श्रीराम राज्याभिषेक के साथ हुआ 9 दिनी रामकथा का समापन
उज्जैन। महाकाल प्रवचन हॉल में चल रही 9 दिनी श्रीराम कथा का समापन रविवार को श्रीराम राज्याभिषेक के साथ हुआ। मदनमोहन महाराज ने कथा के समापन दिवस बाली सुग्रीव युध्द, राम रावण युध्द, मां सीता की अग्नि परीक्षा के प्रसंग सुनाये। कथा समापन पर महाआरती एवं महाप्रसादी का आयोजन हुआ।
कथा आयोजन समिति के हनुमानदास मूंदड़ा के अनुसार महाकाल प्रवचन हॉल में श्री रामकथा सेवा समिति यादगिरी कर्नाटक के तत्वावधान में आयोजित रामकथा में समापन पर पुराण का पूजन तथा महाआरती महाकाल मंदिर पुजारी कैलाशनारायण शर्मा, वीर हनुमान मंदिर पुजारी पं. जस्सू गुरू, ओमप्रकाश रितेश खंडेलवाल ने किया। कथा में मदनमोहन महाराज ने कहा कि धर्म के चलते राष्ट्र का चहूमुखी विकास संभव है। रामकथा आदर्श जीवन की मनु संहिता है। हमें रामजी के मनुष्यत्व से प्रेरणा एवं ईश्वरत्व से शक्ति लेनी चाहिये। अतः धर्म से संपन्नता, आंतरिक प्रसन्नता प्राप्त होती है। हम कितने संपन्न है इससे अधिक महत्व है कि हम कितने प्रसन्न हैं। कथा उपदेश नहीं उपचार है। यह सब रोग की दवा है। हमारा सौभाग्य है कि हमने आजाद भारत में जन्म लिया, लेकिन हमें राष्ट्र के आजाद करने में अपने योगदान देना चाहिये। प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं लेकिन राष्ट्रपुत्र तो बन सकता है। भारत कृषि प्रधान देश है। धर्म हमें शरीर से स्वरूप तक की यात्रा कराता है। राम की प्रत्येक लीला समाज के सृजन के लिए उदाहरण है। अतः बुध्दि को प्रेरणा के प्रकाश के चलते भेद, भ्रांति से मुक्त होकर आदर्श एवं यथार्थ जीवन बनाये।