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स्टेट फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी : एकमात्र लेब पर प्रदेश भर का भार


संदीप कुलश्रेष्ठ

राज्य में मिलावटखोर और नकली ब्रांड से खाद्य पदार्थ बेचने वाले 85 प्रतिशत से अधिक लोग कमजोर सिस्टम का फायदा उठाकर बच निकलते है। फूड एंड ड्रग विभाग की लेबोरेटरी में गड़बड़ी साबित होने के बाद भी इन्हें न तो सजा हो पाती हैं और न ही इनसे जुर्माना वसूलने की कारवाई हो पाती है। इसका सबसे बड़ा कारण प्रदेश में भोपाल में एकमात्र स्टेट फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी का होना है। और मजेदार बात इसमें यह भी है कि वह लेब भी एनएबीएल से सर्टिफाइड नहीं है।
केवल 15 प्रतिशत को सजा -
               खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग पिछले तीन साल में मात्र औसत 14.40 प्रतिशत मिलावटखोरों को ही सजा दिला पाया है। शेष मिलावटखोर सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ मिलने से बच निकले । विभाग की पिछले तीन साल की रिर्पोट चौंकाने वाली है। विभाग ने अप्रेल 2014 से मार्च 2017 के बीच 25,242 खाद्य पदार्थो के नमूने लिए। इनमें से 3,332 सेंपलों में मिलावटी और मिस ब्रांड खाद्यान मिला । कुल 2367 के खिलाफ केस बनाए गए । इनमे से 2078 के सिविल केस और 289 क्रिमिनल के केस बनाए गए। लेकिन साबित सिर्फ 480 ही हो पाए। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा लोकसभा में दिए गए एक सवाल के जवाब से मिली है।

तीन साल का लेखा जोखा -  

क्र. विवरण  वर्ष 2014-15   वर्ष 2015-16    वर्ष 2016-17
कुल सैंपल लिए 9532  10035   5675
मिलावटी या मिस ब्रांड 1412  1311  609
3 आपराधिक केस बनाए   127  82  60
सिविल केस बनाए 716  879  483
5 कुल दोष सिद्ध  418  36 26
6 वसूला गया जुर्माना (रूपये) 43,28,000 4,48,26,000  74,27,700

जुर्माना वसूलने में नाकाम विभाग -
                     प्रदेश के केवल भोपाल में ही हर साल औसत 280 से 300 फूड सैंपल लिए जाते है। गत तीन साल में 32 सैंपल मिलावट के पाये गए। इनमे ंसे 10 मावे के और पनीर के थे। बड़े 11 मिलावटखोंरों पर 6 लाख रूपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया। किंतु इस जुर्माने को वसूलने में अभी तक विभाग सफल नहीं हो पाया है।
फेल होने वाले प्रकरण -
                     स्टेट फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी के अफसरों के अनुसार 50 प्रतिशत सेंपल लेबलिंग के कारण फेल होते है। वहीं 12 प्रतिशत सैंपलों में मिलावट पाई जाती है। जो सैंपल लीगल फार्मेट में भेजे जाते हैं उनकी रिपोर्ट दो सप्ताह में देना होती है। लेकिन सर्विलांस फार्मेट में भेजे गए सैंपल की जांच की कोई समय अवधि ही नहीं होती है।
हर संभाग में हो एक लेब -
                      मिलावटखोंरों और नकली ब्रांड से खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए आवश्यक है कि प्रदेश के हर संभाग में कम से कम एक लेब हो , जहाँ उस संभाग के खाद्य नमूने लेकर निश्चित समयावधि में जाँच की प्रक्रिया पूर्ण कर रिपोर्ट दी जानी सुनिश्चित की जाए। अभी प्रदेश में एकमात्र लेब होने के कारण अनेक व्यावहारिक कठिनाईयाँ भी है।। हर संभाग में एक लैब होने से जाँच रिपोर्ट जल्दी मिल सकेगी, और संबंधित दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कारवाई भी हो सकेगी।
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