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सेना में महिलाओं की भर्ती के द्वार खुलेंगे


डॉ. चंदर सोनाने
                       केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में फिरोजपुर में हुसैनीवाला बार्डर पर बीएसएफ द्वारा बनाई गई विजिटर गैलरी के उद्घाटन के दौरान यह महत्वपूर्ण घोषणा की है कि सेना में 33 प्रतिशत भर्ती महिलाओं की होगी।  उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएँ भी देश की सुरक्षा में अहम रोल निभा सकती हैं। इसलिए अब सेना में महिलाओं की भर्ती के द्वार खुलेंगे।
                        केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने उक्त घोषणा करते हुए देश की महिलाओं को दीपावली का तोहफा दिया है। उनकी यह घोषणा अत्यंत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि अभी तक सेना में महिलाओं की भर्ती पर रोक थी। देश की आजादी के 70 साल बाद अब जाकर सेना में महिलाओं की भर्ती के रास्ते खुलेंगे। विश्व के कुछ अन्य देशों में भी सेना में महिलाओं की भर्ती होती रही है। हमारे देश में अब पहली बार ऐसा होने जा रहा है। इसके लिए बेहद सर्तकता की भी आवश्यकता है। अभी इस बारे में विस्तृत खुलासा नहीं हुआ है कि महिलाएँ  युद्ध के मोर्चे पर भी तैनात की जाएगी या सेना मुख्यालयों पर ही तैनात रहेगी। जो भी हो, गृहमंत्री की घोषणा का स्वागत किया जाना चाहिए।
                        मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद से ही महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए अनेक योजनाएँ आरंभ की । इनमें से कुछ योजनाएँ तो ऐसी है जो देश के अन्य राज्यों में भी अपनाई जा रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पुलिस की भर्ती में महिलाओं की ऊँचाई के संबंध में आ रही समस्याओं का निराकरण करते हुए घोषणा की है कि निर्धारित की गई ऊँचाई को मध्यप्रदेश के संदर्भ में कम किया जाएगा । यही नहीं मुख्यमंत्री ने नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनाव में भी देश में पहली बार महिलाओं का 50 प्रतिशत आरक्षण कर प्रशंसा बटोरी थी। वर्तमान में प्रदेश में पुलिस और वन विभाग को छोड़कर शेष सभी विभागों की नौकरियों में भी महिलाओं की भर्ती में 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित कर दिया गया है। मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में महिलाओं के विकास के लिए किए जाने वाले अनेक कार्य मील के पत्थर साबित होंगे। अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री से प्रेरणा लेनी चाहिए।
                        आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा है, जिसमें देश की महिलाओं ने अपने सफलता के झंडे नहीं गाडे़ हों। अनेक खेलों में तो उन्होंने अनेक कीर्तिमान भी स्थापित कर देशभर में अपना नाम रोशन किया है। वर्तमान में कोई भी क्षेत्र ऐसा अछूता नहीं है , जहाँ महिलाएँ सफलतापूर्वक कार्य संपादित नहीं कर रही हों। ऐसी परिस्थिति में सेना में भी अब महिलाओं के भर्ती के द्वार खोलने से उनमें नई उम्मीदें जगेंगी।
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