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पूजा की इन 5 चीजों को कभी जमीन पर न रखें



 ब्रह्मवैवर्त पुराण वेदमार्ग का दसवाँ पुराण है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओंका विस्तृत वर्णन, श्रीराधा की गोलोक-लीला तथा अवतार-लीलाका सुन्दर विवेचन किया गया है। इस पुराण में चार खण्ड हैं। ब्रह्म खण्ड, प्रकृति खण्ड, श्रीकृष्ण जन्म खण्ड और गणेश खण्ड। इसके पहले भाग में पूजा की कुछ जरूरी विधियां विस्तार से दी हुई हैं। इसे अपनाकर हम सुखी तथा समृद्धि के साथ जीवन जी सकते हैं। ब्रह्मवैवर्त के अनुसार पूजा करने की कुछ ऐसी वस्तुएं होती है जिन्हें सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए।

दीपक-

दीपक को सीधे भूमि पर नहीं रखना चाहिए। इसे सीधे भूमि पर रखने से घर में नकारात्मक शक्तिया बढ़ती हैं। दीपक को सीधे रखने के बजाय उसे चावल के ढेर पर रखना सही होता है।

सुपारी-

सुपारी का भी पूजा में विशेष महत्व होता है। इसे पान के साथ भगवान क अर्पित किया जाता है। इसे भी सीधे भूमि पर रखने की मनाही है। पूजा के समय इसे नीचे रखने के लिए सिक्के का प्रयोग किया जा सकता है। अतः जब भी सुपारी को भूमि पर रखना हो तो उसे सिक्के पर ही रखें।

शालिग्राम-

भगवान विष्णु के पूजा के लिए शालिग्राम के पत्थर रुपी आकृति को शालिग्राम के नाम से जाना जाता है। शालिग्राम का प्रयोग भगवान के प्रतिनिधि के रूप में उनका आह्वान करने के लिए किया जाता है। शालीग्राम की पूजा आमतौर पर शैव एवं वैष्णव दोनों प्रकार के भक्त करते हैं। इसे भी पूजा के समय भूमि प रखनी चाहिए। इसे भूमि पर रखते समय सफेद रंग के रेशमी कपड़े के उपर रखना ठीक होता है।
मणि पत्थर-

विभिन्न देवी देवताओं की पूजा में मणि पत्थर का प्रयोग किया जाता है। लेकिन भूमि पर सीधे न रखकर इसे किसी साफ व पवित्र कपड़े पर रखना सही होता है।

यज्ञोपवीत-

भारतीय धर्म में व्यक्तिगत संस्कार के लिए उसके जीवन का विभाजन चार आश्रमों में किया गया था। जिसे ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ औ संन्यास आश्रम के नाम से जाना जाता है। जबकि जीवन के प्रथम आश्रम ब्रह्मचर्य में बालक का यज्ञोपवीत कर उसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता था। पुजा में भी इस यज्ञोपवीत (जनेउ) का प्रयोग किया जाता है। लेकिन इसे भी भूमि पर सीधे न रखते हुए किसी साफ कपड़े पर ही रखा जाना चाहिए।

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