top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << घटिया शिक्षा देने वाली सूची में विश्व में भारत दूसरे स्थान पर !

घटिया शिक्षा देने वाली सूची में विश्व में भारत दूसरे स्थान पर !


संदीप कुलश्रेष्ठ

भारत में शिक्षा प्रणाली की दयनीय स्थिति से हर कोई वाकिफ है। राज्य की सरकार हो या केन्द्र की , दोनों शिक्षा नीति से खिलवाड़ करते रहते हैं। दीर्घकालीन योजनाओं पर कोई ध्यान नहीं देता है। यही कारण है कि विश्व बैंक ने अपनी एक हाल ही कि रिपोर्ट में कहा है कि भारत घटिया शिक्षा वाले 12 देशों की सूची में दूसरे स्थान पर है। यहाँ के दूसरी कक्षा के बच्चे छोटे से पाठ का एक शब्द भी नहीं पढ़ पाते हैं। उल्लेखनीय है कि रिपोर्ट के मुताबिक 12 देशों की सूची में मलावी देश पहले स्थान पर है। विश्व बैंक ने ’वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2018 : लर्निंग टू रियलाइज एजुकेशन्स प्रॉमिस ’ नाम की रिपोर्ट हाल ही में जारी की है।
विश्व बैंक ने खस्ताहाल शिक्षा का किया खुलासा -
                     विश्व बैंक ने भारत समेत निम्न और मध्यम आय वाले देशों में अपने अध्ययन के निष्कर्षों का हवाला देते हुए चेतावनी दी है कि बिना सिखाए स्कूली शिक्षा बच्चों के विकास के अवसर को खत्म कर देती है। ऐसी शिक्षा बच्चों और युवाओं के साथ अन्याय है। विश्व बैंक की उक्त रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में तीसरी कक्षा के तीन चौथाई छात्र दो अंकों का घटाव तक हल नहीं कर सकते हैं। यही नहीं पाँचवी कक्षा के आधे छात्र भी ऐसा नहीं कर पाते हैं । रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2016 में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में पाँचवी कक्षा के केवल आधे छात्र ही दूसरी कक्षा के स्तर की आसान किताब अच्छे से पढ़ सकते हैं। वर्ष 2010 में आंध्र प्रदेश के पाँचवी कक्षा के वह छात्र पहली कक्षा के सवाल का जवाब नहीं दे पाए , जिनका परीक्षा में प्रदर्शन अच्छा नहीं था। इतना ही नहीं, पाँचवी कक्षा के औसत छात्रों के लिए यह संभावना मात्र 50 प्रतिशत थी।
विश्व बैंक के अध्यक्ष का बयान -
                      विश्व बैंक के अध्यक्ष श्री जिम योंग किम ने विश्व बैंक की रिपोर्ट का खुलासा करते हुए कहा कि ज्ञान का यह संकट नैतिक और आर्थिक है । अच्छी शिक्षा युवाओं से रोजगार, बेहतर आय, अच्छे स्वास्थ्य और बिना गरीबी के जीवन का वादा करती है। समुदायों के लिए शिक्षा खोज की खातिर प्रेरित करती है। संस्थानों को मजबूत करती है। और सामाजिक सामंजस्य बढ़ाती है।
ठोस कदम की सिफारिश -
                   विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा की इस बदहाली के कारण स्कूल में कई वर्ष बाद भी लाखों बच्चें पढ़-लिख नहीं पाते । यहाँ तक कि गणित का आसान सवाल तक हल नहीं कर पाते हैं। रिपेर्ट में ज्ञान के संकट को हल करने के लिए विकासशील देशों की मदद करने के लिए ठोस नीतिगत कदम उठाने की भी सिफारिश की गई है।
स्थिति में बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री करें कोशिश-
                     विश्व बैंक द्वारा देश की शिक्षा प्रणाली और शिक्षा की  स्थिति के बारे में आँखें खोल देने वाला खुलासा किया गया है। भारत के लिए यह शर्मनाक स्थिति है। राज्य और केन्द्र दोनों जगह उच्च स्तर पर इस कमी को दूर करने की जरूरत है। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर से अपेक्षा है कि वे इस दिशा में तुरंत ठोस कारवाई करते हुए दीर्घकालीन योजनाएँ बनाएंगे, ताकि देश पर लगा यह दाग मिट सके।
                     इसके लिए प्राथमिक शिक्षा पर सर्वाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही स्कूलों में शिक्षकां के समस्त पदों को योजनाबद्ध तरीके से पूर्ति करने की भी आवश्यकता है। यहाँ इस बात की भी जरूरत है कि जो शिक्षक प्राथमिक शिक्षा में पूरे मनोयोग से सेवा देते है , उनका न केवल प्रोत्साहन किया जाना आवश्यक है बल्कि उनका अभिनंदन करने की भी जरूरत है। साथ ही इस बात की भी आवश्यकता है कि जो अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं करते हैं ऐसे शिक्षकों के विरूद्ध सख्त कारवाई करने की भी जरूरत है। तभी स्थिति में बदलाव आ सकता है। आज भारत को घटिया शिक्षा देने वाली सूची में नहीं बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करने वाले देश की सूची में आने की जरूरत है।
---------000---------
 

 

Leave a reply