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आयुर्वेदिक पद्धति से उज्जैन शहर के 3995 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए


 

उज्जैन । कुपोषण एक गंभीर समस्या है। राज्य सरकार इस समस्या से लड़ने के लिये निरन्तर कार्य
कर रही है। उज्जैन शहर में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से तैयार विशेष तेल की मालिश एवं पौष्टिक खीर खिलाने से
उज्जैन शहर के लगभग 3995 बच्चे कुपोषण से लड़ाई जीत चुके हैं। उज्जैन शहर में चलाये गये पायलट प्रोजेक्ट के
नतीजे सकारात्मक आये हैं।
कुपोषण के सामान्य लक्षणों के रूप में बालक का सुस्त होना, चिड़चिड़ा रहना व उदास दिखाई देना, वजन नहीं
बढ़ना, कद कम रहना और बालों का रंग भूरा व होठों व जीभ का रंग फीका पड़ने लगता है। कुपोषण से लड़ाई का बीड़ा
पं.दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष समिति द्वारा उठाया गया। समिति के मुख्य पदाधिकारी श्री किशोर खंडेलवाल ने
बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के इस अभिनव प्रयास को प्रारम्भ करने वाले आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ.एसएन पाण्डेय,
डॉ.विनोद बैरागी एवं डॉ.चन्द्र शर्मा द्वारा बच्चों की नियमित जांच एवं निरन्तर स्वास्थ्य सम्बन्धी परामर्श के नतीजे
उत्साहवर्द्धक आये हैं। आयुर्वेद पद्धति से तैयार अभ्यंग (मालिश) व चन्दन बाला लाक्षादि तेल एवं सुपुष्टि चूर्ण मिलाकर
तैयार की गई खीर का प्रयोग 21 कार्य दिवसों तक कुपोषित बच्चों पर किया जाता है। शिविर के प्रथम दिवस से लेकर
अन्तिम दिवस तक बच्चों की चन्दन बाला लाक्षादि तेल से अभ्यंग क्रिया (मालिश) की जाती है। मालिश के पश्चात बच्चों
को दूध में सुपुष्टि चूर्ण मिलाकर बनी खीर प्रतिदिन पिलाई जाती है। शिविर के पांचवे दिवस से पालकों को बच्चों के
सम्पूरक आहार के लिये पौष्टिक सत्तू का वितरण किया जाता है। शिविर के अन्तिम कार्य दिवस पर पहले दिन संकलिक
की गई जानकारी का पुन: परीक्षण कर वर्तमान स्थिति का तुलनात्मक आंकलन किया जाता है, जिससे बच्चे के वजन की
वृद्धि का पता चलता है।

शिविरों के उत्साहजनक परिणाम

आयुर्वेद उपचार पद्धति से की गई मालिश एवं पौष्टिक खीर वितरण कर कुपोषण से मुक्ति के लिये विभिन्न
स्थानों पर आयोजित किये गये शिविरों का उत्साहजनक परिणाम देखने को मिला है। शुरूआती दौर में शहर में आयोजित
11 शिविरों का रिकार्ड देखने पर पता चलता है कि खिलचीपुर वार्ड में जहां 22 बच्चे अतिकम वजन के थे, शिविर उपरान्त
वे 13 रह गये। इसी तरह यहां सामान्य वजन के बच्चे शून्य थे वहीं पर सात बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गये हैं। इसी
तरह पंवासा में 24 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं। 28 बच्चों का वजन बढ़ा है। नीलगंगा क्षेत्र में 10 बच्चे कुपोषण से
मुक्त हुए हैं तथा 33 बच्चों का वजन सामान्य हुआ है। रूद्र सागर क्षेत्र में सर्वाधिक अच्छे परिणाम आये हैं। यहां पर 40
बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं और 24 बच्चों का वजन सामान्य आया है। पांड्याखेड़ी वार्ड में 17 बच्चे कुपोषण से मुक्त
हुए हैं, 45 बच्चों का वजन सामान्य आया है। हीरा मील की चाल में 20 बच्चे कुपोषण से मुक्त किये गये हैं, 28 बच्चों
का सामान्य रहा है। नलिया बाखल में 11 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं, 49 बच्चों का वजन सामान्य रहा है। मिर्ची
नाला में 26 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं, नागझिरी में 11 बच्चे तथा विनोद मील की चाल में 14 बच्चे कुपोषण से
मुक्त हुए हैं। इसी तरह के लगभग 61 शिविर निरन्तर लगाकर शहर के लगभग 3995 बच्चों को अतिकम वजन श्रेणी से
कम वजन श्रेणी में और कम वजन श्रेणी से सामान्य वजन श्रेणी में लाया गया है।
पं.दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी वर्ष समिति द्वारा जन-सहभागिता एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के
सहयोग से आयोजित किये जा रहे यह शिविर निरन्तर सफलता की सोपान चढ़ रहे हैं। इन शिविरों में महिला एवं बाल
विकास मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनीस, ऊर्जा मंत्री श्री पारस जैन, जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष श्री प्रदीप पाण्डेय,
सांसद श्री नन्दकुमार सिंह चौहान, विधायक डॉ.मोहन यादव ने समय-समय पर शामिल हुए हैं।
फोटो केप्शन- आयुर्वेद चिकित्सा शिविरों में कुपोषित बच्चों की मालिश के दृश्य।

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