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महाकाल का पुरातन स्वरूप बना रहना चाहिए, सभामंडप की पहली मंजिल ही बनाई जाए


संदीप कुलश्रेष्ठ

 उज्जैन का महाकाल मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है। हजारों श्रद्धालु प्रति वर्ष महाकाल के दर्शन करने आते हैं। महाकाल मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्था राज्य शासन द्वारा गठित एक ट्रस्ट के माध्यम से की जाती है। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष पदेन कलेक्टर होते है। कोई भी कलेक्टर आते है तो वे मंदिर की प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव करने के साथ ही साथ मंदिर के परिसर के स्वरूप में भी बदलाव करने के लिए प्रयोग करते है। कुछ प्रयोग अच्छे भी होते हैं । जैसे उज्जैन में कलेक्टर श्री भूपाल सिंह ने नंदी हॉल का चौड़ीकरण किया था। इससे नौ पंक्तियों में एक साथ सिंहस्थ 2004 में श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर पाए थे। वहीं 2016 के सिंहस्थ में भी श्रद्धालु आसानी से इसी कारण दर्शन कर पाए। किंतु वर्तमान में महाकाल के सभामंडप को तोड़कर दो मंजिला भवन बनाया जा रहा है। इससे मंदिर आधा ढ़ंक जाएगा। यह किसी भी तरह से उपयुक्त नहीं कहा जा सकता ।
दो मंजिला सभामंडप बनाने की तैयारी -
                  पिछले दिनों श्री महाकलेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष कलेक्टर श्री संकेत भोंडवे ने महाकाल के करीब सौ वर्ष पुराने सभामंडप को तोडकर वहाँ दो मंजिला सभामंडप बनाने का निर्णय लेकर तोड़ फोड़ भी शुरू कर दी है। पुराने सभामंडप को वर्तमान में पूरी तरह से तोड दिया गया है। यहाँ पर दो मंजिला सभामंडप बनाने की कारवाई भी शुरू हो गई है। इस सभामंडप के बनने से मंदिर के आधे ढंकने की चर्चा होने पर कलेक्टर ने हालांकि यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि महाकाल के सभामंडप की पहली मंजिल अभी बनाना प्राथमिकता है, जरूरत होगी तो दूसरी को बनाएंगे। कलेक्टर का यह कहना समस्या से आंखें मूंदना है। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि सभामंडप एक मंजिल बनेगा या दो मंजिला । गोल मोल बात करने की आवश्यकता उन्हें नहीं होनी चाहिए। खास बात यह है कि अभी तक जो बाते सुनने में आई है और जो सभामंडप का नक्शा बनाया गया है और जो भी तैयारी की जा रही है वो दो मंजिल सभामंडप के निर्माण की ही है।
कोटीतीर्थ कुंड छोटा करने की पहल -
                   सभामंडप को चौड़ा करने के उदेश्य के अंतर्गत वर्षो पुराने कोटीतीर्थ कुंड को छोटा करने की भी पहल की जा रही है। इसकी भी जानकारी नागरिकों को जैसे ही हुई उसका विरोध शुरू हो गया है। कलेक्टर को फिर स्पष्टीकरण इस संबंध में देने पडे कि कोटीतीर्थ कुंड को छोटा नहीं होने देंगे। किंतु संशय अभी बना हुआ है। इस संशय को दूर करने की आवश्यकता है।  
पुरानी मूर्तियों और मंदिरों को यथास्थान स्थापित करें -
                        महाकाल मंदिर के सभामंडप के निर्माण के लिए पूर्व के सभामंडप को तोड़ा गया । इस कारण सभामंडप में रखी गई पूर्व की मूर्तियों और मंदिरों को भी वर्तमान में हटा लिया गया है। सभा मंडप की मूतिर्यों और मंदिरों का अपना धार्मिक महत्व है । इस संबंध में महाकाल मंदिर के पंडे पुजारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हटाई गई मूर्तियां और मंदिर उसी स्थान पर स्थापित किए जाएं। इस संबंध में भी संशय बरकरार है।
सभामंडप के निर्माण का नक्शा प्रदर्शित हो -
                    महाकाल मंदिर के सौ वर्ष पुराने सभामंडप को हटाकर नया सभामंडप बनाना निश्चित ही स्वागत योग्य कहा जाएगा, किंतु यहाँ अब सभामंडप एक मंजिला बनेगा या दो मंजिला ? सभा मंडप बनने से मंदिर का शिखर ढंकेगा अथवा नहीं ? कोटीतीर्थ कुंड छोटा होगा या नहीं ? सभामंडप से हटाई गई मूर्तियां और मंदिर पुनः स्थापित होंगे या नहीं ? इन सब सवालों के जवाब उज्जैन के धार्मिक जनता को चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका यही हो सकता है कि सभामंडप के निर्माण से संबंधित समस्त कार्यो में पारदर्शिता रखी जाए। और इस संबंध में निर्माण कार्य का नक्शा स्पष्ट रूप से मंदिर परिसर में प्रदर्शित किया जाए, ताकि लोगों में व्याप्त संशय दूर हो सके। वर्तमान में मंदिर परिसर के सामने जो शेड बनाया गया है ,उससे मंदिर का शिखर ढंक रहा है यही नहीं मंदिर के बायें और दांये तरफ भी निर्माण कार्य होने से मंदिर ढ़ंक रहा है। यही हालत रही तो सभामंडप के दो मंजिला बन जाने के बाद पीछे से भी मंदिर ढंक जाएगा। यह किसी भी हालत में नहीं होना चाहिए। कलेक्टर को इस संबंध में लोगों की भावनाओं को ध्यान रखते हुए पारदर्शिता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।
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