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आज भारतीय संस्कृति को भूल युवा वर्ग अपने बल व बुद्धि को खो चुका है – साध्वी सुमेधा भारती जी


युवा वर्ग जिसने समाज का निर्माण करना था, आज वही युवा स्वयं ही समाज से टूटता जा रहा है – साध्वी सुमेधा भारती जी

यदि समाज व युवाओं का उत्थान करना है तो जीव को ईश्वर के नाम से जुड़ना होगा – साध्वी सुमेधा भारती जी

गाय भारतीय संस्कृति का मूलाधार – साध्वी सुमेधा भारती जी

वर्तमान युग में लुप्त होते प्राचीन गौ गौरव को पुन: स्थापित करने हेतु गोकथा का आयोजन

 समाज में गौधन की वृद्धि व उसका संरक्षण करने हेतु गोकथा का आयोजन

 गाय हर प्रकार की समृद्धि का आधार – साध्वी सुमेधा भारती जी

 

हमारे भारत देश के युवाओं को आज नशे का दीमक भीतर ही भीतर खोखला करता जा रहा है। नशे में धुत्त युवाओं को सामज में बढ़ रही कुरीतियों व रुग्णताओं की कोई चिंता नहीं है। युवाओं की ऐसी हालत देख कर आज समाजविदों को भविष्य की चिंता सताने लगती है। यदि युवा ही इस प्रकार से नशा करते-करते अपने जीवन को खो देंगे तो आने वाले समाज का भार अपने कंधों पर कौन संभालेगा? युवा ही तो भविष्य के कर्णधार होते हैं। लेकिन वही कर्णधार आज धराशायी  हो चुके हैं। इसलिए समय की मांग है उन्हें जगाया जाए, प्रेरित किया जाए। यह विचार दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा करोल बाग, दिल्ली में आयोजित गोकथा का व्याख्यान करते हुए सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास सुश्री साध्वी सुमेधा भारती जी  ने दिए। साध्वी जी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कहाँ तो कभी भारत में गाय माता के दुग्ध व दही की नदियां बहती थी, दूध का पान कर युवा, बाल, वृद्ध सभी जन बलवान, बुद्धिमान व स्वस्थ हुआ करते थे। लेकिन वहीं आज समाज की दशा को देखकर लगता है कि भारत में दूध की नहीं बल्कि नशे की नदियाँ बहती हैं। जो मानव को बल व बुद्धि प्रदान की जगह उसका हरण करती हैं। आज बल व बुद्धि का हरण ही तो है जो भारतीय लोग अपनी ही संस्कृति से टूटते जा रहे हैं। युवा वर्ग जिसने समाज के भार को अपने कंधों पर उठा उसे सुंदर बनाना था, वही वर्ग स्वयं ही समाज से टूटता जा रहा है। समाज में कौन-कौन सी समस्याएँ व्याप्त हैं इसकी तरफ तो आधुनिक कहे जाने वाले युवाओं का ध्यान ही नहीं जा रहा। संस्कृति के चार आधार गाय, गीता, गंगा व गायत्री की हालत आज शोचनीय है, लेकिन युवाओं को इन चार आधार स्तम्भों के स्थान पर फैशन, फिल्म, फन व फूड की चिंता है। आज भारत में संस्कृति की आधार गाय माता की हत्या हो रही है, वह गाय जिसका सम्मान सदा-सदा हमारी भारत भूमि पर हुआ था, वही गाय आज सड़कों पर मानों मानव की दया की भीख मांगती हुई नज़र आ रही है। लेकिन उस गाय की तरफ क्या आज के युवाओं का कभी ध्यान गया? क्या लोगों को गाय का महत्व समझाने के लिए युवाओं ने जाग्रति का शंखनाद फूँका? क्यों गाय, गंगा की चिंता केवल संतों व प्रौढ़ उम्र के लोगों को ही है। क्यों आधुनिकता की आंधी में झूल रहे युवाओं का ध्यान कभी गाय पर नहीं जाता? क्योंकि एक तो युवा वर्ग अपनी संस्कृति को छोड़ पाश्चात्य रंग में रंग चुका है और दूसरा वह नशे के दलदल में धंस चुका है।

            यदि आज लोगों को नशे के दुष्प्रभाव बताते हुए उन्हें नशा न करने के लिए प्रेरित किया जाए तो लोग तर्क रखते हैं कि भगवान शिव भी तो नशा करते थे। हम क्यों नहीं कर सकते। आज के समाज की त्रासदी ही यही है कि हम अर्थ का अनर्थ कर देते हैं। भगवान शिव जिस नशे का सेवन करते थे वह नशा तो विवेक प्रदान करता है। मन में बुराईयों के प्रति लड़ने का जज़्बा पैदा करता है। विकारों को नष्ट करता है। लेकिन जिस नशे का सेवन मानव कर रहा है वह नशा तो विवेक का नाश कर रहा है। विकारों का सृजन कर रहा है। शिव भगवान सदा ही जिस नशे में रहते थे, वह नशा ईश्वर के नाम का है। जिसमें भक्त भी हर समय मस्त रहते हैं। जिसे पीकर सदा ही आनन्द की स्थिती बनी रहती है।        

            यदि आज भी समाज व युवाओं का उत्थान करना है तो उसे ईश्वर के नाम का नशा करना चाहिए। इस नशे के प्रदाता ब्रह्मनिष्ठ तत्त्वज्ञानी पूर्ण सद्गुरु हैं। उन्हीं के श्री चरणों का सान्निध्य प्रत्येक मानव को प्राप्त करना चाहिए। साध्वी जी ने बताया कि गुरु के बिना सोए हुए मानव को कोई भी नहीं उठा सकता। मानव का सोना भी दो प्रकार का होता है। एक शरीरिक व दूसरा आत्मिक। जैसे शारीरिक रूप से सोए व्यक्ति को कोई दूसरा जागा व्यक्ति उठा सकता है वैसे ही आत्मिक रूप से जागा संत ही दूसरे सोए हुए मानवों की आत्मा को जगा सकते हैं। हमारे सभी शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु के बिना किसी को भी गति प्राप्त नहीं हो सकती। अतएव ऐसे गुरु की खोज मानव को सदा ही करनी चाहिए जो उसकी सोई आत्मा को जगा दे व उसका मिलाप ईश्वर के साथ करवा दे। तभी मानव संपूर्ण मानव बन सकता है तथा समस्त विकारों से दूर रह सकता है।   कथा के शुभारंभ से पूर्व दिल्ली के करोल बाग क्षेत्र में भव्य कलश यात्रा निकाली गई! इस यात्रा में गौ संरक्षण का सन्देश दिया गया!

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