एक प्रतिशत खर्च तय -
वर्तमान में इंजीनियरिंग संस्थानों में और प्रबंधन संस्थानों में प्रशिक्षण और प्लेसमेंट पर खर्च करने के कोई नियम लागू नहीं है। इस कारण हर संस्थान अपने-अपने हिसाब से इस पर खर्च कर रहा है। अब नए नियम के अनुसार हर इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थान को अपने बजट का कम से कम एक प्रतिशत खर्च टर्निंग और प्लेसमेंट सेल पर खर्च करना अनिवार्य किया गया है। इस नियम के बनने से अब हर संस्थान के लिए प्रशिक्षण और प्लेसमेंट पर ध्यान देना जरूरी हो सकेगा।
स्किल एजुकेशन 10 वीं से ही मिलेगी-
नए नियम से एक महत्वपूर्ण बदलाव यह आएगा कि अब 10 वीं से ही छात्रों को स्किल एजुकेशन मिल सकेगी। एआईसीटीई के चैयरमैन प्रो. अनिल सहस्त्रबुद्धे ने इस संबंध में बताया है कि अब 10 वीं के छात्र भी स्किल एजुकेशन में डिप्लोमा ले सकेंगे। यह डिप्लोमा उन्ही स्कूल में मिल सकेगा जो इन्हे चलाएंगे। इसके साथ ही वोकेशनल कोर्स विश्वविद्यालय स्तर पर शुरू किए जाएंगे। 10 वीं पास के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा ऑफ वोकेशनल कोर्स और जो 10 वी उत्तीर्ण नहीं है उनके लिए डिप्लोमा ऑफ स्किल कोर्स शुरू किए जाएंगे।
शिक्षा का बजट बढ़ेगा-
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने इस संबंध में बताया कि स्वीपर की जॉब निकलती है तो इंजीनियर और ग्रेजुएट भी आवेदन करते है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई उन्होंने ऐसी नहीं कि जो उद्योगों की मांग पूरी कर सके। इसके साथ ही सरकार शिक्षा का बजट भी बढ़ाने जा रही है। इस संबंध में कई घोषणाएं आगामी बजट में की जाएगी।
इंजीनियरिंग के छात्र वेद और पुराण भी पढ़ेंगे-
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने इस संबंध में कहा है कि इंजीनियरिंग के छात्रों को अब इंटरनेट और बुलेट ट्रेन के तकनीकी ज्ञान के साथ वेद, पुराण और तर्कशास्त्र का भी अध्ययन करना होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि इंजीनियंरिग कर रहे छात्रों से संविधान और पर्यावरण विज्ञान की जानकारी की भी अपेक्षा की जाती है। आगामी सत्र से सभी बदलावों के साथ नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा। यह बदलाव अनिवार्य विषय के तौर पर पढ़ाए जाएंगे।