संयुक्त परिवार को तोड़ने का संदेश देता विज्ञापन
डॉ. चंदर सोनाने
टीवी के किसी भी चैनल पर आप जाएंगे, तो वहाँ ढेर सारे विज्ञापन पाएंगे। उन्हीं विज्ञापनों में एक्सिस बैंक का होम लोन का एक विज्ञापन वर्तमान में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस विज्ञापन में माँ ही अपने बेटे को यह कहती है कि तुम्हारी शादी होने वाली है, इसलिए अभी से होम लोन लेकर अपना मकान ले लो । शादी के बाद नए मकान में ही रहना। इस प्रकार का यह विज्ञापन संयुक्त परिवार को तोड़ने का संदेश देता हुआ स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
आईये , देखते हैं इस विज्ञापन में क्या है ? एक माँ अपने बेटे की शादी के लिए शॉपिंग कर कार में बैठी हुई दिखाई दे रही है और कार चलाने के पूर्व अपने बेटे को अपने मोबाइल में एक्सिस बैंक का विज्ञापन दिखाते हुए बात करती है।
बेटा कार में बैठते हुए कहता है - “फाइनली शादी की शॉपिंग खत्म“
माँ - “ये देखा तुमने“?
बेटा - “होम लोन पर 12 ईएमआई ऑफ, पर अभी हमें क्या जरूरत ? “
माँ - “शादी अभी ही तो है।“
बेटा - “तो?“
माँ - “मेरे एक्सपिरियंस में शुरू-शुरू में सभी खुशी से रहेंगे। फिर ड्रामा शुरू। माँ की
सुनु या बीवी की“ ?
बेटा - “मॉम“
माँ - “इसलिए अभी माँ की सुनो , नया घर ले लो“
बेटा - “आपसे दूर ?“
माँ - “घर आस पास ही लेना“
इसके बाद माँ और बेटे की सम्मिलित खुशी भरी हंँसी सुनाई देती है। अर्थात माँ के प्रस्ताव पर बेटे ने सहमति दिखाई है और वह शादी के बाद अपने ही नए घर में जाने के लिए तैयार हो गया है।
विज्ञापन के अंत में बैंक की तरफ से यह कहा जाता है कि “घर की खुशी बनी रहे ईएमआईस नहीं होम लोन पर 12 ईएमआईस ऑफ फ्रोम एक्सिस बैंक ।“
उक्त ऐक्सिस बैक का विज्ञापन यह बताता है कि अब युवा पीढ़ी को शादी के बाद अपने माता पिता के साथ, अपने भाई बहन के साथ नहीं रहते हुए शादी के तुरन्त ही बाद अपने स्वयं के नए घर में जाकर स्वतंत्र रूप से जीवन व्यापन करना है। अर्थात नई आने वाली बहु को अब अपने घर में न सास ससुर चाहिए, न देवर और न ननद। और न ही चाहिए जेठ और जेठानी। उसे देवर और देवरानी की भी अब आवश्यकता नहीं है !
क्या आपको ऐसा नही लगता कि ऐक्सिस बैंक का यह विज्ञापन संयुक्त परिवार को तोडने का संदेश देते हुए दिखाई दे रहा है ? जरा आप भी इस पर सोचिए !
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