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नमामि गंगे : अक्षम्य लापरवाहियाँ !


संदीप कुलश्रेष्ठ

केंद्र शासन की नमामि गंगे योजना का शुरूआत में बहुत प्रचार प्रसार किया गया था , किंतु पिछले तीन साल में जो हकीकत सामने आई है वह आश्चर्यजनक है। इन तीन सालों में गंगा को स्वच्छ कराने की ना तो दीर्घकालीन योजना बनी और ना ही दी गई राशि खर्च की गई । ऐसे में सहज ही प्रश्न उठता है कि संबंधित मंत्री और अधिकारी तीन साल से क्या कर रहे थे ? क्या ऐसे साफ होगी गंगा मैया ? संबंधित सभी व्यक्तियों की लापरवाही अक्षम्य है! उन्हें माफी नहीं दी जा सकती।  
कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा -
                नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि गंगा नदी को निर्मल बनाने के लिए न तो दीर्घकालीन योजनाएं बनी, न बजट राशि खर्च हुई और न ही निगरानी का कोई तंत्र बना। हालांकि नमामि गंगा के प्रचार पर खर्च और चहेते कर्मचारियों को वेतन देने के मामले में सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया । केंद्र सरकार में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब सरकार बनी तो जोर शोर से गंगा मैया को निर्मल बनाने के लिए नमामि गंगे योजना बनाई गई। यह योजना तीन साल पहले शुरू की गई थी। इस योजना को गंगा की सफाई के लिए शुरू किया गया था।
तीन साल में प्राप्त आय-व्यय का लेखा जोखा -
                 नमामि गंगे का ऑडिट करने के बाद तैयार की गई कैग की इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सन् 2014 - 17 के दौरान तीन वर्षो में इस योजना के लिए आम बजट  में आबंटित धनराशि की मात्र 8 से 63 प्रतिशत राशि ही खर्च हुई है। प्राप्त बजट की बड़ी राशि केंद्र के एनएमसीजी और राज्यों के एसपीएमजी तथा अन्य एजेंसियों के पास ऐसी ही पड़ी है।
                  मोदी सरकार ने तीन साल पहले अर्थात 2014-15 के आम बजट में जोर शोर से नमामि गंगे के लिए 2137 करोड़ रूप्ये आबंटित करने का ऐलान किया था। उस वर्ष गंगा की सफाई पर केवल 170 करेड़ रूपये खर्च हुए । इसी तरह वित्त  वर्ष 2015-16 के लिए 2750 करोड़ रूपये आबंटित किए गए थे। लेकिन केंद्र सरकार मात्र 602 करोड़ रूपये ही खर्च कर पाई । यही हाल वर्ष 2016-17 में हुआ। इस वर्ष नमामि गंगे के लिए आबंटित 2500 करोड़ रूपये में से केवल 1062 करोड़ रूपये ही खर्च हो सके।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पहल करें -
                   नमामि गंगे योजना से जुडें मंत्री और संबंधित विभाग के सभी अधिकारीगण केंद्र सरकार की इस बहुप्रचारित और बहुप्रशंसनीय योजना के क्रियान्वयन के लिए धरातल पर हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहे हैं। लगता है हर योजना में जब तक प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हस्तक्षेप नहीं करें तब तक योजनाओं के यही हाल रहेंगे। अब अंतिम उम्मीद उन्हीं से बची है। उन्हें देखना चाहिए कि उनके द्वारा शुरू की गई इस नमामि गंगे योजना के क्रियान्वयन में कहाँ खामियाँ है ? और उसे कैसे दूर किया जा सकता है। अब केवल दो साल बचे हैं, श्री नरेंद्र मोदी को अपने प्रथम कार्यकाल के पूरे होने में । इसलिए उन्हें चाहिए कि वे इस महत्वकांक्षी योजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने के लिए वर्तमान में तैनात सभी शीर्ष अधिकारियों को बदलें और ऐसे सेवाभावी व्यक्तियों को लाएँ जो गंगा मैया की मन से सेवा कर सके।
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