top header advertisement
Home - धर्म << गणतंत्र दिवस के अवसर पर संकल्प कार्यक्रम का आयोजन

गणतंत्र दिवस के अवसर पर संकल्प कार्यक्रम का आयोजन


व्यवस्थित नागरिक ही मिलकर एक सुव्यवस्थित राष्ट्र का निर्माण करने में सक्षम

आन्तरिक ज्ञान द्वारा सम्पूर्ण विश्व में स्वस्थ एवं शांत वातावरण का निर्माण किया जा सकता है

आदर्श समाज की स्थापना हेतु प्रत्येक इंसान को पूर्ण रूप से विकसित होना होगा

भीतर की स्वतंत्रा ही संकल्पवान शिष्यों को मूल्यों और सिद्धांतों से रोपित करती है

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा दिव्य धाम आश्रम, नई दिल्ली में 26 जनवरी, 2018 को एक आध्यात्मिक कार्यक्रम “संकल्प” का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम खासकर गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी के हजारों की संख्या में शिष्यों ने भाग लिया| संस्थान के प्रचारकों ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 26 तारीख को सम्पूर्ण भारत में गणतंत्र दिवस बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है | हमें गर्व है कि सन् 1950 में, इसी दिन स्वतंत्र भारत में हमारा अपना संविधान लागू किया गया| एक तंत्र हो या प्रजातंत्र, शासक-मण्डल के अनुरूप ही शासन होता है| शासन एक श्रेष्ठ यज्ञ है, इसका अनुष्ठान जनता की सुख समृद्धि तथा सब प्रकार की उन्नति के लिये किया जाता है| हमें ख़ुशी है कि इस दिन जो संविधान लागू किया गया उसके तहत भारत ने चहुँमुखी विकास किया परन्तु वहीं एक अन्य तथ्य भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता| संविधान लागू होने के कई वर्षों उपरांत भी नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर नित नए अपराध हो रहे हैं| हर तरफ भ्रष्टाचार, आतंक और अपराधों का बोल बाला है| आज के वातावरण में चाहे राजनीति हो, चाहे साहित्य, चाहे कला हो, जीवन की सब दिशाओं में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद बुरी तरह से व्याप्त है| आज हम जिस स्थिति में है, समाज शायद ही पहले इस दयनीय स्थिति में रहा होगा| कारण एकमेव यही है कि हमें भौगोलिक स्वतंत्रता तो मिल गई है परन्तु अभी वास्तविक स्वतंत्रता (आत्मिक स्वतंत्रता) मिलना शेष है| निःसंदेह हमने महान संघर्षों एवं बलिदानों के बाद सदियों की राष्ट्र-गुलामी से राहत पाई है| परन्तु राष्ट्रीय स्वाधीनता से सब कुछ नहीं होगा| नव निर्माण के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि राष्ट्र के पास एक शांत और स्वच्छ चित हो| राष्ट्र व्यक्तियों का संगठित समुदाय होता है, इसलिए वास्तविक स्वतंत्रता तो तब ही मानी जाएगी जब उसमें रहने वाला प्रत्येक नागरिक स्वतंत्र होगा; जब उसके भीतर ‘स्व’ का ‘तंत्र’ अर्थात् उसकी आत्मा का शासन लागू होगा| सही और गलत का निर्णय करने वाला मन हमारे पास होगा| यह तभी संभव है जब एक व्यक्ति ब्रह्मज्ञान द्वारा अपनी आत्मा का साक्षात्कार कर लेगा| तत्पश्चात उसके भीतर ‘स्व’ का ‘तंत्र’ लागू होगा| ऐसा ही स्वतंत्र व्यक्ति फिर आत्मा के संविधान व नियमों का पालन करता हुआ पूर्णरूपेण व्यवस्थित हो पाएगा| ऐसे ही व्यवस्थित नागरिक मिलकर एक व्यवस्थित राष्ट्र का निर्माण करते हैं, क्योंकि भीतर से व्यवस्थित होने के कारण ये ब्रह्मज्ञानी मानव राष्ट्रीय संविधान के नियमों का भी सादर पालन करते हैं| कार्यक्रम में श्री आशुतोष महाराज जी के युवा स्वयंसेवकों द्वारा एक नाटिका असल पर नक़ल को भी प्रस्तुत किया गया, जिसके द्वारा यही सन्देश दिया गया कि हम विवेक द्वारा असल को पहचाने और अपने जीवन को सही दिशा की ओर अग्रसर करे| दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का मूल उद्देश्य यही है कि ‘ब्रह्मज्ञान’ द्वारा सबके भीतर विवेक को जाग्रत किया जाए| हर ओर शांति का प्रसार हो| सुव्यवस्थित समाज की स्थापना की जा सके तथा  सम्पूर्ण विश्व में स्वस्थ एवं शांत वातावरण का निर्माण हो सके|

केवल ब्रह्मज्ञान द्वारा दीक्षित होने के बाद ही एक व्यक्ति देश के प्रति अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी को महसूस कर सकता है। डीजेजेएस द्वारा सभी शिष्यों में ऐसे मूल्यों और सिद्धांतों को रोपित किया गया जिससे वह संकल्पवान होकर विश्व के सृजन सेनानी बने और हर पल सम्पूर्ण विश्व की सेवा के लिए तत्पर तैयार रहे|

Leave a reply