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मुख्यमंत्री ने एकात्म यात्रा आयोजित कर अद्भुत एवं प्रशंसनीय कार्य किया- भैयाजी जोशी


दुनिया की समस्याओं का हल आदि शंकराचार्य के एकात्मवाद में
ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास बनेगा
एकात्म यात्रा की पूर्णता पर मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ओंकारेश्वर में कहा
शंकराचार्य की अष्टधातु की विशाल प्रतिमा स्थापित करने के लिये भूमिपूजन सम्पन्न
उज्जैन। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आतंकवाद, नक्सलवाद जैसी
दुनिया की सारी समस्याओं का हल एकात्मवाद में है। विश्व शांति का मार्ग युद्ध में नहीं है बल्कि आदि शंकर
के अद्ववेत दर्शन में है। उन्होंने कहा कि अद्ववेत दर्शन के प्रसार के लिये ओंकारेश्वर में आदि शंकर
सांस्कृतिक एकता न्यास स्थपित किया जायेगा। इसके माध्यम से नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और
आध्यात्मिक पुर्नजागरण का कार्य किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज ओंकारेश्वर आदि शंकराचार्य की दीक्षा स्थली ओंकारेश्वर
में एकात्म यात्रा की पूर्णता पर आयोजित एकात्म पर्व में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर भारतीय जनता
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने अपने वीडियो संदेश में कहा है कि आदि शंकराचार्य ने राष्ट्र की
सांस्कृतिक एकता और धार्मिक अस्मिता को बचाने अद्वितीय योगदान दिया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के
सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि भारत की शक्ति हमेशा संरक्षक रही है। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर श्री
अवधेशानंद गिरि, पूज्य संत श्री सत्यामित्रानंद, सतगुरू श्री जग्गीवासुदेव ने एकात्म यात्रा की सराहना की।

एक ही चेतना सब में है - श्री चौहान

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शंकराचार्य ने पूरे भारत को सांस्कृतिक एकता में के
सूत्र में बांधा तथा समूचे विश्व को एकात्मता का संदेश दिया। केवल मनुष्य ही नही अपितु समस्त जड़ चेतन
में आत्मिक एकता है। विश्वशांति का मार्ग युद्ध में नही अपितु शंकर के अद्वेत दर्शन में है। उन्होंने कहा कि
ओंकारेश्वर में वेदांत संस्थान बनाया जाएगा जो विश्व को अद्वैत वेदांत दर्शन की जानकारी देगा। ओंकारेश्वर में
ब्रह्मा पुरी, विष्णु पुरी एवं शिव पुरी को आकाशीय फुटओवर ब्रिज से जोड़ा जाएगा। आदि शंकर संस्थान में
आधुनिक तकनीक से माया और ब्रह्म के शंकर के संदेश को दिखाया जाएगा। साथ ही शंकर के जीवन दर्शन
एवं जीवन चरित को ऑडियो वीडियो माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि ओंकारेश्वर में आदिशंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास स्थापित किया
जाएगा। यह न्यास  आध्‍यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं नैतिक पुनर्जागरण का कार्य करेगा। उन्होंने कहा
कि ओंकारेश्वर की यह पवित्र भूमि सांस्कृतिक एवं आत्मिक पुनर्जागरण का केंद्र बनेगी। आदि शंकराचार्य की
गुफा का जीर्णाद्धार किया जायेगा, आदि शंकर स्मृति केन्द्र बनाया जायेगा। उन्होंने बताया कि यहां एकात्म
यात्रा में 23 हज़ार ग्रामपंचायतों से 30 हज़ार धातु कलश आए हैं, जो आदि शंकराचार्य की यहां स्थापित होन
वाली प्रतिमा का आधार बनेंगे।

श्री भैयाजी जोशी


श्री अमित शाह का वीडियो संदेश

कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह का वीडियो संदेश दिखाया गया।
इसमें उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह ने नर्मदा यात्रा एवं एकात्म यात्रा के माध्यम से सांस्कृतिक
एकता का उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने मुख्यमंत्री को हृदय से साधुवाद दिया और कहा कि आदिशंकर के
योगदान को ओंकारेश्वर में मूर्त रूप देने का श्री चौहान का यह उत्कृष्ट प्रयास है। यहां पर आदि शंकराचार्य को
गुरु मिले, यह स्थान जनता की अपार श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र है।
पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंदगिरि जी

महामण्डलेश्वर पूज्य स्वामी श्री अवधेशानंदगिरि जी ने कहा कि आदि शंकराचार्य जी के संदेश को
प्रसारित करने वाली यह महती यात्रा है। इसके लिये मुख्यमंत्री को बधाई देते हुये कहा कि नर्मदा के तट पर
एक और कुंभ का आयोजन हुआ। उन्होंने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ओंकारेश्वर पाटलीपुत्र और तक्षशिला
जैसा विश्व प्रसिद्ध केन्द्र बने।

स्वामी सत्यमित्रानंदजी
भारतमाता मंदिर के स्वामी सत्यमित्रानंदजी ने कहा कि सारे संसार में एक ही तत्व व्याप्त है,
आंखें अलग अलग हैं पर देखने वाला एक है। यह अद्वेतवाद का संदेश है। मुख्यमंत्री ने आदिशंकराचार्य
सांस्कृतिक एकता न्यास बनाने की जो पूरे देश को बांधने वाली योजना बनाई है वह अति विशिष्ट एवं दिव्य
है। वे इसके लिए बधाई के पात्र है। श्री सत्यमित्रानंदजी ने इस न्यास के लिए 5 लाख रूपये की राशि देने की
घोषणा की।

सदगुरू श्री जग्गीवासुदेव

ईशा फाउण्डेशन के संस्थापक श्री जग्गीवासुदेव ने कहा कि भारत के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश को
आध्यात्मिक केन्द्र बनाने का पावन कार्य किया जा रहा है। ओंकारेश्वर में स्थापित किये जाने वाला अद्ववेत
वेदांत केन्द्र ज्ञान का भंडार होगा। यहां से पूरे विश्व को ज्ञान प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य
आने वाली पीढ़ी को सर्वाधिक प्रभावित करेंगे, क्योंकि उनमें बौद्धिक विलक्षणता एवं तार्किकता थी। उनका ज्ञान
बुद्धि की कसौटी पर खरा उतरता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान गुरू के चरणों में बैठने से मिलता है। हमारी
संस्कृति विनम्रता की है। हमने नदी, पहाड़ एवं प्रकृति के अवयवों से ज्ञान प्राप्त किया। हमें हमारी इसी
संस्कृति की पुर्नस्थापना करनी है। इसी तरह अन्य संत और मनीषियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

चार स्थानों से शुरू हुई यात्रा

यह यात्रा सामाजिक समरसता और एकात्मता का संदेश देने के लिये आदि शंकराचार्य से जुड़े चार
धार्मिक स्थानों से 19 दिसम्बर को प्रारंभ हुई थी। इन स्थानों में अमरकंटक, उज्जैन, रीवा का पचमठा एवं
ओंकारेश्वर शामिल हैं। यात्रा के दौरान जगह-जगह जनसंवाद आयोजित किये गये। यात्रा को भारी जनसमर्थन
मिला। यात्रा की पूर्णता पर ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदान्त दर्शन के विश्व स्तर पर प्रसार के लिये आचार्य शंकर
संग्रहालय और अंतर्राष्ट्रीय वेदान्त संस्थान तथा ओंकार पर्वत पर आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊँची विशाल
धातु प्रतिमा स्थापना के लिये भूमिपूजन किया गया। इस मौके पर एकात्मता का संकल्प भी लिया गया।

मंचासीन धर्माचार्य और अतिथिगण

इस अवसर पर चिनमय मिशन के प्रमुख पूज्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी, महामण्डलेश्वर पूज्य
स्वामी परमानंद गिरि, पूज्य स्वामी परमात्मानंद सरस्वती जी, पूज्य स्वामी संबितसोमगिरि और पूज्‍य स्वामी
अखिलेशावरानंद, रामकृष्ण मिशन के स्वामी सुप्रतिप्तानंद, चिनमय मिशन के स्वामी प्रबोधानंद, प्रजापति
ब्रह्माकुमारी की अवधेश दीदी, कबीर पंथ प्रहला टिपनिया, आर्ट ऑफ लिविंग के भव्यतेज, प्रसिद्ध चित्रकार
वासुदेव कामथ, प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री चरणजीत यादव, विष्णु फाउंडेशन चेन्नई के स्वामी हरिप्रसाद, माता
अमृतानंदन जी, स्वामी प्रजनानामृतानंद, श्रेगरी पठ से गौरीशंकरजी, स्वरूपानंद आश्रम केरल के स्वामी शेवर
गिरि, धर्माचार्य डॉ डेविड फाईले दिल्ली, आदि विभिन्न धर्मों के धर्मगुरू, संत महात्मा, मनीषी तथा भारतीय
जनता पाटी के प्रदेश अध्यक्ष श्री नंदकुमार सिंह चौहान, ऊर्जा मंत्री श्री पारसचंद्र जैन, संस्कृति राज्यमंत्री श्री
सुरेन्द्र पटवा, मुख्यमंत्री श्री चौहान की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह, जनप्रतिनिधि व देशभर से आये
समाजसेवी तथा विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में आम जनता मौजूद थी।

वैदिक मंत्रों एवं शंखनाद से हुआ शुभारम्भ

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने धर्माचार्यों और अन्य अतिथियों का शॉल श्रीफल से अभिनंदन किया। पूर्व में
श्री चौहान ने आदिशंकराचार्य की चरण पादुकाएं और श्रीमती साधना सिंह चौहान द्वादश कलश सिर पर लेकर
मंच पर पहुंचे। कार्यक्रम का शुभारंभ स्वस्तिवाचन और आदि शंकराचार्य के श्लोकों के साथ हुआ। कार्यक्रम
स्थल पर मुख्य मंच के आसपास चारों मठों और चार वेदों ऋग्वेद, सामवेद, अथर्ववेद एवं यजुर्वेद के दर्शन पर
आधारित मंचों का निर्माण किया गया था। जो भारतीय संस्कृति का संदेश दे रहे हैं। मंच पर आदि गुरू
शंकराचार्य की प्रतिमा की प्रतिकृति का अनावरण किया गया।

कलाकारों ने दिया सांस्कृतिक एकता का संदेश

मध्यप्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा नदी के पावन तट पर आयोजित प्राणी मात्र में एकात्मता और
सांस्कृतिक एकता का संदेश देते इस कार्यक्रम में मणिपुर और उड़ीसा के कलाकारों द्वारा शंखघोष, पश्चिम
बंगाल के कलाकारों द्वारा पुरूलिया छाऊ नृत्य तथा असम के बिहू नृत्य खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया गया।
भोपाल के ध्रुवा बैंड द्वारा सांस्कृतिक चेतना और भावनात्मक एकता की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। इस दौरान
देशभर से आये कलाकारों ने गीत-संगीत एवं नृत्य के माध्यम से सांस्कृतिक एकता के संदेश को रेखांकित
किया। उपस्थित जनसमुदाय भक्ति रस में डूब गया।

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