सार्वजनिक शौचालय : उपयोग के अव्यवहारिक पहलू
डॉ. चंदर सोनाने
उज्जैन नगर निगम की महापौर श्रीमती मीना जोनवाल और आयुक्त डॉ. विजय कुमार ने रोको टोको अभियान के अंतर्गत उज्जैन शहर के विभिन्न मोहल्लों का कल तड़के निरीक्षण किया। उनके द्वारा उज्जैन शहर के लौहारपट्टी, तारामंडल, नानाखेड़ा , आगर रोड़ , नीलगंगा आदि क्षेत्रों में खुले में शौच करने वाले लोगों से चर्चा की और उन्हें सार्वजनिक शौचालयों में ही जाने के लिए समझाइश दी तो उनके जवाब कुछ प्रश्न खड़े कर गए। उन्होंने कहा कि मैडम सुबह-सुबह कहाँ ढूंढ़े सुविधाघर। कभी कभी तो दोपहर तक नहीं मिलते । उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि सार्वजनिक शौचालय में जाने पर रोज-रोज रूपये कहाँ से लाएँ? इसलिए खुले में जाते हैं।
यूं तो उज्जैन शहर ओडीएफ घोषित है। अर्थात उज्जैन जिले को राज्य शासन द्वारा खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है। किंतु अभी भी झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग खुले में शौच के लिए जाते हुए आसानी से देखे जा सकते हैं। खुले में शौच करने वाले गरीब तबके के लोगों के प्रश्न हमें कुछ सोचने पर मजबूर करते हैं। उन्हें यह कहकर नहीं टाला जा सकता कि आप खुले में शौच करते हुए अब पाये गए तो आपके खिलाफ चालानी कारवाई की जाएगी । यह करने की बजाय उनके द्वारा उठाए गए प्रश्नों का व्यवहारिक उत्तर खोजने की जरूरत है।
उज्जैन के झुग्गी झोपडी के वाशिंदों ने महापौर के समक्ष जो प्रश्न उठाएं हैं, उसके लिए महापौर को ही नहीं बल्कि राज्य शासन को भी सोचने की आवश्यकता है। एक तो अपर्याप्त सुविधाघर बने हुए है। इसलिए झुग्गी झोपड़ी के निकट सुविधाघर और बनाने की आवश्यकता है। इसकी जरूरत भी है। इस पर सोचना ही नहीं बल्कि क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
झुग्गी झोपड़ी के वाशिंदो का दूसरा प्रश्न सीधा सीधा उनकी आय से जुड़ा हुआ है। रोज मजदूरी करने वाले लोगों के परिवार के प्रत्येक छोटे बड़े सदस्य के सुविधाघर जाने के लिए रोज पैसे देने का बंधन समाप्त करना चाहिए। यह उनकी रोज की मूलभूत आवश्यकता है। यदि आपको शहर या गाँव को खुले से शौच से मुक्त करना है तो गाँव व शहर के गरीबों को शौचालय की मूलभूत सुविधा निशुल्क उपलब्ध करवाना ही होगी। तभी उनका खुले में जाना रोका जा सकेगा। जब उन्हें निशुल्क सुविधा सुविधाघरों में प्राप्त होगी तो वे जरूर उसका उपयोग करेंगे। इस दिशा में गंभीर सोच विचार करने की केवल जरूरत ही नहीं बल्कि उसके क्रियान्वयन पर भी जोर देने की आवश्यकता है।
देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वस्च्छ भारत अभियान आरंभ कर एक नई मानसिकता लोगों को समझने के लिए दी है। इसके लिए उन्होंने पाँच साल की कार्ययोजना भी बनाई हैं। अब इस योजना को दो साल हुए हैं । तीन साल और शेष हैं। इस योजना में करोड़ों रूपये का आबंटन दिया जाता है। किंतु इस राशि में अधिकतर राशि का प्रयोग केवल प्रचार - प्रसार और बैनर आदि के लिए ही किया जा रहा है। इससे ज्यादा जरूरी यह बात है कि गरीब तबके के लोग जहाँ रहते है, उनके निकट ही अधिक से अधिक शौचालय का निर्माण किया जाए ताकि उन्हें सुबह उठने पर भटकना नहीं पड़े और न ही अधिक दूर जाना पड़े। इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में स्वच्छ भारत अभियान के तहत निसंदेह अच्छा काम करने का कार्य किया है। किंतु अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। जो भी शहर ओडीएफ अर्थात खुले में शौच से मुक्त घोषित किए गए हैं, उन शहरों या गाँवों में अभी भी खुले में शौच के लिए जाते हुए लोगों को सहज ही देखा जा सकता है। इसके लिए उन्हें यह प्रचार प्रसार के माध्यम से बताना कि खुले में शौच नहीं करना चाहिए इसकी बजाय उनके लिए अधिक से अधिक सुविधाघर का निर्माण किया जाना चाहिए। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है , तभी समस्या जड से दूर हो सकेगी । अन्यथा कागज पर गाँव और शहर ओडीएफ घोषित कर दिए जाएंगे और वहाँ के गरीब निवासी पूर्व की तरह ही खुले में सोच करते हुए दिखाई देते रहेंगे।
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