top header advertisement
Home - धर्म << भक्ति, भक्त और भागवत एक-दूसरे से जुड़े हुए

भक्ति, भक्त और भागवत एक-दूसरे से जुड़े हुए


इंदौर। भक्ति व्यक्ति को बुरे विचारों से दूर रख जीवन को संवारती है। भक्ति, भक्त और भागवत एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। माता-पिता और पूर्वजों के कर्ज से व्यक्ति कभी मुक्त नहीं हो सकता। जाने-अनजाने में होने वाली भूल या अपमान का श्राद्ध पक्ष में प्रायश्चित जरूर कर सकता है। इसके लिए तर्पण अनुष्ठान से श्रेष्ठ कोई साधन नहीं है। व्यक्ति को भागवत का श्रवण मजबूरी में नहीं, बल्कि मन की मजबूती के लिए करना चाहिए। इससे पितरों को तो मुक्ति मिलती है। साथ ही व्यक्ति का पुण्य भी बढ़ता है।

ये विचार बुधवार को पं. पवन तिवारी ने हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में पितृमोक्षदायी भागवत कथा के शुभारंभ पर व्यक्त किए। पं. तिवारी ने कहा केवल भारत में ही ऐसी दिव्य संस्कृति है कि हम दिवंगत परिजन को भी खुश कर सकते हैं। दीपावली, नवरात्रि, गणेश उत्सव, श्राद्ध पक्ष जैसे उत्सव का प्रावधान ही देवी-देवताओं और पितरों को प्रसन्न रखने के लिए है। तर्पण हमारे सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण शास्त्रोक्त अनुष्ठान है। इसमें पितृ दोष, कालसर्प दोष व जन्मकुंडली के ग्रहों के दोष नष्ट होते हैं। व्यक्ति के पितरों को मोक्ष मिलता है तो इसका लाभ भविष्य में पीढ़ियों को भी प्राप्त होता है।

कथा के शुभारंभ पर भगवान रणछोड़ के मंदिर से शोभायात्रा निकाली गई। यशोदा महंत, अनंत महंत, गणेश उठगरिया ने भागवत का पूजन किया। बुधवार को श्राद्ध पक्ष की अष्टमी तिथि पर करीब 400 साधकों ने तर्पण किया। अध्यक्ष मोहनलाल सोनी ने बताया हंसदास मठ पर 19 सितंबर तक प्रतिदिन दोपहर 2 से शाम 6 बजे तक कथा होगी। 20 सितंबर तक प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक तर्पण अनुष्ठान होगा।

Leave a reply