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अदालतों में 2.60 करोड़ केस लंबित : जजों के 6 हजार पद खाली, प्राथमिकता पर जजों के रिक्त पदों की पूर्ति करना जरूरी


 

डॉ. चंदर सोनाने

देश की अदालतों के निर्णयों के बारे में प्रायः यह कहा जाता है कि देरी से दिया गया निर्णय न्याय नहीं होने के बराबर है। वर्तमान में यही हाल देश की अदालतों का हो रहा है। जजों की कमी हमारे देश की कानून की सबसे कमजोर कड़ी के रूप में सामने आ रही है। वर्तमान में देशभर की अदालतों में 2 करोड़ 60 लाख केस लंबित है। और जजों के खाली पदों की हालत यह है कि 6 हजार से भी अधिक जजों के पद खाली पड़े हुए है। वर्तमान समय में देशभर में जजों के कुल 6,379 पद खाली पड़े हुए है। इसमें से सुप्रीम कोर्ट में 6, हाईकोर्ट में 389 और निचली अदालतों में 5,984 पद खाली पड़े हुए हैं। अदालतों में पड़े लंबित प्रकरणों को निपटाने के लिए सबसे पहले प्राथमिकता के आधार पर खाली पदों को भरा जाना चाहिए। इसके साथ ही नए पद भी सृजित किए जाने की जरूरत है और उन पदों पर प्राथमिकता पर पूर्ति की जाने की भी आवश्यकता है।
                केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय की एक रिपोर्ट में उक्त खुलासा हुआ है । इस संबंध में केंद्रीय राज्य मंत्री श्री पी पी चौधरी ने बताया कि देष भर की निचली अदालतों में जजों के कुल स्वीकृत पदों में से  26.38 प्रतिशत पद खाली है। निचली अदालतों में 22,677 जजों के स्वीकृत पद हैं। इनमें से सिर्फ 16,693 जज कार्यरत हैं।
               सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत पदों की संख्या 31 है, जबकि देश के 24 हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 1,048 है। देश में सिक्कीम हाईकोर्ट ही एक मात्र ऐसा हाई कोर्ट है, जहाँ पर जजों को कोई पद खाली नहीं हैं । यहाँ जजों के पदों की स्वीकृत संख्या 3 है । देश के 9 हाई कोर्ट ऐसे हैं , जहाँ चीफ जस्टिस के पद खाली हं। वहाँ पर कार्यकारी चीफ जस्टिस के माध्यम से काम चलाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में इस साल 7 और जज रिटायर हो जाएंगे।  पहले से 6 पद खाली चल रहे हैं।
                दिल्ली हाईकोर्ट में जजों के 61 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं । यहाँ कुल 60 पद है । मगर कार्यरत केवल 23 जज ही है। दिल्ली की सभी अदालतों में 316 जजों की कमी है। यहाँ 6 लाख से अधिक केस लंबित है। इसी प्रकार इलाहबाद हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 160 है। यहाँ 109 जज ही कार्यरत है। यहाँ 51 पद खली पड़े हुए हैं। यह संख्या देश की सभी हाईकोर्ट में से सबसे अधिक है। यूपी की अदालतों में 60,49,151 से ज्यादा केस लंबित पड़े हैं। इस प्रदेश में जजों के खाली पदों की संख्या भी सबसे ज्यादा 1,344 हैं।
                राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिट वैब पोर्टल के अनुसार देश के पाँच हाईकोर्ट में जहाँ सबसे ज्यादा पद खाली हैं, उनकी स्थिति इस प्रकार है- इलाहबाद हाईकोर्ट में 51 , बॉम्बे हाईकोर्ट में 24, तेलंगाना - आंध्र हाईकोर्ट में 30 , कलकत्ता में 39 और छत्तीसगढ में 10 पद खाली है। इसी प्रकार देश के टॉप पाँच राज्य, जहाँ सबसे ज्यादा पेंडिग केस और खाली पद हैं, इसकी जानकारी इस प्रकार है-

राज्य    लंबित प्रकरण    खाली पद
उत्तर प्रदेश    60,49,151    1,344
महाराष्ट्र    33,20,847    149
पश्चिम बंगाल    17,59,144    84
बिहार    16,64,502    825
गुजरात    16,48,457    385

               मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की तीन बैंचो में 71,474 केस लंबित है। इनमें से कुछ तो 23 साल यानी 1994 से ही लंबित है। इलाहबाद हाईकोर्ट में 1980 तक की क्रिमिनल अपील अभी लंबित चल रही है।
                 उक्त आंकड़े चौंकाने वाले हैं। लंबित प्रकरणों और जजों के खाली पदों पर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता व्यक्त कर चुका है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को मिलकर ऐसे प्रयास करना चाहिए कि जल्द से जल्द खाली पद भर जाएँ। इसके साथ ही इस बात की भी आवश्यकता है कि दिनों दिन बढ़ते जा रहे प्रकरणों की संख्या को देखते हुए निचली अदालतों में ही नहीं हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जजों के नये पद सृजित किए जाएँ और वहाँ पर प्राथमिकता के आधार पर जजों की नियुक्त की जाए, तभी पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सकेगा।
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