दुष्कर्मी को फांसी की सजा : मुख्यमंत्री का सराहनीय प्रयास
डॉ. चंदर सोनाने
पिछले दिनों मध्यप्रदेश की विधानसभा में सर्वसम्मति से दुष्कर्मी को फाँसी दिए जाने की सजा का विधेयक पारित हो गया। मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जहाँ इस तरह का विधेयक पास हुआ है। इसके तहत 12 साल तक की बालिकाओं से दुष्कर्म करने वालों को फांसी हो सकेगी। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान की विशेष पहल पर ही यह विधेयक बनाया गया है। इसके लिए उनकी सराहना की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबध में कहा है कि दुष्कर्मी मानव नहीं , बल्कि नरपिशाच है। उन्हें फाँसी होना ही चाहिए। इस संबंध में पारित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह नियम लागू किया जाएगा।
12 साल तक की बालिकाओं को न्याय दिलाने के लिए दोषी को फाँसी के अलावा भी इस अधिनियम में और भी प्रावधान किए गए है। इस विधेयक के अनुसार बालिका का पीछा करने पर तीन वर्ष की जेल और जुर्माना हो सकेगा। दूसरी बार अपराध करने पर तीन से सात वर्ष की सजा और एक लाख रूपये का जुर्माना किया जाएगा। यह अपराध गैर जमानती होगा। छेड़छाड़ करने पर भी तीन से सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया हैं ।
मध्यप्रदेश विधानसभा में पारित इस अधिनियम के अनुसार 12 वर्ष तक की बालिका के साथ दुष्कर्म के लिए फाँसी या 14 वर्ष की जेल या आजीवन कारावास का प्रावधान किया जाएगा। यह अपराध गैर जमानती होगा। 12 साल की कम उम्र की बच्चियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म पर फाँसी के अलावा न्यूनतम सजा 14 वर्ष से बढ़ाकर 20 साल होगी। या दोषियों को आजीवन कारावास दिया जाएगा। शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण करने वाले को भी तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा।
दुर्भाग्य से दुष्कर्म के 98 प्रतिशत मामलों में दोषी या तो कोई रिश्तेदार होता है या परीचित । यह चिंताजनक बात है। अतः इस संबंध में बच्चों को गुड टच , बेड टच के बारे में जानकारी देना आवश्यक है । इसकी शुरूआत बच्चों को घर से ही की जा सकती है। इसके साथ ही प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में महिला शिक्षिकाओं को भी ये जिम्मेदारी दी जानी चाहिए कि वे बच्चियों को बेड टच के बारे में मार्गदर्शन दें। बच्चों को यह भी समझाने की आवश्यकता है कि किसी के भी द्वारा बेड टच करने पर तुरंत इसकी सूचना घरवालों को दें तथा तुरंत संबंधितों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करवाना चाहिए।
विधानसभा में पारित इस अधिनियम के बारे में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस फैजानुद्दीन का सुझाव महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि विधानसभा में कानून बनाने से कोई परिवर्तन तब आएगा जब पुलिस इंवेस्टिगेशन पर जोर नहीं देगी। वर्तमान में दो तिहाई अपराधी सजा पाने से छूट जाते हैं, क्योंकि केस ही कमजोर बनता है। महिला अपराध में कमी तभी आएगी, जब पुलिस अधिकारी अपने रवैये में बदलाव करें। उनका कहना है कि पुलिस रवैया बदलें तभी अपराध कम होंगे । इस दिशा में गृह मंत्रालय और पुलिस मुख्यालय को गौर करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही विधानसभा में प्रतिपक्ष के सभी दलों को भी इसलिए बधाई देने की आवश्यकता है कि उन्होंने यह अधिनियम सर्वानुमति से पारित किया है। दुष्कर्मी के खिलाफ सख्त कारवाई करने की दिशा में सभी दलों के नेता एकमत थे। इसलिए यह अधिनियम बिना किसी परेशानी के मध्यप्रदेश विधानसभा में पारित हो सका। जनहित के ऐसे ही मामले में सभी दलों को साथ में आने की आवश्यकता है। इस दिशा में मध्यप्रदेश ने मिसाल कायम की है।
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